संभल के शाही जामा मस्जिद के सदर जफर अली को एसआइटी टीम ने पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया है। जिस गाड़ी में जफर अली को पुलिस बैठा लेकर गई है, उस गाड़ी के साथ वकीलों ने प्रदर्शन करते हुए संभल पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की। जफर अली को ले जा रही गाड़ी के पीछे-पीछे दौड़ते रहे। शाही जामा मस्जिद कमेटी के प्रमुख जफर अली को उनके बेटे के साथ पूछताछ के लिए संभल थाने बुलाया गया था। शाही मस्जिद कमेटी के प्रमुख जफर अली को कोतवाली से चंदौसी कोर्ट ले जाया गया था और बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई
कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस 24 नवंबर को सर्वे के दौरान भड़की हिंसा के मामले में लगातार कार्रवाई कर रही है। प्रशासन का कहना है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी और कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।
जामा मस्जिद के बाहर भारी सुरक्षा तैनात
संभल हिंसा मामले में पुलिस की कार्रवाई जारी है। अब तक 50 से ज्यादा लोगों को जेल भेजा जा चुका है, जिनमें कई महिलाएं भी शामिल हैं। 24 नवंबर को शाही जामा मस्जिद के पास हुई हिंसा के मामले में एसआईटी ने सदर जफर अली से पूछताछ की थी। एहतियातन, पुलिस ने जामा मस्जिद के बाहर भारी सुरक्षा तैनात कर दी है, जिसमें पुलिस, पीएसी और आरएएफ के जवान शामिल हैं।
जफर अली गिरफ्तार
एसपी श्रीश चंद्र और सीओ सदर अनुज चौधरी ने पूछताछ के लिए जफर अली को बुलाया था, जहां बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच तेजी से जारी है और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं।
जामा मस्जिद सर्वे के दौरान भड़की झड़प, 4 की मौत, कई घायल
संभल की जामा मस्जिद में 24 नवंबर, रविवार को अदालत के आदेश पर सर्वे किया जा रहा था। इस दौरान सर्वे का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हो गई, जिसमें हिंसा, गोलीबारी और पथराव हुआ। इस घटना में चार लोगों की मौत हो गई, जबकि उप जिलाधिकारी रमेश चंद्र समेत 20 लोग घायल हो गए। हालात बिगड़ने के बाद प्रशासन ने इलाके में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी थीं।
स्थानीय अदालत के आदेश पर जामा मस्जिद का सर्वे किया गया था। रविवार को सर्वे टीम दोबारा जांच के लिए मस्जिद पहुंची थी। एक याचिका में दावा किया गया है कि जिस स्थान पर वर्तमान में जामा मस्जिद स्थित है, वहां पहले हरिहर मंदिर था।इस पूरे मामले की जांच एसआईटी कर रही है। पुलिस और प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं।
दरअसल संभल में 24 नवंबर को हुई हिंसा की घटना के बारे में पूछताछ के लिए जफर अली को पहले कोतवाली बुलाया गया था। उनकी गिरफ्तारी के बाद कोतवाली की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। एसआईटी टीम, एएसपी और सीओ के साथ पुलिस फोर्स मौजूद है। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कोतवाली में पीएसी और आरआरएफ समेत भारी पुलिस बल तैनात हैं। फ्लैग मार्च भी किया गया है। अब गिरफ्तारी के बाद जफर अली को जेल भेजने की तैयारी की जा रही है।
बता दें कि संभल में 24 नवंबर को हुई हिंसा में चार लोगों की मौत हुई थी। कल यानी सोमवार को जफर अली का न्यायिक जांच आयोग में बयान दर्ज कराया जाना है। संभल हिंसा को लेकर न्यायिक आयोग की टीम दो दिन के लिए संभल आई, पहले दिन 29 और दूसरे दिन लगभग 15 बयान दर्ज किए गए। इस मामले में संभल के डीएम और एसडीएम और एडीएम का भी बयान लिया गया है। संभल हिंसा मामले में पुलिस ने 124 आरोपितों के खिलाफ कुल 1200 पेज की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की है। मामले में पुलिस ने 12 प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें 2750 लोगों को आरोपित बनाया गया था।
संभल की खुदाई पर बोलीं सांसद इकरा हसन, “हम लोकतंत्र में हैं, किसी की तानाशाही नहीं”
लखनऊ। संभल हिंसा में जान गंवाने वाले लोगों के परिवार वालों से समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को मुलाकात की। इसके बाद आर्थिक मदद के तौर पर पांच-पांच लाख रुपए का चेक भी दिया। प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई नेता विपक्ष माता प्रसाद पांडे कर रहे थे। प्रतिनिधिमंडल में कैराना की सांसद और सपा नेता इकरा हसन भी थीं। इस दौरान पुलिस चौकी बनाए जाने और अन्य गतिविधियों पर सांसद इकरा हसन ने कहा कि मुझे लगता है कि इन सब चीजों की जरूरत नहीं है, क्योंकि हमारे देश का जो कानून है उसका सभी को पालन करना है। हम लोकतंत्र में है किसी की तानाशाही नहीं है।

इकरा हसन ने कहा कि प्लेसज ऑफ वर्शिप एक्ट इसलिए लाया गया था, क्योंकि जो भी राजा बनता था वो व्यवस्था अपने हिसाब से बदल देता था, लेकिन अब हम लोकतंत्र में हैं। अब यहां किसी का राज नहीं है, किसी की तानाशाही नहीं है। आगे कहा कि अब जो नियम कानून किताब में लिखे गए हैं, हमें उसी के हिसाब से चलना पड़ेगा। संविधान के हिसाब से चलना पड़ेगा। संविधान में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट है। 1947 में जो भी जैसा था, मंदिर या मस्जिद वो उसी स्थिति में रहना चाहिए। प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट तो यही कहता है। सरकार की ओर से लगातार धमकियां दी जा रही है। विपक्ष के नेता पर झूठी कार्रवाई की जा रही है। यही इनकी नीति रही है।
संभल में मस्जिद के सामने पुलिस चौकी को लेकर समाजवादी पार्टी समेत कई अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने राज्य की योगी सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं। दो दिन पहले एआइएमआइएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी योगी सरकार पर निशाना साधा था। ओवैसी ने कहा था कि संभल की जामा मस्जिद के सामने पुलिस चौकी बनाई जा रही है।
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