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उत्तर प्रदेश में साधुओं के भेष में बलात्कारी:जेडीयू के अवसान में अवसर की तलाश

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उत्तर प्रदेश में दो घटनाओं में साधू-संतों के भेष में बलात्कारियों की खबरें सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं। पहली घटना है बुलंदशहर के स्याना क्षेत्र की। थाना कोतवाली स्याना में राधा सत्संग व्यास आश्रम के एक सेवादार के खिलाफ दो नाबालिग लड़कियों के साथ दुष्कर्म की घटना सामने आई है।

कक्षा 6 और 7 में पढ़ने वाली ये बच्चियां अक्सर खेलने के लिए राधा स्वामी सत्संग व्यास के प्रांगण में जाया करती थीं। 

यहां के सेवादार के द्वारा उन्हें मीठी गोलियां खिलाकर अर्ध चेतन अवस्था में पिछले 8 माह से बलात्कार को अंजाम दिया जा रहा था। इसका खुलासा तब हुआ, जब एक बच्ची को अचानक पेट में तेज दर्द महसूस हुआ। अस्पताल में जांच से घर वालों को जब पता चला कि बच्ची गर्भवती है, तब जाकर इस घटना का भंडाफोड़ हुआ।

बुलंदशहर के एसपी सिटी शंकर प्रसाद ने पत्रकारों से अपनी बातचीत में स्वीकार किया है कि इस बाबत दो अलग-अलग रिपोर्ट सयाना कोतवाली में दर्ज की गई है। आरोपी सेवादार को गिरफ्तार कर लिया गया है, तथा पीड़ित किशोरियों को मेडिकल परीक्षण के लिए जिला महिला अस्पताल भेजा गया है। 

दूसरी घटना अयोध्या की है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक बाइक पर तीन साधू सवार होकर भागने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन स्थानीय लोगों के द्वारा उन्हें ललकारने और एक साधू को थप्पड़ मारने पर वे बाइक से उतर जाते हैं, और दोनों पक्ष एक-दूसरे के साथ मारपीट करने लगते हैं।

ऐसा बताया जा रहा है कि इनमें से दो साधुओं ने लड़की के साथ छेड़छाड़ की, और फिर घटनास्थल से रफूचक्कर होने लगे। वीडियो में साधू की शक्ल वाले युवा के खिलाफ मां बहन की गाली देते हुए मारपीट करते देखा जा सकता है। युवा साधु ने भी मोटरसाइकिल से उतरकर जवाबी हमला बोला। 

वीडियो में बाइक के साथ एक महिला और एक लड़की को देखा जा सकता है, जो दोनों युवाओं को शांत करने की कोशिश और घबराए स्वर में पुकार रही हैं। लड़के मारपीट करने के साथ उक्त साधू पर चिल्ला रहे हैं कि साधू बनकर लड़की छेड़ेगा, इसीलिए मुसलमान हावी हो रहे हैं।

एक हिंदू लड़की के साथ साधू वेशधारियों के द्वारा की गई अश्लील हरकत को भी मुस्लिम समाज के साथ जोड़कर देखने की प्रवृति को देश में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ घृणा अभियान के साथ जोड़कर देखा जा रहा है।

उधर अयोध्या पुलिस ने इस घटना पर सफाई देते हुए कहा है कि यह घटना कैंट थाने के पंचमुखी हनुमान मंदिर तिराहे की है, जिसमें दो पक्षों के बीच रील बनाने को लेकर मारपीट हुई। किसी प्रकार की छेड़छाड़ की घटना नहीं हुई है, दो व्यक्तियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।

लेकिन सवाल उठता है कि वीडियो में तो कुछ अलग ही दिख रहा है, फिर अयोध्या पुलिस दो व्यक्तियों को गिरफ्तार कर आखिर पूछताछ क्या कर रही है?

इसकी वजह यह हो सकती है कि अयोध्या नगरी को किसी भी सूरत में ऐसी सूरत में नहीं पेश करना है जो करोड़ों भारतीयों के दिलों में ठेस पैदा करे, और लाखों श्रृद्धालुओं को भव्य मंदिर के दर्शन करने से विरक्त कर दे।

आखिर अयोध्या सर्किट पर जो अरबों रुपयों का निवेश किया गया है, जिसमें कॉर्पोरेट का भारी निवेश हो चुका है और अभी काफी कुछ होना है, उसके लिए यह खबर बेहद नुकसानदायक साबित हो सकती है।

एक दिन के भीतर ये दो घटनाएं उत्तर प्रदेश की किस तस्वीर की ओर आपका ध्यान खींचती है?

2017 में योगी आदित्यनाथ के साथ राज्य में राम राज्य का मानो पदार्पण हो गया था। गाय, गोबर, गौमूत्र और हिंदू साधू-संतों की श्रेष्ठता को यूपी की जनता के ऊपर लाद दिया गया।

प्रदेश में कानून और व्यवस्था का परचम सिर्फ एक विशेष समुदाय के खिलाफ हिंसा, उनके घरों को बुलडोज करने और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर एनकाउंटर से प्रशासन खुद एक ऐसे माफिया के तौर पर काबिज हो गया, जिसके खिलाफ पीड़ित अल्पसंख्यक समुदाय क्या हिंदू समाज भी चुप लगा बैठा। 

उत्तर प्रदेश में काम के नाम पर जिलों के नाम हिंदू धर्म के देवी-देवताओं और स्थानों के नाम पर रखने को विकास बता दिया गया। अयोध्या, काशी, मथुरा सहित हनुमान जयंती, राम नवमी और कांवड़ यात्रा के लिए शासन की ओर से विशेष व्यवस्था और कांवड़ियों साधू संतों को विशेष सम्मान ही मानो उत्तर प्रदेश की पहचान बन गया।

साधू-संत के चोगे में कोई भी ऐरा-गैरा अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ कोई भी बयान दे दे, उसके खिलाफ कोई कार्रवाई करने से यूपी पुलिस हमेशा खौफ खाती है। 

यह सब उसी का नतीजा है कि आज साधू-संत का वेश धारण करना राजनीतिज्ञ बनने की तरह ही बेहद आकर्षक हो गया है। एक राजनेता बनने के लिए तो काफी पापड़ बेलने और पहुंच की जरूरत होती है, लेकिन साधू-संत बनकर विवादास्पद बयान देने के लिए कुछ भी खास मेहनत की जरूरत नहीं है।

लेकिन हालात ऐसे ही रहे तो जिस प्रकार से गाय-बैल को छुट्टा आवारा छोड़ देने की मुहिम आज उत्तर प्रदेश में मुंह के बल गिर चुकी है, कुछ वैसा ही उदाहरण साधू-संतों को लेकर भी देखने को मिल सकता है। 

हां, इसकी वजह से जो वाकई में धर्मपरायण संत और साधू हैं, उन्हें भी समाज शक की निगाह से देख सकता है। इसके लिए भी वे स्वंय दोषी हैं।

क्योंकि उन्होंने खुलकर न तो इस प्रवृत्ति की मुखालफत की है और अक्सर हिंदुत्ववादी प्रयोगशाला के तहत हिंदू धर्म को अपने राजनीतिक प्रयोजन के लिए किसी एक राजनीतिक दल के द्वारा हथिया लिए जाने का मुखर विरोध भी नहीं किया है।  

बिहार के राजनेता यूपी के प्रयोग को दोहराने के लिए बेकरार हैं 

केंद्रीय कपड़ा मंत्री, गिरिराज सिंह जो हर विरोधी को पाकिस्तान भेज देने के लिए विख्यात हैं, ने हाल ही में बिहार के सीमांचल क्षेत्र में एक यात्रा निकाली है।

‘हिंदू स्वाभिमान यात्रा’ नाम से इस यात्रा को बिहार के सीमांचल क्षेत्र में 5 दिनों तक घुमाया गया, जिसकी शुरुआत शुक्रवार को भागलपुर से की गई, और इसके बाद यह यात्रा कटिहार, पूर्णिया से होते हुए अररिया के बाद किशनगंज में समापन किया गया।

इन पांच जिलों में मुस्लिम समुदाय की आबादी अच्छी-खासी है, लेकिन गिरिराज सिंह का लोकसभा क्षेत्र बेगूसराय इससे काफी दूर है। लेकिन मंत्री जी चूंकि बांग्लादेश और बहराइच में हिंदुओं पर हो रहे कथित अत्याचार से बेहद आहत महसूस कर रहे थे, इसलिए उन्होंने हिंदुओं को जगाने के लिए सीमांचल क्षेत्र का चुनाव किया।

हालांकि भाजपा ने अपने मंत्री की इस यात्रा से खुद को अलग कर लिया, और इसे उनकी निजी पहल करार दिया है, लेकिन यह तो भाजपा की हमेशा से नीति रही है। 

इस यात्रा में केंद्रीय मंत्री होने के नाते, गिरिराज सिंह की यात्रा में सुरक्षा के तगड़े इंतजाम थे, लेकिन उनके बिगड़े बोल से जगह-जगह तनाव की स्थिति उत्पन्न अवश्य हुई। इस यात्रा से अररिया से भाजपा सांसद तो इतने जोश में आ गये कि उन्होंने घोषणा कर दी कि अररिया में रहना है तो हिंदू बनकर रहना होगा।

सांसद प्रदीप सिंह का बयान इतना सनसनीखेज साबित हुआ कि इसके खिलाफ लगभग सभी राजनीतिक दलों और सोशल मीडिया में उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग करने लगे हैं। अररिया में 5 बार विधायक और सांसद रह चुके प्रदीप सिंह के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है।

आज भी हजारों की संख्या में अररिया की सड़कों पर सांसद प्रदीप सिंह के खिलाफ नारेबाजी करते हुए भीड़ ने उनके बैनर पोस्टर फाड़ दिए और चक्काजाम कर दिया। पुलिस अधिकारियों ने काफी मशक्कत और प्रयास से भीड़ को उग्र होने से रोक कर मामले को शांत किया है।

ऐसा कहा जा रहा है कि सांसद प्रदीप सिंह ने जब अपने आवास पर पत्रकारों के साथ वार्ता कर अपनी ओर से सफाई देनी चाही, तो भीड़ में एक मुस्लिम व्यक्ति की तलाशी में एक पिस्तौल भी बरामद की गई है।

अपने खिलाफ बनते इस माहौल को देखते हुए अब सांसद महोदय सोशल मीडिया सहित अखबारों में बयान दे रहे हैं कि उन्होंने कभी भी मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बयानबाजी नहीं की है।

उनका कहना है कि मेरे बयान को तोड़-मरोड़कर विपक्षी नेता सोशल मीडिया में वायरल कर रहे हैं। मैंने तो केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की यात्रा के उपलक्ष्य में हिंदुओं को एकजुट होने की अपील की थी। 

अररिया जिले में हिंदू 56% हैं जबकि मुस्लिम आबादी 42% है। पिछले दो लोकसभा से लगातार जीतने वाले प्रदीप सिंह को 2024 में मात्र 20,000 वोटों के अंतर से जीत हासिल हुई थी। आरजेडी के मोहम्मद शाहनवाज़ आलम, वर्तमान में विधायक हैं और आरजेडी-जेडीयू गठबंधन में मंत्री रह चुके हैं। प्रदीप सिंह के बिगड़े बोल उनका भविष्य चौपट कर सकते हैं, यह बात उन्हें अब समझ में आ रही है।

जेडीयू के अवसान में अवसर की तलाश सबको है 

बहरहाल, गिरिराज सिंह का मकसद हिंदुओं की रक्षा करने का है या बिहार उप-चुनाव सहित 2025 राज्य विधानसभा चुनाव से पहले खुद को बिहार में योगी आदित्यनाथ की तरह हिंदुओं का सबसे बड़ा मसीहा बना देने की है, स्पष्ट तौर पर अभी नहीं कहा जा सकता।

अच्छी बात यह है कि इन पांच जिलों की यात्रा में ऐसी कोई अनहोनी नहीं घट सकी, जो बिहार में भयानक मारकाट को जन्म दे सकती थी। 

बिहार में हिंदू-मुस्लिम दंगों का भयानक इतिहास रहा है। लेकिन हाल के दशकों में हिंदुत्वादी शक्तियों की तमाम हरकतों के बावजूद मुस्लिम समुदाय ने लगातार संयम से काम लेकर ऐसी तमाम कोशिशों को अब तक नाकाम किया है।

लेकिन जेडीयू में नितीश कुमार के लगातार कमजोर होते जाने और अस्वस्थता ने बिहार में एक ऐसे शून्य की स्थिति पैदा कर दी है, जिसे भरने के लिए भाजपा पिछले दो दशक से आस लगाये बैठी थी, लेकिन उसके पास नितीश कुमार जैसा कद्दावर नेता नहीं है। 

उत्तर प्रदेश के हिंदुत्व के प्रयोग का उतरान हम बहराइच हिंसा में देख सकते हैं, जिसे अब हिंदुत्ववादी शक्तियां जल्द से जल्द भुला देना चाहती हैं, जबकि विपक्षी दल जिस आरोप को कई वर्षों से लगा रहे थे, उसे खुद भाजपा के स्थानीय विधायक और दैनिक भाष्कर की वीडियो रिपोर्ट ने सबके सामने ला दिया है।

ऐसे में बिहार के आम लोगों को विचार करना होगा कि केंद्रीय मंत्री, गिरिराज सिंह और उनके साथी सांसद प्रदीप सिंह के इरादों को साकार करने के लिए उत्तर प्रदेश का अनुसरण करके देखना है, या अपनी पहले से बदहाल सूरत को बदलने के लिए ऐसी तमाम प्रतिक्रियावादी ताकतों को नेपथ्य में धकेल शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के मुद्दे को सबसे आगे रखना है।  

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