अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

गुर्जरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने से नाराजगी और बढ़ेगी

Share

एस पी मित्तल,अजमेर

13 सितंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर जिले के  दूदू  उपखंड में एक खेल समारोह में भाग लिया। सीएम गहलोत के सभा स्थल पर पहुंचने से पहले दूदू के विधायक और मुख्यमंत्री के अधिकृत सलाहकार ने उपस्थित लोगों से कहा कि मुख्यमंत्री के आने पर वे सिर्फ अशोक गहलोत जिंदाबाद और राजीव गांधी अमर रहे के नारे ही लगाएं। यदि किसी ने इन दोनों नारों के अतिरिक्त नारे लगाए तो पुलिस उठा कर ले जाएगी। मुझे अनुशासनहीनता पसंद नहीं है। नागर ने यह भी कहा कि पड़ोसी के विरोध करने पर पास वाले के खिलाफ कार्यवाही हो जाएगी। दूदू जैसी सभा नागौर के नावां में भी हुई। सीएम गहलोत के सामने काले झंडे न दिखाए जाएं, इसके लिए काली टी शर्ट या कमीज पहनने वालों को सभा स्थल पर नहीं जाने दिया। असल में जब सरकार के प्रति जनआक्रोश होता है, तब  बाबूलाल नागर जैसे बयान ही सामने आते हैंं। जो लोग सत्ता की मलाई खा रहे होते हैं, वे नहीं चाहते कि राजा के सामने लोगों का आक्रोश फूटे। इसलिए राजा के आने से पहले हिदायत जारी कर दी जाती है। मलाई खाने वाले 12 सितंबर को पुष्कर में हुए विरोध से चिंतित हैं। पुष्कर में गुर्जरों के एक समारोह में गहलोत सरकार के मंत्री अशोक चांदना शकुंतला यादव (गुर्जर), धर्मेन्द्र राठौड़ आदि को बोलने तक नहीं दिया। चप्पल जूतों की बरसात के बीच मुख्यमंत्री के पुत्र वैभव गहलोत को भी सभा स्थल से चुपचाप पुलिस संरक्षण में निकलना पड़ा। मलाई खाने वाले अब नहीं चाहते हैं कि पुष्कर जैसा दृश्य फिर उपस्थित हो। लेकिन सवाल उठता है कि क्या पुलिस के दम पर जन आक्रोश को दबा दिया जाएगा? फिलहाल तो ऐसा ही प्रतीत हो रहा है कि सरकार पुलिस के दम पर जनआक्रोश को दबाने में लगी हुई है, इसलिए मुख्यमंत्री के सलाहकार सरकार विरोधी नारे लगाने वालों को पुलिस से उठवाने की बात करते हैं, वहीं पुष्कर के प्रकरण में अनेक गुर्जरों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए जाते हेैं। सरकार पुलिस के माध्यम से जो मुकदमा दर्ज करवाएं हैं, उससे गुर्जरों में और नाराजगी बढ़ेगी। गहलोत सरकार से गुर्जर समुदाय पहले ही खफा है। स्वर्गीय किरोड़ी सिंह बैंसला के पुत्र विजय बैंसला ने 12 सितंबर की घटना में कार्यवाही की मांग कर माहौल को और बिगाडऩे वाला काम किया है। वहीं नागर का वीडियो सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रहा है। चूंकि नागर मुख्यमंत्री के अधिकृत सलाहकार हैं, इसलिए सीएम गहलोत को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या नागर वाला बयान उनका है? सब जानते हैं कि नागर शुरू से ही गहलोत के समर्थक रहे हैं। गहलोत जब दूसरी बार मुख्यमंत्री बने थे तो नागर को कैबिनेट मंत्री बनाया था। लेकिन तब नागर पर बलात्कार का आरोप लगाने से उन्हें मंत्री पद से हटाना पड़ा। 2018 में कांग्रेस का टिकट नहीं मिलने पर नागर ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीते। नागर की वफादारी को देखते हुए गहलोत ने उन्हें अपना सलाहकार बनाया। 

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें