-सुसंस्कृति परिहार
आज़ादी के 75वें साल की समाप्ति तक हमने जिस कथित अमृतकाल का गरलपान किया है उससे देश का संविधान और हम सबकी आज़ादी खंडित हुई है दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश का कद इस कदर बौना हुआ है जिससे हम शर्मिंदा हैं। राजनैतिक, आर्थिक-सामाजिक और न्यायिक मोर्चे पर हमारी विफलताएं जग जाहिर हो चुकी है। ग्लोबलाइज़ेशन और इंटरनेट की दुनिया में अब कुछ भी छिपाया जाना मुश्किल है। विश्वगुरु कहलाने वाला, अर्श पर रहने वाला हमारा देश आज फर्श पर आने की ओर अग्रसर है।यदि समय रहते हमने अपनी आजादी को सुरक्षित और देशप्रेमी लोगों को नहीं सौंपा तो यह देश तानाशाह तबियत के लोगों की निजी सम्पत्ति में तब्दील हो जाएगा।
आइए,नज़र डालें भारत के उन अंदरूनी हालातों पर जो घुन की तरह लगकर देश के मान सम्मान और प्रतिष्ठा को खोखला कर रहे हैं।जैसा कि पूर्ववत कहा गया है कि भारत में लोकतंत्र ख़तरे में है झूठ और धार्मिक कट्टरवाद का खेल जिस तरह यहां चला वह चाहे धारा 370 हटाना हो, राममंदिर निर्माण हो,सीएए कानून की बात हो या लव-जिहाद के मसले हों,बिल्किस बानों परिवार के दुराचारियों को जेल से छोड़ने का मसला हो या ताजातरीन मणिपुर की घटना हो इन सब के पीछे मतों का ध्रुवीकरण ही है।एक धर्मनिरपेक्ष देश में हिंदू मतों की चाहत और अल्पसंख्यकों के प्रति सरकार का ये रवैया संविधान सम्मत नहीं है। गुजरात नरसंहार के बाद मणिपुर बुरी तरह इस डबल इंजन सरकार का शिकार बना है।
इसके अलावा सरकार बनाने के लिए किसी भी दल से चुने विधायकों को खरीदकर सरकार बनाना,चुनी हुई सरकार गिराना जनता के मत का घोर अपमान है। इस सब के बावजूद ईवीएम के जुगाड़मेंट के ज़रिए कम मतों के फासले वाले विपक्षी उम्मीदवारों को बड़ी संख्या में मात देना। निष्पक्ष चुनाव आयोग का सरकार का मुखापेक्षी होना। लोकतंत्र के माथे पर कलंक का टीका है। माननीय सीजेआई चन्द्रचूड़ ने चुनाव आयोग को निष्पक्ष बनाने के लिए तीन सदस्यों की कमेटी बनाई जिसमें सरकार का प्रतिनिधि,विपक्ष के प्रतिनिधि के अलावा माननीय सीजेआई भी सदस्य होंगे ताकि चुनाव आयुक्त निष्पक्ष बन सके ये सरकार को नागवार गुजरा और वह इसके खिलाफ अध्यादेश लाई।यह इस बात का संकेत है कि सरकार अपने मनपसंद व्यक्ति को आयुक्त बनाने का सिलसिला जारी रखना चाहती है। वर्तमान चुनाव आयुक् की नियुक्ति भी नियमों का उल्लंघन कर हुई है।जिस पर सुको ने नाराज़गी जताई थी।
न्यायिक व्यवस्था भी इस कदर खराब हुई कि सरकार ने अपने मन मुताबिक निर्णय करवाने न्यायाधीशों को प्रलोभन दिए और सेवानिवृत्त होते ही उन्हें महत्वपूर्ण पदों से नवाजा गया। जो मार्ग में बाधक बने उन्हें कहा जाता है ठिकाने लगा दिया गया। गुजरात की न्याय व्यवस्था का हाल हम लगातार देख रहे हैं। राहुल गांधी की सदस्यता समाप्ति और दो वर्ष की जेल का की अनोखा खेल बिकाऊ अदालतों ने खेला है।मामला अब सुको पहुंचा उम्मीद थी कि आम जनता की आवाज़ सदन में उठाने वाले जनता द्वारा भारी मतों से विजय राहुल गांधी को सदन में वापसी की राह दिखायेंगे साथ ही सत्ता संग गठजोड़ करने वाली गुजरात की न्याय व्यवस्था को मार्ग दर्शन देंगे। वहीं हुआ,सुको ने राहुल के संसद जाने का रास्ता खोला शेष निर्णय की प्रतीक्षा है। हाल ही में इस मामले से जुड़े गुजरात के दो जजों का स्थानांतरण सुको ने किया है।सीजेआई चन्द्रचूड़ जी के आने के बाद फिलहाल देशवासियों ने राहत की सांस ली है लेकिन निचली बहुसंख्यक अदालतें अब भी सरकार की मुखापेक्षी हैं।नूंह मामले में उत्तरप्रदेश सरकार का रवैया जजों के प्रति गलत है।
आर्थिक मोर्चे पर विफलता की कहानी अडानी का दूसरे नंबर से निचले पायदान पर आना है।देश के प्रमुख रोजगार देने वाले संस्थान बेच कर बेरोजगारी को बढ़ावा दिया गया। जब पहली शुरुआत लालकिले के बेचने से हुई तब विरोध के स्वर मुखर हो जाते तो देश की सम्पत्ति का निजीकरण रुक सकता था। सरकार के अपने यार एक तरफ जहां इन संस्थानों के मालिक बन गए दूसरी ओर अवाम गरीब से और गरीबतर हो गई। निजीकरण के कारण मंहगाई चरम पर है।बैंक लुटते रहे जमाकर्ता आज भी सड़कों पर हैं।ब्याज दर सतत घटीं।अब तो यह हाल है जमा-पूंजी मिल भी पायेगी या नहीं। सहारा इंडिया और बीमा पॉलिसी जिनका रक्षण सरकार के पास था उसमें लोगों का करोड़ों रुपए डूब रहा है। सरकारी नौकरियों में भविष्य सुरक्षित नहीं। सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ती जा रही है क्योंकि उनकी जमाराशि देने के लिए सरकार के पास पैसा नहीं।कम लोगों से हर जगह काम चलाया जा रहा है।भर्ती के लिए युवाओं को हर साल विज्ञापन देकर लुभाया जाता है उनके आवेदनों के ज़रिए बड़ी राशि वसूली जाती है और जिसका हाल व्यापम और पटवारी जैसे बड़े घोटाले के रुप में सामने आता है।इस तरह आर्थिक हालात बदतर हैं। रोजगार और रोटी जबकि हमारा अधिकार है।इसकी सरकार को परवाह नहीं।
सामाजिक स्थितियों पर जब ध्यान जाता है तो पता चलता है कि लोगों ने तमाम नैतिकताओं और ईमान की बलि चढ़ा दी है। दूसरे की परवाह किए बिना लूट और झूठ की जो बुनियाद हमारे नेताओं ने रखी वह समाज में परिलक्षित हो रही है।देश की युवा पीढ़ी को जिस तरह हेरोइन,चरस,गांजा और शराब परोसी जा रही है वह परिवार ही नहीं राष्ट्र के लिए भी दुखदाई है।इधर मोबाइल का नशा भी सिर चढ़कर बोल रहा है साईवर क्राईम बढ़ रहे हैं। बच्चियों और महिलाओं के साथ बढ़ते दुष्कर्म के पीछे बेरोजगारी और नशा तो एक कारण है किंतु यह जितना इनमें नहीं उससे कहीं ज्यादा नेताओं और अमीरों को चढ़ रहा है।उनके खिलाफ मामले बनते नहीं और बनते भी है तो उसकी निपटान सहजता से हो जाती है।देश में आज एक नशा धर्मांधता का सरकार प्रायोजित बाबाओं की सभाओं में देखने मिल रहा है हिंदू राष्ट्र का घृणित प्रयास चलने के कारण साम्प्रदायिक सद्भाव बिगड़ रहा है। जातियों का विभाजन आज़ादी के 75साल बाद भी सिरदर्द बना हुआ है। पिछड़ा,दलित और आदिवासी समाज भी इस बीमारी से जूझ रहा है। अल्पसंख्यक समुदाय अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहा है।शिक्षा , स्वास्थ्य सुविधाएं कितनी लचर हैं यह किसी से छुपा नहीं है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण की जगह दकियानूसी मनुवादी प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया जा रहा है जो राष्ट्र की समृद्धि और विकास में बाधक है। वैज्ञानिक शिक्षा और स्वास्थ्य के बिना कोई भी देश तरक्की नहीं कर सकता है।
महिलाओं के लिए सरकार बड़ी चिंतित नज़र आती है बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ जैसी घोषणाओं के बावजूद आज भी वे सुरक्षित नहीं है। मणिपुर और उत्तर प्रदेश नूंह त्रासदी ने डबल इंजन सरकार की पोल खोल दी है हमारी सरकार के मुखिया जब मणिपुर मामले पर चुप्पी साधे रहे तो यूरोपीय संसद ने भारत को चेताया तो आंख नहीं खुली तब सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई तब जाके जो थोड़े शब्द जबरिया मणिपुर घटना पर सामने आए महिला पहलवानों के यौनशोषण मामले पर भी सरकार जी चुप्पी साधे रहे।देश में जहां जहां डबल इंजन सरकारें हैं वहां महिला शोषण मामले में कमोवेश यही हाल हर जगह है।वो तो अच्छा हुआ नवनिर्मित विपक्षी गठबंधन इंडिया के अविश्वास प्रस्ताव पर बात करने की मज़बूरी में उन्हें सदन में आना पड़ा।लेकिन डाक के वहीं तीन पात।दो घंटे चौदह मिनिट के भाषण में इंडिया और कांग्रेस को कोसने में जाया किया मणिपुर पर मात्र दो मिनिट बोले ।गुजरात, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में तो अपराधी सरकार के संरक्षण में हैं।उनका सम्मान होता है।देश में जिस तरह यौन हिंसा बढ़ रही है और निर्भया की मौत के बाद बने कानून और बच्चियों के हित में बने पाक्सो कानून की धज्जियां उड़ रही है उससे तो यही पता चलता है कि इनके अमल में सरकार की ओर से कितनी ढिलाई बरती जा रही है। लाड़ली बहनों को मध्यप्रदेश में चुनाव आने से पूर्व 1000₹देना,तीर्थाटन और राशन का प्रलोभन देकर सस्ती लोकप्रियता के ज़रिए वोट पाना उनका अपमान है उन्हें आज रोजगार और सुरक्षा चाहिए।यह देना सरकार के बस में नहीं।
कुल मिलाकर देश में एक असंवेदनशील और पूंजीवादी फासिस्ट सरकार मौजूद है जिसका लक्ष्य सिर्फ अपने यारों की खातिर उनका व्यापार बढ़ाना है।उनके लक्ष्य में कहीं भी देश और अवाम की फ़िक्र नहीं है। पिछले दिनों मणिपुर मामले पर विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव रखा उस पर सत्ता पक्ष का जो रवैया था उसमें कांग्रेस के गड़े मुर्दे उखाड़ कर अपने आप को शाबाशी लगभग सभी वक्ताओं ने दिए जैसे कहीं चुनावी भाषण हो रहा है। मौजूदा मणिपुर के हालात को सामान्य घटना साबित किया गया। क्या देश यही सुनना चाह रहा था।जनता के दुखदर्द से विलग होकर ये सब कहना दुखकर गुज़रा ।चुनाव आते ही उनकी दरियादिली दिखाई देने लगती है। साहिब जी ने तो आसानी से कह दिया भाजपा का कार्यकर्ता मुसलमान बहनों को राखी बांधे।यह होगा तो ज़रूर ।पर दिल पर हाथ रखकर देखिए क्या यह दिल से होगा या सिर्फ दिखावे के लिए। किसी ने सच कहा है कि कि रक्षा-बंधन तो बहाना है चुनावी वोट का पैसा इनके घर पहुंचाना है। मध्यप्रदेश में भी लाड़ली बहना को भी रक्षा-बंधन पर्व पर एक हजार के अतिरिक्त और कुछ मिलने वाला है। चुनाव है मामा पीछे कैसे रह सकता है।
सोचिए जिनका लक्ष्य सिर्फ देश लूटना हो उनसे भलाई की उम्मीद कैसे की जा सकती है।देश के संविधान से जो हक मिले हैं वे ही सलामत रहें उन पर अमल हो तो सबका कल्याण सुनिश्चित हो सकता है।संविधान आज सुरक्षित नहीं है। प्रलोभनों पर लोकतंत्र खड़ा किया जा रहा है और तो और लोकतंत्र की आड़ में संविधान को धता बताकर देश चलाया जा रहा है।संसद में मणिपुर के सांसदों को बोलने ना देना।बोलने वाले सांसदों का निलंबन क्या यही लोकतंत्र है। आज आमजन का दायित्व बनता है कि इस तानाशाह सरकार को उखाड़ फेंके। इसलिए हम संकल्प करें कि आज़ाद लोकतांत्रिक व्यवस्था को हम और बिगड़ने नहीं देंगे उसे सुरक्षित हाथों में देकर ही चैन लेंगे। आज़ादी के 76 वर्ष में प्रवेश पर आज़ाद भारत अपनी आजादी सुरक्षित रखने प्रतिबद्ध होगा।यह विश्वास है।शुभकामनाएं देशवासियो।