अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

जन्मदिन पर साहिब कबूतर नहीं चीते छोड़ेंगे !

Share

सुसंस्कृति परिहार

बड़े हर्ष की बात है कि हमारे देश के माननीय राजा साहिब का जन्मदिन कल बड़े ही हर्षोल्लास के साथ  कूनो जंगल में आठ चीतों को छोड़कर मनाया जायेगा। ये दुर्लभ ऐतिहासिक क्षण होगा।  खबर मिल रही है नामीबिया से ये चीते जंबो जेट में रखे लकड़ी से बने कंटेनरों  में लाए जा रहे हैं जो सुबह ग्वालियर हवाईअड्डे पर लैंड होगा।इस जंबो जेट को चीते के मुख के रुप में सजाया गया है। यहां से  चीते फिर हैलीकाप्टर के जरिए  श्योपुर जिले के कूनो जंगल की ओर प्रस्थान करेंगे। बताया जा रहा है इनके कंटेनरों को कुछ इस तरह का स्वरूप दिया गया है कि चीतों को ये अहसास ना हो कि वे जंगल में नहीं हैं।राजा साहिब सिर्फ तीन भाग्यशाली चीतों को पिंजड़े से निकालेंगे।बाकी कर्मचारी छोड़ेंगे।

 अच्छा है अब जंगल चीतामय हो जायेगा किंतु एक सवाल ज़रूर बराबर बना रहेगा कि अभी तक तो खुशी के अवसर पर कबूतरों को छोड़ने का रिवाज रहा है किंतु इस बार आठ चीते कूनो के जंगल में दहाड़ेंगे यह अनोखा अवसर होगा  शांति के प्रतीक कबूतरों का स्थान सबसे तेज धावक चीता ले रहा है यह बदलाव भी रेखांकित होना चाहिए।लगता है राजा साहिब ने जिस तेजतर तरीके से देश का विधान,सभ्यता, संस्कृति पर हमले किए हैं साथ ही साथ सरकारी उपक्रमों को बेचकर अडानी को दुनिया का नंबर दो रईस बनाया है ।वह चीते की दौड़ से कम नहीं।उसका हिंसक ख़ूंख्वार स्वरुप भी आज की उनकी ज़रूरत है।इसकी पुष्टि नए संसद भवन के द्वार पर स्थित अशोक स्तंभ से भी होती है।अपनी अपनी पसंद और मन की बात है जिसको जो भाता है वही  तो‌ सामने आता है।

 लगने लगता है कि शायद अब गांधी का ज़माना  नहीं रहा गोडसे का ज़माना आ गया है ।जंगल में एक ही शेर रहेगा और सबको उसकी मनमर्जी पर चलना होगा। मनुवाद का अवतरण हो चुका है।हिंसा के बिना जीवन बेकार है। अहिंसा तो कायरों का हथियार रहा है। डंके की चोट पर मनमर्जी थोपना शेर का शौक है।चीख चिल्लाहट के स्वर सब बंद हो जाते हैं जब शैर दहाड़ता है।आज यही सब नज़र आ रहा है। बहुसंख्यक भयभीत हैं।चारों ओर सन्नाटा नज़र आ रहा है ।

डरे सहमे लोगों के अंदर अंदर चिंगारियां प्रज्जवलित हो रहीं हैं वे वापस पुराने काल में नहीं जाना चाहते ।एक जुट हो रहे हैं।देश भर में एक नौजवान इस राजा के विरोध में हांका लगाने निकल पड़ा है उसी अहिंसा के हथियार के साथ अपने सफेदपोश कपोत जैसे शांति प्रिय साथियों के साथ। वे भी कंटेनरों में रात गुजार रहे हैं ।उसका मकसद साफ है वह भारत की तहज़ीब और भाईचारे की हिफाजत चाहता है।फक्र की बात है उसे अपार जन समर्थन मिल रहा है। इससे साफ जाहिर है देशवासी नफरत,हिंसा के खिलाफ हैं वे शांति प्रिय हैं और देश को गलत रास्ते पर ले जाने वाली सोच के खिलाफ हैं। 

 चीता आगमन की कथा भी इस अवसर पर सामने आ गई है कांग्रेस शासन काल में जब चीते की संख्या जंगल में शून्य हो गई तो सन 2009 अफ्रीकन चीता लाने का प्रस्ताव रखा गया।2010 में मनमोहन सरकार से प्रस्ताव स्वीकृत भी हुआ । इसके लिए 25 अप्रैल 2010 को जयराम रमेश जी  अफ्रीका गए और चीता देखा भी तथा 2011 में 50 करोड़ रु. चीता के लिए दिए गए लेकिन 2012  में सु को से प्रोजेक्ट चीता पर रोक लगा दी गई और यह मामला ठंडा गया। आश्चर्य जनक रुप से  भाजपा शासनकाल में इस मामले को उठाया गया और 2019 में सुप्रीम कोर्ट से रोक हट गई।अब चीतों की अगवानी का समय भी आ गया और जंगल में राजा के जन्मदिन का मंगल होने वाला है।इस अद्भुत क्षण को कैद करने तमाम मीडिया बेताब हुई जा रही है।कोई यह भी हिसाब लगाए कि कि चीतों की पचास करोड़ की डील इतने वर्षों बाद राफेल की तरह कितने में हुई।इस ऐतिहासिक जन्मदिवस का कितना बजट रहा ।राशन घोटाले से जूझ रहे मामा का कामा लगेगा या फुलस्टाप।

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें