जगदीप सिंह सिंधु
एक सजायाफ्ता अपराधी को जेल में अच्छे आचरण को आधार बना कर यूं बार-बार राज्य के आसपास या राज्य में किसी चुनाव के नजदीक पैरोल / फरलो देने में हरियाणा सरकार की अनूठी दरियादिली देखने में आ रही है।
कथित डेरा ‘सच्चा सौदा’ का मुखिया रहा गुरमीत सिंह उर्फ़ राम रहीम जो कि दो जघन्य अपराधों बलात्कार और हत्या की साजिश में 20 – 20 साल की सजा काट रहा है को अगस्त 2017 में जब से सजा हुई है 12 बार पैरोल मिल चुकी है।
दिल्ली के चुनाव से ठीक 8 दिन पहले 30 दिन की पैरोल मिलने के बाद अबकी बार गुरमीत सिंह उर्फ़ राम रहीम अपने सिरसा स्थित डेरे में जायेगा। बताया जा रहा है कि उसको इस बार 10 दिन वहां रहने की छूट मिली है। बाकी के 20 दिन उसे डेरे द्वारा संचालित अन्य ‘आश्रम ‘ जो बागपत के पास स्थित है वहां गुजारने के ‘आदेश’ दिए गए हैं।
गुरमीत सिंह के वकील जितेंदर खुराना ने कहा है कि उसके मुवक्किल को जेल मैन्युअल के अनुसार हर वर्ष 91 दिन की अंतरिम छूट (पैरोल / फरलो) पाने का हक़ है और इसे राजनीति से नहीं जोड़ना चाहिए। रोहतक के मंडल आयुक्त अंशज सिंह इस अपराधी को विशेष छूट देने के आधार और कारणों पर कोई प्रतिक्रिया देने के लिए उपलब्ध नहीं हो पाए ऐसा हिंदुस्तान टाइम्स की खबर में बताया गया है।
2023 और 2024 में गुरमीत सिंह को लगातार पैरोल दिए जाने को ले कर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने भी अदालत का रुख किय था। अब फिर एसजीपीसी के प्रधान हरजिंदर सिंह धामी ने सरकार के फैसले को दोहरा रवैया करार दिया है।
धामी ने कहा है कि सरकार राजनीतिक फायदे के लिए गुरमीत सिंह को बार-बार पैरोल या फरलो देती है जबकि देश की विभिन्न जेलों में बंद सिख कैदियों को सजा पूरी होने के बाद भी रिहा नहीं किया जा रहा। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद भी सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया।
बलवंत सिंह राजोआना की माफ़ी पर निर्णय लेने के लिए न्यायालय द्वारा सरकार को निर्देश के बावजूद भेदभाव का रवैया अपनाया जा रहा है। धामी ने कहा कि गुरमीत सिंह राम रहीम के जघन्य अपराधों पर आंख मूंद कर सरकार ने उसे चुनावों के पहले पैरोल / फरलो दी थी।
अब फिर से दिल्ली के चुनाव और हरियाणा में होने वाले नगर निकाय के चुनावों में राजनीतिक लाभ के लिए उसे बाहर निकाला गया है। ऐसी नीतियों से सिख समुदाय में अलगाव की भावना पैदा हो रही है और मांग की है कि राम रहीम की पैरोल को तुरंत रद्द करके वापस जेल भेजा जाये।
गुरमीत सिंह राम रहीम को पंजाब में बेअदबी मामले में भी रणबीर सिंह खटड़ा आई जी पंजाब की अध्यक्षता में बनी एसआईटी की अंतिम रिपोर्ट में 6 जुलाई 2020 को अभियुक्त बनाया गया है।
इस केस में गुरमीत सिंह राम रहीम की भूमिका पर केस के मुख्य अभियुक्त प्रदीप कलेर ने अपने बयान में कहा है कि बाबा जी ने 45 डेरा प्रेमियों को बुर्ज जवाहर सिंह वाला, बरगाड़ी, गुरुसर, भगता भाई को कई स्थानों पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी करने का जिम्मा सौंपा था जिन्हें बाद में बाबा ने पुरस्कृत किया था।
बेअदबी मामले में तीन केस पंजाब में दर्ज है। अब रिटायर्ड रणबीर सिंह खटड़ा ने कहा कि बेअदबी मामले में अभी भी आगे की जांच होना बाकी है और सिरसा के डेरा में बनी योजना की पूरी पड़ताल शेष है। ऐसे में हरियाणा सरकार द्वारा डेरा जाने की अनुमति दिया जाना सवाल खडे़ करता है कि उस स्थान पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ होने की संभावना को कैसे नजरअंदाज किया जा सकता है।
रणबीर सिंह खटड़ा ने कहा है कि प्रत्यक्षदर्शी गवाह के 2024 में बयांन के बाद अभी इस मामले में पंजाब पुलिस के द्वारा सभी अभियुक्तों गुरमीत सिंह, हन्नीप्रीत, गुलाबो, महेन्दरपाल व अन्य जो वहां गुफा में मौजूद थे जहां योजना बनी थी से पूछताछ होना बाकी है।
ऐसे में सिरसा डेरा में गुरमीत सिंह को जाने देना कई सवाल खड़े करता है। खटड़ा ने ये भी कहा है कि पहले जघन्य अपराधों में सजायाफ्ता मुजरिम को इतनी आसानी से पैरोल या फरलो नहीं मिल पाती थी लेकिन 2022 में हरियाणा सरकार के द्वारा जेल मैनुअल के नियमों में कुछ संशोधन किए गए थे जिसके बाद सजायाफ्ता कैदियों को पैरोल या फरलो मिलना सुगम हो गया है।
पहले गुरमीत सिंह को पैरोल मिलने पर हरियाणा से बाहर ही रहने के निर्देश मिलते थे लेकिन अबकी बार दिल्ली के चुनाव के चलते उसे दिल्ली से दूर सिरसा में अपने डेरे में जाने की इजाजत दी गई है। अन्य आश्रम जो कि उत्तर प्रदेश के बागपत में स्थित है जहां अधिकतर इस तथाकथित बाबा को पैरोल के समय में रहने की इजाजत दी जाती रही है।