अनामिका, प्रयागराज
सहेली के साथ
कहीं जा रही थी.
प्रचण्ड सर्दी
असर कर रही थी.
स्कूटी रोक कर
एक आलाव के पास रुकी
लोक-संवाद कानों में गूंजा :
”अहे कुमार मोर लघु भ्राता”
रामचरित मानस की
यह लाइन बोलकर
एक ने कहा~
लखन तो रामसीते संग
उसी मंडप में
उर्मिला से बियाहे गए थे
राम ये सुपनखा को क्यों बोले?
यह तो वही बात हुईं ना
लड़की से मज़ाक़ करो
छेड़ो, नहीं पटे तो…..
नाककान कटना तो मुहावरा है
मतलब तो इज्जत लूटना होता है.
कोई भी सक्षम भाई
अपनी बहन के साथ ऐसा
होना बर्दास्त कैसे करता.
दूसरे ने कहा :
पिता की आज्ञा माने
गुरू के लिए कुछ को मारे
मतलब के लिए बाली को
छल से खत्म किए
पत्नि के लिए रावण का वध किए
इसमें महानता या
पुरुषों में उत्तमता कैसी?
भगवत्ता का तो कोई
मतलब ही नहीं बनता.
तीसरा बोला :
जो इनके सुर में सुर
नहीं मिलाये वो असुर
मतलब इन्हें जो मनमानी
नहीं करने दे
वो मारा जाये.
यह तो हमेशा का सच है
बेहतर इतिहास
विजेता का ही
लिखा जाता है.
खैर….
जाकी रही भावना जैसी.
प्रभु मूरत देखी तिन तैसी.
हमने अपना रास्ता नापा.
घर आकर सोचने लगी :
राम आएंगे तो
पत्थर बनी अहिल्या पूछेगी
भ्रष्ट बलात्कारी इंद्र
जैसे देवराज का क्या करेंगे?
क्या ऐसे भ्रष्ट लोग
पद पर बने रहेंगे?
आखिर स्त्री कब तक
पत्थर बनकर
जीवन गुजारती रहेगी?
गौतम ऋषि को भी
कटघड़े में खड़ा होना पड़ेगा
क्यों जीवन भर पत्थर बनकर
जीने को मजबूर किया?
मेरी गलती क्या थी,
क्यों दिया श्राप?
अहिल्या आज फिर पूछ रही
पुरुषवादी समाज से
शीलभंग करने वाला पुरुष
श्राप देने वाला पुरुष
मुक्ति देने वाला भी पुरुष
आखिर स्त्री का
अस्तित्व ही क्या है ?
स्त्री त्रेता युग में भी
अस्तित्वहीन थी
आज भी अस्तित्वहीन है।
राम आएंगे तो,
सीता भी पूछेंगी
आखिर स्त्री कब तक
देती रहेगी अग्नि परीक्षा
कब तक उसे
मात्र अफवाहों के कारण
गर्भवती होते हुए भी
वन वन भटकना पड़ेगा?
रामराज्य में इससे प्रजा
क्या सीखेगी?
मात्र अफवाहों के कारण
स्त्री को जंगल में छुड़वा देना
मर गई या फिर जीवित है
इसका भी कभी पता न लगाना
अपने बच्चों के बारे में
कभी न सोचना
पिता होते हुए भी
पिता के प्यार से जीवन भर
बच्चों का वंचित रहना
क्या राजा इतना
क्रूर, निर्मोही होता है?
राम आयेंगे तो
शूद्र शंबूक भी पूछेगा
क्या शूद्र का तपस्या करना
आपके राज्य में अपराध है?
आप तो भगवान थे
आपके लिए क्या ब्रह्मण?
क्या शूद्र?
फिर आपने हमें क्यों मारा?
क्या आपके राज्य में
शूद्रो को त्याग तपस्या
करने का कोई अधिकार
नहीं होगा?
लाखों वर्षों से आज भी
शूद्र समाज पूछ रहा है
मुझे अपने अधिकारों से
क्यों वंचित रखा गया?
राम आएंगे तो
शबरी भी पूछेंगी
अपने भगवान तो
मेरे झूठे बेर खाए
फिर हजारों वर्षों तक
अछूत समझ कर
दलितों को आपके
मंदिर से क्यों
दूर रखा गया?
क्या आपके आने से
छूत अछूत खत्म हो जाएगा
क्या भेदभाव की
दीवारें ढह जाएंगी?
राम आएंगे तो
हनुमान,अंगद, सुग्रीव
जामवंत आदि भी पूछेंगे
लाखों वर्षों तक
बंदर, भालू कहकर
क्यों अपमानित
किया जाता रहा
मानव रूप में उन्हें
क्यों चित्रित कर सम्मान
नहीं दिया गया?
कम से कम इतना तो
सम्मान देना चाहिए था
हम सभी मानव थे
और मानव ही रहने देना
क्यों नहीं चाहिए था ?
राम आएंगे तो
तुलसीदास जी भी पूछेंगे
आप तो
समाज के कल्याण के लिए
राजमहल त्याग
वन वन भटके
लेकिन आपकी कथा
कहने वाले
आपके नाम लेकर
धर्म को धंधा
क्यों बना लिया है?
क्या राम के आने पर
चीर चीर होती मर्यादा
पुनः प्रतिष्ठित होगी
क्या इंच इंच टुकड़ों के लिए
जान के दुश्मन बने भाइयों में
पुनः प्रीत का भाव जागेगा?
राम आएंगे तो,
सोने की लंका बनाने वाले
उन भ्रष्टाचारी नेताओं
पूंजीपतियों का क्या करेंगे
जिन्होंने अब इस देश की
अकूत संपदा को लूटकर
आम देशवाशियों को
कंगाल बना दिया?
क्या स्विस बैंकों में जमा कालाधन
वापस लाकर हर नागरिक को
लाखों रूपये देने का अपना वादा
राम को लाने वाले मोदी जी
निभायेंगे?
राम आएंगे तो क्या
गरीबी, भुखमरी से जनता को
मुक्ति मिल पाएगी?
देश की करोड़ो जनता आज भी
भूखी-प्यासी सोने को मजबूर है
क्या उन्हें भोजन मिल पाएगा?
क्या युवाओं में बढ़ती
बेरोजगारी बदहाली मिट पायेंगी?
क्या अबलाओं का बलात्कार
बंद हो जायेगा?
आओ राम! आओ!!
तमाम देशवासी आपके
स्वागत में
दीपमाला जलाकर,
दीपावली मना रहा है
हो सकता है कि
आपके आने से
भारत का वैभव
पुनः लौट आए।