हेमंत ठाकुर
मंडल बनाम कमंडल की पुनः शुरुआत में राजद फंस गई।
कल राजद नेता तेजस्वी यादव का अपने शिक्षा मंत्री के बयान पर सवाल के बाद बहुत देर तक अगर मगर करते हुए टालने के अंदाज के साथ भाजपा पर ऐसी वैसी आरोप लगाकर सवाल को किनारे करने की कोशिश की। कोई स्पष्ट मंतव्य नहीं दिखा,,,।
हां बयानो में शिक्षा मंत्री के प्रति छुपा खीज तो दिखा।
भाजपा क्या चाहती है..? बिहार में भाजपा चाहती है कि संदेश जाए की अगर राजद आयेगी तो बिहार में सिर्फ जातिवादी राजनीति होगी और जातिवादी अराजकता होगी।
शिक्षा मंत्री ने दीक्षांत समारोह में राजनीतिक एजेंडे वाली बयान देकर बिहार को अशांत कर दिया। ये तो निश्चित है की शिक्षा मंत्री का बयान राजद का बयान या पार्टी लाइन नहीं है। शिक्षा मंत्री कहीं और जगह से संचालित हो रहे हैं दिख रहा है।
उनके बयान के तुरंत बाद भाजपा सक्रिय हुई,,, शिक्षा मंत्री के इस्तीफे की मांग के साथ सड़क पर उतर गई।
इधर राजद परेशान और जदयू भी असहज हो गई। अगर शिक्षा मंत्री का तुरंत इस्तीफा लेते हैं तो भाजपा सही साबित होगी और नैतिक हार कबूल करनी होगी राजद एवम जदयू को,,,,,। शिक्षा मंत्री के बयान से तकलीफ भी है ही।
अर्थात भाजपा की बल्ले बल्ले है।
लालू यादव का दुर्भाग्य रहा है कि जिस my समीकरण अर्थात मुस्लिम एवम यादव के दम पर, खासकर यादव के दम पर राजद को खड़ा किया है, हर बार इसी यादव ने राजद का बेड़ा गर्क किया है। पूर्व में भी राजद के दो फाड़ होने में एक मात्र नीतीश नहीं थे,,,,। स्व शरद यादव बिहार के ढेरो यादव नेता राजद छोड़ निकल आए थे।
सवर्ण राजद से बिदके हुए ही थे।
राजद की कमान तेजस्वी यादव के हाथ आने पर स्थिति भिन्न हुई। तेजस्वी ने मनोज झा जैसे बौद्धिक नेताओं को जोड़कर सवर्णों के बीच पैठ बनाने की प्रयास तेज की। हालांकि संशय बनी रही। किंतु इस संशय के बीच सवर्णों की बड़ी आबादी राजद के साथ जुड़ी भी। उधर राज्यसभा में राजद सांसद मनोज झा के भाषण आम जन के बीच वायरल होने से राजद की बौद्धिक टीआरपी को थोड़े अंक मिलने लगे। एक सहजता व्याप्त होने लगी।
और फिर पलीता लगा दी शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव ने,,,,,। इसके साथ ही स्पष्ट संदेश गया की राजद स्पष्ट जातिवादी राजनीति करेगी और इसमें सवर्ण किनारे लगाए जायेंगे।
भाजपा ने ये मुद्दा पकड़ लिया। टीवी पर बहस चलवा दी है।
अब तो शिक्षा मंत्री के समर्थन में बकायदा जुलूस निकल रहे हैं। राजद असहज होती जा रही है। भाजपा के हिस्से राजनीतिक मलाई आयेगी। ये 1990 का दशक नहीं जब जनता दल थी। अब तो पग पग ढेरों दलों में बंटी जातिवादी राजनीति है। यानि जातीय राजनीति की मलाई राजद के हिस्से आनी नहीं। भाजपा का निश्चित कैडर वोट है। राजद में आए सवर्ण बिदक कर किनारे हो जाए तो आश्चर्य नहीं।
अगर नीतीश जी फिर से राजद छोड़कर भाजपा के साथ चले जाए तो हैरानी नहीं।
ऐसा ना हो की ये मुद्दा भाजपा की उस खीज को ज्यादा सुकून दे जाए जो जाति जनगणना से उपजी है।
और ऐसा ना हो जाए कि राजद की जाति जनगणना द्वारा राजनीतिक मलाई खाने की आस धरी रह जाए,,,।
फिलहाल भाजपा संचालित एक और यादव जी तेजस्वी राजद पार्ट 2 का खेल खराब कर ही गए हैं।