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अनुष्का सहित ऐसी तमाम स्त्रियों को प्रणाम, जो हर स्थिति में अपने जीवनसाथी का साथ देती हैं

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●चंद्रशेखर शर्मा

हाल ही में कहीं पढ़ा कि अरबपति ललित मोदी और पूर्व विश्व सुंदरी सुष्मिता सेन में ब्रेकअप होने की खबर है ! पढ़कर बहुत हैरत हुई। सो इसलिए कि अभी चंद दिन पहले ही तो दोनों की कितनी आत्मीय तस्वीरें सामने आई थीं और खबर थी कि दोनों जल्द विवाह बंधन में बंधने वाले हैं !

आप कहेंगे हाई सोसायटी या सितारा संसार में ऐसी ‘घटनाएं’ खूब आम हैं। जी हां, वाकई खूब आम हैं। खासकर फिल्मी सितारों की डेटिंग और ब्रेकअप तो गोया रोजमर्रा की बात है। ब्रेकअप की जहां तक बात है तो दीगर कारणों के अलावा इसकी जो एक वजह मुझे जंचती है, वो यह कि ऐसे जोड़ों में दोनों नाम के साथ दौलत के मामले में भी खुदमुख्तार होते हैं। आम भाषा में कहें तो दोनों किसी भी मामले में एक-दूसरे के दबेलदार नहीं होते। जमा इसी का दोनों का अपना-अपना इगो होता है, जो टकराता है और फिर संबंध टूटते हैं। जो हो। 

जब मोदी और सेन के रिश्ते में बंधने की खबर आई थी तो मालूम हो कि हम में से बहुत लोगों ने इस पूर्व विश्व सुंदरी, फ़िल्म अभिनेत्री और पहले से ही धनी स्त्री को धन दीवानी या मोदी की दौलत की लालची बताने में जरा भी समय न लिया था। यद्यपि यह कोई नयी बात नहीं है, बल्कि आम मानसिकता है। ऐसे अधिकतर मामलों में हम अकसर खोट या दोष स्त्री में ही देखते हैं। गोया पुरुष सारे दूध के धुले और देवता होते हैं ! यही देवता (?) लोग अकसर सवाल करते हैं कि, ‘अरे इसने (स्त्री ने) उसमें (पुरुष में) ऐसा क्या देख लिया या देखा कि उसके साथ शादी कर ली ?’ फिर जवाब भी वो खुद ही देते हैं और उसमें स्त्री को मूर्ख से लेकर लालची और गरीब बताने तक जाने क्या-क्या खोट उसके माथे मढ़ देते हैं। यानी यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः की मान्यता वाला यह देश और हम सब तब स्त्री की गरिमा और सम्मान को पता नहीं कहां बिसरा देते हैं। उलटे असलियत यह है कि हममें से कई ‘देवता’ ऐसे होंगे जिनके पास यदि ललित मोदी जितनी दौलत हो तो वो पूर्व विश्व सुंदरी तो दूर, बल्कि किसी भी अन्य खूबसूरत महिला के पैर के एक चुम्बन के लिए भी मुंहमांगी कीमत देने को मरते मिल सकते हैं। खैर। 

 यहां बात विराट कोहली और अनुष्का शर्मा की है। यह भी देश की एक सितारा जोड़ी है। इसमें क्या शक कि विराट कोहली दुनिया के महान बल्लेबाज हैं, लेकिन पिछले करीब तीन बरस से उनका शतक नहीं आया था। उलटे उनसे रन ही नहीं बन रहे थे। जमा भारतीय टीम के तीनों फॉर्मेट की कप्तानी उनसे छीन ली गयी और बेशुमार लोग उन्हें टीम से बाहर करने की बात कर रहे थे। गोया पूरी दुनिया उनके खिलाफ थी। इसी तरह बेशुमार लोग अपनी उसी टुच्ची मानसिकता से उनकी नाकामी और इस हालत के लिए अनुष्का पर तरह-तरह की फब्तियां कस रहे थे ! सो ऐसे में क्या इन दोनों की मनःस्थिति का अंदाजा लगाना मुश्किल है ?

बहरहाल आखिरकार कल इन्हीं विराट का वो शतक आ गया। कोई अहमक कह सकता है कि वो तो टूर्नामेंट से बाहर होने की स्थिति में और अफगानिस्तान जैसी कमजोर टीम के खिलाफ आया। ऐसे अहमकों को बता दूं कि पिछले तीन साल में ऐसी स्थिति पहले भी आई है और अभी इस टूर्नामेंट में सबसे उम्दा और तीखा गेंदबाजी अटैक इसी अफगानिस्तान का है, जिसके खिलाफ दो सौ की स्ट्राइक रेट से उनका यह बहुप्रतीक्षित शतक आया है। सबसे खास बात तो शतक के बाद विराट के उद्गार हैं। उन्होंने कहा कि ‘पिछले तीन साल के सबसे कठिन समय में  केवल एक शख्स यानी अनुष्का हर समय उनके साथ खड़ी रही और हमेशा उन्हें सहारा दिया ! मैं यह शतक उन्हें समर्पित करता हूँ !’ जाहिर है यह अपने आप में एक बहुत उम्दा स्टेटमेंट और मिसाल है कि ऐसी सितारा जोड़ियां भी होती हैं। असल में अनुष्का सहित ऐसी तमाम स्त्रियों को मेरा प्रणाम, जो धन और शोहरत होने के बावजूद या उसके बिना भी न केवल अपने रिश्ते को निभाती हैं बल्कि हर स्थिति में अपने जीवनसाथी का साथ देती हैं। मुझे पक्का यकीन है कि हमारे देश में ऐसी ‘देवियां’ अनगिन हैं ! प्रार्थना है कि भगवान गणेश उन सब पर सदा कृपालु रहें और टुच्ची मानसिकता वालों को सद्बुध्दि प्रदान करें।

●चंद्रशेखर शर्मा

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