कैग की रिपोर्ट को अंतिम न मानने वाले गृहमंत्री और भाजपा जब विरोध में थी तो उसे लेकर आए दिन हंगामा करते थे
रीवा । सीएजी द्वारा मध्य प्रदेश की पोषण आहार योजना घोटाले का पर्दाफाश होते ही प्रदेश की शिवराज सरकार उसकी लीपापोती में जुट गई है । मामले को दबाने के लिए विभिन्न जिलों के कलेक्टरों को सक्रिय कर दिया गया है । जिन्होंने जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास परियोजना के माध्यम से विभाग की क्षेत्रीय पर्यवेक्षकों एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को 3 दिन के अंदर यह रिपोर्ट देने को कहा कि सन 2018 से लेकर 2020 तक का सबला पोषण आहार वितरण समय पर कर दिया था । इस बात को लेकर समाजवादी जन परिषद के नेता अजय खरे ने कहा कि सच्चाई यह है कि इस दौरान इस तरह का कोई वितरण सबला पोषण आहार योजना के अंतर्गत नहीं हुआ है। महिला बाल विकास परियोजना विभाग की पर्यवेक्षक एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ताएं सबला पोषण आहार योजना के अंतर्गत नहीं बांटे गए आहार के वितरण की झूठी रिपोर्ट को लेकर काफी असमंजस में है । जिस पोषण आहार का वितरण ही नहीं हुआ उसका विवरण कैसे दिखा दिया जाए यह सवाल उन्हें परेशान कर रहा है। शिवराज सरकार के बचाव के लिए बड़े अधिकारियों का मौखिक दबाव निचले स्तर के कर्मचारियों पर बना हुआ है कि वह 3 दिन के अंदर संबंधित पोषण आहार वितरण की कागजी खानापूर्ति करें । इस बात को लेकर पर्यवेक्षक एवं कार्यकर्ताओं में भारी असंतोष है लेकिन उनकी मजबूरी है कि उन्होंने ऐसा नहीं किया तो उन्हें बहुत परेशान किया जाएगा और नौकरी खतरे में पड़ जाएगी।
मध्य प्रदेश में महिलाओं और बच्चों के पोषण के लिए दिए जाने वाली आहार योजना में बड़े पैमाने पर अनियमितता है । सीएजी रिपोर्ट में इस बारे में कई खामियों को उजागर किया गया है। सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक, योजना का लाभ लेने वालों की पहचान, उत्पादन, अनाज बांटने और क्वालिटी कंट्रोल में बड़े पैमाने पर हेराफेरी हुई है.
श्री खरे ने कहा कि इस घोटाले को लेकर बचाव में आए राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा कहे रहे हैं कि CAG की रिपोर्ट अंतिम नहीं है बल्कि प्रक्रिया का एक हिस्सा है। गृहमंत्री के बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए समाजवादी जन परिषद के नेता अजय खरे ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और उसके नेता जब विपक्ष में थे तब 2जी और कोल घोटाले पर सीएजी की रिपोर्ट पर खूब हंगामा किया करते थे।
समाजवादी जन परिषद के नेता श्री खरे ने कहा कि CAG की रिपोर्ट में लाभार्थियों की पहचान करने, स्कूली बच्चों के लिए महत्वाकांक्षी मुफ्त भोजन योजना (मिड-डे मील) का वितरण करने और गुणवत्ता नियंत्रण में कई गड़बड़ियां पाई गई है। CAG रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार के चारा घोटाले के जैसा ही पोषण की ढुलाई में गड़बड़ी की गई है।बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाले में भी जांच में पाया गया था कि पशुओं का चारा ट्रकों की बजाय स्कूटर और मोटरसाइकिल पर कागजों पर ढोए गए थे। श्री खरे ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस विभाग के प्रमुख हैं ऐसी स्थिति में इस घोटाले को लेकर वह भी संदेह के घेरे में हैं।