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आत्म संतुष्टि के लिए 11 किलोमीटर पैदल चल कर सतीश पूनिया बाबा रामदेव की समाधि पर पहुंचे

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एस पी मित्तल,अजमेर

तो क्या पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी अब यह स्वीकार कर लिया है कि राजस्थान में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री का कोई चेहरा नहीं होगा? राजे के समर्थक राजे को ही मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की मांग करते रहे हैं। राजे के जन्मदिन पर सांसदों और विधायकों के जमघट को भी शक्ति प्रदर्शन के तौर पर ही देखा गया। लेकिन 11 सितंबर को राजे ने एक फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। इस फोटो में राजे के साथ प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष सतीश पूनिया, संगठन महामंत्री चंद्रशेखर, राजेंद्र राठौड़ आदि नेता दिखाई दे रहे हैं। राजे ने खुद बताया कि यह फोटो भाजपा के सांसद पीपी चौधरी ने जोधपुर स्थित आवास का है। राजे के अनुसार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के जोधपुर दौरे के बाद प्रदेश भाजपा के नेता सांसद चौधरी के निवास पर एकत्रित हुए थे। तभी नेताओं ने चाय पर चर्चा की। राजे ने फोटो को पोस्ट करने के साथ यह भी माना कि अमित शाह के दौरे से हमारे समस्त कार्यकर्ताओं में नए जोश एवं उत्साह का संचार हुआ है। पिछले साढ़े तीन साल संभवत: यह पहला अवसर है कि प्रदेश भाजपा नेताओं के साथ फोटो खिंचवा कर वसुंधरा राजे ने खुद सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। अब तो राजे पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह आदि के साथ वाले फोटो ही पोस्ट करती रहीं, लेकिन इस बार सतीश पूनिया, चंद्रशेखर, राजेंद्र राठौड़ जैसे प्रदेश के नेताओं वाला फोटो भी सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ पोस्ट किया है। सब जानते हैं कि भाजपा हाईकमान ने राजे को भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना रखा है। लेकिन राजे आज तक राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय नजर नहीं आई है। समर्थकों के बयानों से प्रदर्शित हुआ है कि राजे को ही मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करवाना चाहते हैं। लेकिन 11 सितंबर को अमित शाह के जाने के बाद राजे ने भाजपा नेताओं के साथ चाय पर जो चर्चा की उससे प्रतीत होता है कि मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं करने का आलाकमान का फैसला वसुंधरा राजे ने भी स्वीकार कर लिया है। राजस्थान में अगले वर्ष दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। समर्थक चाहे कुछ भी कहे, लेकिन वसुंधरा राजे कई बार कह चुकी है कि भाजपा उनकी मां के समान है, इसलिए भाजपा को नुकसान पहुंचाने वाला काम नहीं करेंगी। यहां यह उल्लेखनीय है कि राजे की माताजी स्व. विजयराजे सिंधिया भाजपा की संस्थापक सदस्य रही हैं।

आत्म संतुष्टि के लिए पैदल चले:

भारत की सनातन संस्कृति में किसी धार्मिक स्थल की पैदल यात्रा का बहुत महत्व है। आमतौर पर मनोकामना पूर्ण होने पर व्यक्ति धार्मिक स्थल की पदयात्रा करता है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के जोधपुर दौरे के बाद 11 सितंबर को प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष सतीश पूनिया कार से पोखरण पहुंचे और 11 किलोमीटर पैदल चल कर लोक देवता बाबा रामदेव की समाधि पर आए। माना जा रहा है कि पूनिया ने यह पद यात्रा आत्म संतुष्टि के लिए की है। अमित शाह ने जोधपुर दौरे में संगठन को मजबूत और सक्रिय करने के लिए सतीश पूनिया की प्रशंसा की। पूनिया कई बार कह चुके हैं कि भाजपा के उन जैसे छोटे से कार्यकर्ता को प्रदेशाध्यक्ष का पद दिया है। पूनिया तो पहले ही स्वीकार कर चुके हैं कि इस बार बिना चेहरे के ही विधानसभा का चुनाव लड़ा जाएगा।  हालांकि पूनिया का प्रदेशाध्यक्ष पद का कार्यकाल इसी माह समाप्त हो रहा है, लेकिन भाजपा हाईकमान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पूनिया अगले विधानसभा चुनाव तक प्रदेश अध्यक्ष बने रहेंगे। पूनिया ने राजनीति में जो मुकाम हासिल किया है उसमें आत्म संतुष्टि बहुत जरूरी है।

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