तेलंगाना में अगले साल चुनाव हैं। इसके पहले राज्य में काफी गहमागहमी है। सीएम के चंद्रशेखर राव (केसीआर) की बढ़ती महत्वाकांक्षा किसी से छुपी नहीं है। 2024 लोकसभा चुनाव से पहले केसीआर की तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) बदलकर भारत राष्ट्र समिति (BRS) बन चुकी है। हाल में दिल्ली में पार्टी के कार्यालय उद्घाटन हुआ। इसमें साफ देखने को मिला विपक्षी दल बीजेपी के खिलाफ फिर तीसरे मोर्चे की संभावना देख रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) भी दक्षिण में अपनी मौजूदगी को लगातार मजबूत करने में जुटी है। वह हर उस मौके की तलाश में है जो उसे पांव जमाने में मदद करें। उसके हाथ कुछ ऐसा ही लगा है। बीआरएस के 5 विधायकों ने मल्ला रेड्डी को तुरंत बर्खास्त करने की मांग उठाई है। मल्ला केसीआर सरकार में श्रम मंत्री हैं। इन विधायकों का आरोप है कि मंत्री जी पार्टी के अन्य नेताओं को नजरअंदाज करते हैं। मेढचल जिले के अपने सहयोगियों को ही सपोर्ट करते हैं। इसी का नतीजा है कि वह नामित पदों को इन्हें आवंटित कर रहे हैं। मल्ला रेड्डी सीबीआई जांच के घेरे में है। इस तरह की अटकलें हैं कि वह बीजेपी से जुड़ सकते हैं। पांचों बीआरएस विधायकों ने मल्ला रेड्डी को हटाने के लिए सोमवार को बैठक की थी। वहीं, तेलंगाना कांग्रेस में ‘असली बनाम बाहरी’ का विवाद गरमाया हुआ है।
बीआरएस में चिंगारी जिला पुस्तकालय समिति के चेयरमैन पद को लेकर उठी है। यह पद अन्य को नजरअंदाज कर मेढचल जिले के नेता को दिया गया है। एक विधायक ने मल्ला रेड्डी को अपने आदेश को सिर्फ एक दिन के लिए रोककर रखने को कहा था। वह इस मामले पर चर्चा करना चाहते थे। यह और बात है कि मंत्री ने अपने चहेते को आदेश जारी कर तुरंत प्रभार लेने को कह दिया। मल्ला रेड्डी के काम करने के तरीके से कई नेता नाखुश हैं। इस मुद्दे को पार्टी की लीडरशिप के सामने रखा गया है।
बीजेपी तलाश रही है मौका
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता वी हनुमंत राव भी इन्हीं आरोपों के साथ मल्ला रेड्डी पर हमलावर हैं। हालांकि, कांग्रेस अपने क्लेश से ही नहीं निपट पा रही है।कांग्रेस में अंदरूनी लड़ाई की धमक बीजेपी को सुनाई देने लगी है। तीन कांग्रेसी नेताओं ने राज्य बीजेपी प्रमुख बांदी संजय कुमार से सोमवार को मुलाकात की थी। ये तीन कांग्रेसी नेता कौन थे, इस पर तो कुछ भी नहीं बोला गया। लेकिन, बांदी आलाकमान से मिलने के लिए दिल्ली रवाना हो गए हैं। बांदी की दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात हो सकती है। बीजेपी कांग्रेस में मौजूदा घटनाक्रम को एक मौके की तरह देख रही है। यह उसे कुछ अच्छे नेता दे सकती है। मुनुमोडे उपचुनाव में खोई जमीन की ये नेता वापसी करा सकते हैं। बताया जाता है कि कांग्रेस से बीजेपी में आए नेता इसमें प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। इनमें डीके अरुण और कोमति रेड्डी के साथ पूर्व बीआरएस मंत्री और बीजेपी विधायक ई राजेंद्र शामिल हैं।
बताया जाता है कि बीजेपी की झोली में नेता इसलिए भी झुंड में नहीं गिर रहे हैं क्योंकि शीर्ष नेतृत्व पद या टिकट को लेकर कोई वादा नहीं कर रहा है। हैदराबाद, रंगारेड्डी और निजामाबाद से कुछ नेता खासतौर से बीजेपी के संपर्क में हैं। लेकिन, अब तक कुछ भी फाइनल नहीं हुआ है।
प्रियंका गांधी मसले को सुलझाने के लिए ऐक्टिव
तेलंगाना कांग्रेस में टकराव को कम न होता देख महासचिव प्रियंका गांधी भी बीच-बचाव में कूद पड़ी हैं। पार्टी के ‘वरिष्ठ नेता बनाम बाहरी’ विवाद को शांत करने के लिए उन्होंने हस्तक्षेप किया है। उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को क्रिसमस के बाद दिल्ली बातचीत करने के लिए बुलाया है।
बताया जाता है कि प्रियंका गांधी ने इस बारे में वरिष्ठ नेता और कांग्रेस सचिव नदीम जावेद से बात की है। उन्होंने पार्टी के ‘असली’ और पिछले कुछ सालों से टीडीपी जैसी पार्टियों से आए नेताओं (‘बाहरी’) के विवाद पर चर्चा की है। जावेद प्रियंका के वफादार हैं। उन्हें कांग्रेस सचिव के तौर पर तेलंगाना भेजा गया था। उनसे पार्टी के मामलों के बारे में बताने के लिए कहा गया था। कहा जाता है कि जावेद ने प्रियंका को बताया है कि कांग्रेस नेताओं के बीच लड़ाई काफी गंभीर है। इसका जल्दी समाधान नहीं किया गया तो बात हाथ से निकल जाएगी। 26 जनवरी से कांग्रेस हर राज्य में ‘हाथ से हाथ जोड़ो’ अभियान शुरू कर रही है। उसके पहले उसे तेलंगाना का हल तलाश लेना है।
‘बाहरी’ गुट के 12 सदस्यों ने तेलंगाना कांग्रेस प्रभारी मानिकचम टैगोर को प्रमुख पदों से अपने इस्तीफे दे दिए थे। दोनों गुट दावा करते हैं कि वे कांग्रेस को बचाने के लिए हर मुमकिन प्रयास कर रहे हैं। जहां कुछ तेलंगाना कांग्रेस प्रेसीडेंट ए रेवंत रेड्डी का समर्थन कर रहे हैं। वहीं, कुछ उनमें खामी तलाशते हैं। वे मानते हैं कि टीडीपी से आए 12 सदस्यों जो उनके खास हैं, उनके इस्तीफे की पठकथा रेवंत रेड्डी ने लिखी थी। 26 जनवरी से रेवंत की पदयात्रा भी शुरू होने वाली है। इसे देखते हुए प्रियंका गांधी को जल्दी से इस मसले को निपटाने के लिए कहा गया है। कुछ वरिष्ठ नेता इस बात से खुश नहीं हैं कि रेवंत ने बिना सलाह के पदयात्रा का ऐलान कर दिया। उनका कहना है कि रेवंत ही क्यों पदयात्रा का नेतृत्व करेंगे।