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 1917 की रूसी क्रांति जिसने बदल दी थी दुनिया की सोच 

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मुनेश त्यागी

     मानव इतिहास गवाह है कि आदमी हमेशा से संघर्षरत रहा है। पहले वह अपने को जिंदा रखने के लिए प्रकृति से लड़ता रहा, उसके बाद जब दुनिया में वर्ग पैदा हो गए यानी एक कमेरा वर्ग एक लुटेरा वर्ग पैदा हुए, यानी जब दुनिया में मालिक और दास पैदा हुए, फिर सामंतवाद पैदा हुआ और फिर पूंजीवाद पैदा हुआ, तभी से आदमी उन शोषकों से लड़ता रहा है। पहले वह अपने को जिंदा रखने के लिए प्रकृति से लड़ता रहा और फिर उसके बाद वह अपना शोषण करने वाले शोषक वर्ग से लड़ता रहा।  

    अपने को जिंदा रखने के लिए मनुष्य अपने जन्म काल से ही प्रकृति से लड़ता आया है। इस सनातन एवं सतत संघर्ष में उसने अनगिनत अद्भुत कारनामों को जन्म दिया है। उसने अनेक मानव निर्मित बाधाओं और अवरोधों को ध्वस्त किया है। वह कभी प्रकृति का दास बना, तो कभी उसका विजेता और स्वामी बना। मानव जाति में दास व्यवस्था को खत्म किया सामंत व्यवस्था को परास्त किया और उसके बाद पूंजीवादी व्यवस्था का विनाश किया। अगर निष्पक्ष होकर देखा जाए तो मानव इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा और महानतम कारनामा है,,, 7 नवम्बर 1917 को रूस के मजदूरों और किसानों द्वारा की गई क्रांति,,,,, जब उन्होंने दुनिया के इतिहास में पहली दफा, पूंजीवादी शोषक व्यवस्था का खात्मा कर दिया, मजदूरों और किसानों की सरकार कायम कर डाली और मजदूर वर्ग का राज कायम कर दिया, यानी जब कमेरा वर्ग मानव के इतिहास में पहली बार राजगद्दी पर बैठ गया और राजा बन बैठा, यानी जब सारी मेहनतकश जनता मानव इतिहास में पहली बार, अपनी “भाग्य विधाता” यानी अपनी “मुक्तिदाता” बन बैठी थी।

      यह उसी महान क्रांति का 106वां अवसर है। मानव इतिहास की यह महान घटना, सारी दुनिया और भारतीय जन को अनेक सबक, सीख, शिक्षाऐं और अनुभव दे गई थी जिनका महत्व आज भी बना हुआ है। रूस की 1917 की क्रांति अक्टूबर क्रांति के नाम से विश्व विख्यात है। इसका ऐतिहासिक महत्व इस बात में है कि इस क्रांति ने पूंजीपतियों और भूस्वामियों को राजनीतिक सत्ता को उखाड़ फेंका और उनकी राज्य मशीनरी को ध्वस्त कर डाला। इसने पहली बार सर्वहारा यानी मजदूरों और किसानों का राज्य और आधिपत्य स्थापित किया। यह राज्य और आधिपत्य, मजदूरों और किसानों की साझी राजसत्ता और सरकार थी।

     इसने बुर्जुआ यानी पूंजीवादी शोषक व्यवस्था की जगह सर्वहारा जनतंत्र की, यानी मजदूर वर्ग और किसानों की सत्ता और सरकार को कायम किया। रूस की क्रांति ने , क्रांति के प्रणेताओं मार्क्स और एंगेल्स की उस प्रस्थापना को सही साबित किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि मजदूर वर्ग की मुक्ति, मजदूर वर्ग द्वारा ही संभव है। अक्टूबर क्रांति ने यह प्रदर्शित किया कि पूंजीवाद का खात्मा और समाजवाद की स्थापना पूंजीवादी राज्य और पूंजीवादी तानाशाही को खत्म किए बिना और सर्वहारा की सरकार यानी मेहनतकशों कि तानाशाही यानी कि जनता के जनतंत्र की स्थापना किए बिना संभव नहीं है।

      इस क्रांति ने मानव इतिहास में पहली बार, पूंजीपतियों और भूस्वामियों की संपत्ति के पवित्र अधिकारों को समाप्त कर दिया और इतिहास में पहली बार मजदूर वर्ग और किसान यानी समस्त मेहनत करने वाले कमरे, अपने देश के स्वामी यानी मालिक बन गए। अक्टूबर क्रांति ने धरती के ऊपर सबसे न्याय पूर्ण, राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था कायम की, जो असली बराबरी और असली आजादी पर आधारित थी। इसके मानवीय आदर्शों ने दुनिया भर के मजदूर वर्ग और सारी प्रगतिशील मानवता को प्रोत्साहित और प्रभावित किया, ताकि एक न्याय पूर्ण भविष्य का निर्माण किया जा सके।

       इस क्रांति ने दुनिया के छठे भाग को साम्राज्यवादी युद्ध की विभीषिका से बचाया और राष्ट्रों के मध्य शांति की बात की। रूस की समाजवादी क्रांति ने पूंजीवादी दुनिया की नीव हिला दी। दुनिया दो विरोधी व्यवस्थाओं में बंट गई। समाजवाद और पूंजीवाद के बीच का संघर्ष वैश्विक राजनीतिक केंद्र बिंदु बन गया। दुनिया में एक नये राज्य का जन्म हुआ जो बराबरी, मित्रता, सहयोग और भाईचारे के नए सिद्धांतों और आदर्शों पर आधारित था। मानवता ने एक नए युग में प्रवेश किया जो युद्ध और हमलों की नहीं, बल्कि रोटी, कपड़ा, मकान, भूमि, शांति और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा की बात करता था।

       इस नई क्रांति ने एक नए मानव और एक नए दल का श्रीगणेश किया जो सभी प्रकार की अत्याचार और शोषण का खात्मा चाहता था। यह रुस की कम्युनिस्ट पार्टी थी जिसने रूस में क्रांति का सूत्रपात किया था। इस क्रांति का सूत्रपात करने वाले महान लेनिन ने कहा था कि “अक्टूबर क्रांति ने एशिया और दुनिया के लोगों को जगा दिया है और इसे दुनिया के क्रांतिकारी आंदोलन की बाढ़ का हिस्सा बना डाला।”

       1917 की रुसी क्रांति का सबसे बड़ा असर यह हुआ कि इसके कारण, अनेकों देशों के लोग साम्राज्यवादी और औपनिवेशिक अत्याचारों के खिलाफ उठ खड़े हुए। रूस की समाजवादी क्रांति की कामयाबी ने सुधारवाद के ऊपर “क्रांतिकारी सिद्धांत की विजय” स्थापित की। इसने सारे सुधारवादियों, सामाजिक और लफ्फाज क्रांतिकारियों को नंगा कर दिया। इसने मजदूर वर्ग और किसानों को आधुनिक युग के केंद्र में स्थापित कर दिया और दुनिया के छटे भू-भाग पर समाजवादी समाज की स्थापना कर डाली। जमीन जोतने वालों को दे दी गई, समाज के उत्पादन, वितरण और विनिमय के सारे संसाधनों का स्वामी, पूरे समाज के लोगों को बना दिया गया।

     मानव इतिहास में रूसी क्रांति की सबसे बड़ी उपलब्धि और कामयाबी यह थी कि इस क्रांति ने मानव सभ्यता के इतिहास में सबसे पहली बार सबको अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा, सब को मुफ्त इलाज, सबको रोटी कपड़ा मकान बिजली और सबको रोजगार अनिवार्य कर दिया गया। सारी जातियों की एकता कायम की गई। हजारों साल पुराने शोषण और अन्याय के सारे स्रोत और चोर दरवाजे बंद कर दिए गए। इतिहास में किसानों और मजदूरों को अपना भाग्य विधाता और मुक्ति दाता बना दिया गया, यानि कमेरा वर्ग राजा बन बैठा। कितना असंभव और अविश्वसनीय लगता है यह सब। मगर यह सच है।

      रुस की 1917 की क्रांति ने यह सब करके दिखाया। इस क्रांति ने रूस के सारे मेहनतकशों, मजदूरों, किसानों और औरतों को समानता और स्वतंत्रता मोहिया करायी। पुरुषों के सारे विशेष अधिकारों को खत्म कर दिया और सारी जनता को पूंजी के जुए की गुलामी से मुक्त कर दिया। लेनिन ने नारा दिया था कि “जालिमों और शोषकों के विरुद्ध संघर्ष किया जाए। जुल्म, शोषण और अन्याय की संभावना को ही मिटा दिया जाए।”

     1917 की रूसी क्रांति ने सामंती वर्ग और पूंजीपति वर्ग की उस मान्यता को बिल्कुल निर्मूल साबित कर दिया जिसमें कहा गया था कि मजदूर और किसान कभी भी सत्ता के मालिक नहीं बन सकते, यानी वे कभी भी राजसत्ता प्राप्त करके राज नहीं कर सकते, क्योंकि उन्हें राज करने और सत्ता संभालने का अनुभव ही नहीं है, इतनी जानकारी, अनुभव और ज्ञान ही नहीं है। इस क्रांति में बाद में यूएसएसआर की स्थापना की गई और इसी क्रांति की बदौलत रूस, यूएसएसआर में तब्दील हुआ। इसी क्रांति के उसूलों ने यूएसएसआर को दुनिया की एक महाशक्ति बना दिया। इसी क्रांति की बदौलत यूएसएसआर ने दुनिया भर में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, जनविकास, संस्कृति और खेल के क्षेत्र में झंडे गाढ़ दिए थे।

       इस क्रांति ने सच में उत्पीड़कों, पूंजीपतियों और कुलकों का खात्मा कर दिया, अपने देश से शोषण,  जुल्मो-सितम, अन्याय का खात्मा कर दिया, जनकल्याणकारी योजनाओं की स्थापना की और मेहनतकशों को सच्ची आजादी और समानता प्रदान की। पूरी दुनिया समेत भारत की आजादी का संघर्ष भी रूसी क्रांति के जनकल्याणकारी मूल्यों से प्रभावित हुआ और आजादी प्राप्त करने के बाद उसने भी रूसी क्रांति के जनकल्याणकारी मूल्यों को अपने संविधान में सिद्धांतों के रूप में अपनाया और यहां की जनता ने कुछ समय तक, सच्चे मायनों में समता, समानता, न्याय, शिक्षा, स्वास्थ्य के सपनों के दर्शन किये।

      दुनिया के पूंजीपति वर्ग ने रूसी क्रांति द्वारा स्थापित किए गए समाजवादी मूल्यों  और सत्ता को कभी भी स्वीकार नहीं किया और उन्होंने एक सोची समझी साजिश के तहत उससे युद्ध जारी रखा और नब्बे के दशक तक आते-आते रूसी कम्युनिस्ट पार्टी और वहां के शासक वर्ग द्वारा की गई गलतियों और खामियों के कारण, रूसी क्रांति के सपनों और उसूलों ने दम तोड़ दिया। इस सबके कारण यूएसएसआर का खात्मा हो गया और वहां पर पुनः पूंजीवादी सामंती राज्य की स्थापना कर दी गई।

       हालांकि आज भी रूसी क्रांति की उपलब्धियां को दृष्टि से ओझल नहीं किया जा सकता, उनकी जरूरत आज भी बनी हुई है, क्योंकि उनके उसूलों की स्थापना किए बिना, दुनिया की पूरी मानवता को शोषण, जुल्म, अन्याय, भेदभाव, भ्रष्टाचार से मुक्ति नहीं मिल सकती। हमारे तमाम मेहनतकशों को आज भी 7 नवम्बर 1917 की रूसी क्रांति से बहुत सारे सबक, सीख और अनुभव ग्रहण करने की जरूरत है। तभी जनता के असली जनतंत्र का उदय होगा और केवल तभी उसके तमाम कष्टों का खात्मा हो सकता है। दुनिया में 1917 की महान रूसी क्रांति की अहमियत और जरूरत आज भी बनी हुई है। 

    कितने कमल की बात है कि रूसी क्रांति के 106 साल बाद भी दुनिया का लुटेरा पूंजीपति वर्ग और दुनिया की सारी साम्राज्यवादी लुटेरी ताकतें रूसी क्रांति द्वारा जलाई गई मानव मुक्ति की “महान मशाल” से आज भी डरी हुई हैं। वे आज भी उसे सबसे ज्यादा गाली गलौंच करती हैं, उसे राक्षस और शैतान, पता नहीं क्या-क्या कहती हैं। वे आज भी उससे सबसे ज्यादा भयभीत  और खौफजदा हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि एक दिन दुनिया के लोग फिर से संगठित होंगे और उनके शोषण, जुल्म और न्याय के साम्राज्य को मिट्टी में मिला देंगे और एक बार पुनः अपने अपने देशों में किसानों मजदूरों यानी तमाम मेहनतकशों की सत्ता कायम कर लेंगे।

     आज 1917 की रूसी क्रांति की अहमियत और विरासत को, हम सब को मिलकर, आगे बढ़ाने की जरूरत है और उससे बहुत सारे सबक सीखने की जरूरत है, तभी पूरी मानवजाति को शोषण, जुल्म, अन्याय, भेदभाव, गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और असमान विकास की मारी दुनिया भर की जनता को उनसे मुक्ति मिल सकती है।

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