*जे. एन. शाह
दुनिया के किसी भी देश की खुशहाली तथा समग्र विकास में उस देश की मजबूत तथा सर्वसुलभ परिवहन व्यवस्था का सर्वाधिक योगदान रहता है। आज दुनिया के विकसित देश यदि अपनी आबादी को एक स्तर तक की आधारभूत सुविधाएं दे पाने में सफल हुए हैं तो उसमें उन देशों की मजबूत, सर्वसुलभ तथा सुरक्षित परिवहन व्यवस्था का सर्वाधिक योगदान रहा है। अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, स्वीडन जैसे पश्चिमी देशों समेत एशिया महाद्वीप के भी कुछ देश जैसे- जापान, चीन आदि ने यदि आर्थिक तरक्की की है तो उसके पीछे भी उनके मजबूत परिवहन तंत्र का एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है। भारत जैसे विशाल, घनी आबादी, भौगोलिक विविधता, आर्थिक-सामाजिक असमानता वाले देश के समग्र विकास के लिए भारतीय रेल जैसे सार्वजनिक, मजबूत, सस्ते और सर्वसुलभ परिवहन तंत्र की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका है, इसका अंदाजा इस तथ्य एवं आंकड़े से लगाया जा सकता है कि यह प्रतिदिन एक ऑस्ट्रेलिया यानी ढाई करोड़ की आबादी वाले देश को एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंचाकर, 3.40 मिलियन मीट्रिक टन माल प्रतिदिन ढुलाई कर आज भी हमारे परिवहन तंत्र का आधार स्तंभ बनी हुई है। लंबी व छोटी दूरी के यातायात में आज भी इसका कोई विकल्प नहीं है तथा पर्यावरणीय रूप से भी यह सुरक्षित व कम खर्चीली सेवा है।
देश की जीवन रेखाअपने विशाल आधारभूत ढांचे जिसमें 76,000 किलोमीटर की ट्रैक, 7,350 स्टेशन, 13,00,000 नियमित कर्मचारियों तथा लगभग इतने ही अनियमित कर्मचारियों की विशाल श्रमिक क्षमता, इलेक्ट्रिक तथा डीजल लोकोमोटिव के (12,147) विशाल बेड़े की बदौलत यह भारतीय अर्थव्यवस्था को आजादी के पूर्व से ही गति देने का महत्वपूर्ण स्तंभ रही है। 2,90,000 माल डिब्बों तथा 75,000 यात्री डिब्बों के साथ यह यूनाइटेड स्टेट्स, रूस तथा चाइना के बाद चौथा सबसे भीमकाय नेटवर्क वाला रेल तंत्र तथा विश्व का आठवां सबसे बड़ा नियोक्ता है। भारत के अलावा रेलवे ने विगत वर्षों में एक बिलियन डॉलर का निवेश श्रीलंका, नेपाल तथा बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों में भी वहां के रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने के लिए लगाया है। रेल परिवहन व्यवस्था सार्वजनिक होने से ये आमजन की सर्वसुलभ सुविधा है जिसमें यात्रा कर हम सब अपनापन व सुकून महसूस करते हैं।निजीकरण का चक्र
इतने बड़े विशाल नेटवर्क तथा आधारभूत ढांचे के रहते हुए भी विगत आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संकेत दिए हैं कि आगे के दिनों में रेलवे को अपनी अहम परियोजनाओं को पूरा करने के लिए पीपीपी की राह पकड़नी होगी। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि 2030 तक भारतीय रेल को अपनी विभिन्न योजनाओं को पूरा करने के लिए 50 लाख करोड़ रुपए के निवेश की दरकार होगी जो मौजूदा संसाधनों की गति से संभव नहीं हो पाएगा। इसके तत्काल बाद रेलवे जो पहले से ही निर्माण, चिकित्सा, साफ-सफाई, नए ट्रैक बिछाने, कारखानों, रनिंग रूमों आदि विभागों में निजी भागीदारी को ला चुकी थी, यात्री गाड़ियों के परिचालन जैसे संरक्षा-सुरक्षा से जुड़े क्षेत्र में भी निजी भागीदार की उपस्थिति सुनिश्चित करते हुए पीपीपी मॉडल अपनाकर (प्राइवेट-पब्लिक पार्टनरशिप) मई 2019 में 100 डेज एक्शन प्लान को बिना देरी किए लागू कर डाला। इसमें लखनऊ से नई दिल्ली के बीच पहली निजी भागीदारी वाली तेजस ट्रेन चली।
*जे. एन. शाह*