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खनन के खिलाफ आत्मदाह करने वाले संत विजय दास का निधन:बरसाना में अंतिम संस्कार

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भरतपुर

भरतपुर के पसोपा इलाके में चल रहे अवैध खनन को लेकर धरने के बीच खुद को आग लगाने वाले संत विजय दास का नई दिल्ली में देर रात 3 बजे निधन हो गया। वह सफदरजंग हॉस्पिटल की बर्न यूनिट में एडमिट थे। संत को क्रिटिकल हालत में दो दिन पहले ही जयपुर से शिफ्ट कराया गया था। संत ने 20 जुलाई को आत्मदाह किया था। 22 जुलाई की रात उन्होंने अंतिम सांस ली। BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संत विजय दास की मृत्यु पर गहरा शोक व्यक्त किया और पार्टी की एक हाई लेवल कमेटी गठित कर दी है।

संत का पार्थिव शरीर नई दिल्ली से दोपहर साढ़े 3 बजे भरतपुर के कामां पहुंचा। यहां से बाबा विजय दास के पार्थिव शरीर को विमल कुंड ले जाया गया। विमल कुंड के परिक्रमा लगवाई गई। लोगों ने बाबा के अंतिम दर्शन कर पुष्प अर्पित किए।

बाबा के अंतिम दर्शन करने के लिए अलवर सांसद बाबा बालक नाथ, भरतपुर सांसद रंजीता कोली समेत कई विधायक, नेता, संगठन व समाज के लोग कतार में खड़े रहे।

यहां से संत विजय दास का शव यूपी के बरसाना शाम 4 बजे पहुंचा। जहां उनकी 16 साल की पोती को संत के अंतिम दर्शन कराए गए। शाम 6 बजे के करीब संत का अंतिम संस्कार माताजी गौशाला में किया गया। संत को मान मंदिर के साधु दीनदयाल दास ने मुखाग्नि दी।

दीनदयाल करीब डेढ़ साल से बाबा विजय दास के साथ थे। उनके अंतिम संस्कार में सैकड़ों लोग और साधु-संत शामिल हुए। संत के शव के पहुंचने से पहले जिले के डीएम नवनीत सिंह चहल और एसएसपी अभिषेक यादव माताजी गौशाला पहुंच गए थे।

12 साल पहले आए थे बरसाना के मान मंदिर
बेटे और बहू की मौत के बाद वह अपनी पोती को लेकर उत्तर प्रदेश के बरसाना के मान मंदिर आ गए थे। संत विजय दास ने अपनी पोती दुर्गा को गुरुकुल में डाल दिया था। वह संत रमेश बाबा के संपर्क में आए और साधु संतों की मंडली में शामिल हो गए। नया नाम मिल गया- बाबा विजयदास। फिर 2017 में वह धार्मिक मान्यता वाले आदिबद्री और कनकांचल इलाके में खनन को रोकने के लिए शुरू हुए आंदोलन से जुड़ गए।

डेढ़ साल पहले बाबा को बनाया गया महंत
उन्हें डेढ़ साल पहले पसोपा गांव के पशुपति नाथ मंदिर का महंत बनाया गया। उनके पास मंदिर प्रबंधन की पूरी जिम्मेदारी थी। दिल्ली में पोस्टमार्टम के बाद दोपहर तक उनका पार्थिव शरीर बरसाना लाया जाएगा। निधन की खबर मिलते ही बरसाना में शोक का माहौल हो गया। साधु-संत पहुंचने लगे हैं।

पसोपा में होना था अंतिम संस्कार, प्रशासन की अपील पर बरसाना के लिए माना संत समाज

बाबा का अंतिम संस्कार भरतपुर के पसोपा में किया जाना था, लेकिन प्रशासन ने आज रीट परीक्षा का हवाला देकर साधु-संतों और गांववालों से बरसाना में अंतिम संस्कार करने की अपील की। इस पर संत समाज की एक बैठक हुई और बरसाना में अंतिम संस्कार पर सहमति बनी। क्योंकि बाबा विजय दास कई वर्षों से बरसाना के मान मंदिर में भी रहे थे। बाबा करीबी संत राधाकृष्ण शास्त्री ने बताया कि अंतिम संस्कार बरसाना में मान मंदिर के पास ही होगा। वहीं, भरतपुर जिला प्रशासन ने पसोपा से साधु-संतों और ग्रामीणों को बरसाना ले जाने के लिए 10 बसों की व्यवस्था की है।

BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बनाई हाई लेवल कमेटी
BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संत विजय दास की मृत्यु पर गहरा शोक व्यक्त किया और पार्टी की एक हाई लेवल कमेटी गठित कर दी है। यह कमेटी रविवार को भरतपुर जाकर घटनास्थल का दौरा करके जानकारी इकट्ठा करेगी। साथ ही जल्द ही रिपोर्ट नड्‌डा को सौंपेगी। इस कमेटी में BJP के राष्ट्रीय महामंत्री,राजस्थान प्रभारी और सांसद अरुण सिंह, सीकर सांसद सुमेधानंद सरस्वती, सांसद सत्य पाल सिंह और सांसद बृजलाल शामिल हैं। बृजलाल उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी रह चुके हैं।

खनन के खिलाफ संत समाज का धरना-प्रदर्शन करीब 500 दिन से चल रहा था। एक बाबा मोबाइल टावर पर भी जा बैठे थे। जब विजय दास ने खुद को आग लगा ली तब प्रशासन ने उनकी मांगें मानी और समझा-बुझाकर आंदोलन खत्म कराया।

संत विजय दास की 16 साल की पोती दुर्गा को अंतिम दर्शन कराए गए। दुर्गा को माता-पिता की मौत के बाद दादा का ही सहारा था। वह 3 साल की थी तो दादा विजय दास उसे बरसाना ले आए थे। गुरुकुल में रखा था। बरसाना पहुंचने पर पोती को दादा के अंतिम दर्शन कराए गए तो माहौल भावुक हो गया।

संत विजय दास की 16 साल की पोती दुर्गा को अंतिम दर्शन कराए गए। दुर्गा को माता-पिता की मौत के बाद दादा का ही सहारा था। वह 3 साल की थी तो दादा विजय दास उसे बरसाना ले आए थे। गुरुकुल में रखा था। बरसाना पहुंचने पर पोती को दादा के अंतिम दर्शन कराए गए तो माहौल भावुक हो गया।

हरियाणा के रहने वाले थे बाबा विजय दास
संत विजय दास हरियाणा में फरीदाबाद जिले के बडाला गांव के रहने वाले थे। साधु बनने से पहले से पहले उनका नाम मधुसूदन शर्मा था। एक हादसे में उनके बेटे और बहू की मौत हो गई थी। इसके बाद परिवार में बाबा और उनकी एक पोती बचे थे। अब सिर्फ पोती रह गई।

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