शशिकांत गुप्ते
अच्छे दिनों में एक विशेषण और जोड़ दिया अमृत काल। दिमाग पर ज्यादा जोर देना ही नहीं हैं। सिर्फ जबानी जमाखर्च ही तो करना है।
अमृत काल में अमृत नाम का लाल फरार हो हो गया।
इस अमृत नाम के लाल ने देश के नौनिहालों को भूरे रंग की शक्कर (Brown शुगर) नामक मादक पदार्थ को उपलब्ध कराने में अपनी निर्भयता को प्रमाणित किया।
ऐसी निर्भयता बगैर नीचे से ऊपर तक “अ”नैतिक सहयोग के संभव ही नहीं है? साथ ही Drone नामक कैमरे जैसे यंत्र से आकाशीय मार्ग से शस्त्र भी आयात करने में सफलता प्राप्त की। संभवतः कानून के हाथ कितने भी लंबे हो,लेकिन उनकी लंबाई आकाश मार्ग तक पहुंचने में असमर्थ है।
आश्चर्य की बात तो यह है कि, जिस सूबे में यह शख्स अवतरित हुआ है,उस सूबे के मुखिया के हाथों में झाड़ू है। इससे भी बड़े आश्चर्य की बात तो यह है कि, इस सूबे के मुखिया के भी जो सर्वेसर्वा हैं,वे हिंदुस्थान के दिल कहलाने वाले सूबे के मुखिया हैं।
इन्होंने अपने सूबे के निवासियों के लिए मदिरा सुलभ रीति से मुहैया करने के लिए नीति बनाई।
मदिरा को बोलचाल की भाषा में शराब कहते हैं।
अमृत काल में देश की भावी पीढ़ी अर्थात भारत माता के असंख्य लाल रोजगार से वंचित हैं?
इसी अमृत काल में शिक्षा के क्षेत्र में परीक्षा देने के पूर्व ही प्रश्न पत्र out हो रहें हैं,मतलब leak हो रहें हैं। अंग्रेजी Leak शब्द का हिंदी अनुवाद होता है, किसी गूढ़ या गुप्त बात का प्रकट होना।
अमृत काल में एक शख्स स्वयं को पीएमओ का अधिकारी बताकर कई दिनों तक काश्मीर की वादियों में अंग्रेजी वर्ण माला के अंतिम वर्णाक्षर Z नामक वर्ण की सुरक्षा प्राप्त कर सुरक्षित होकर बेरोकटोक विचरण करता है?
इस वाकिए के उजागर होने के बाद,खग ही जाने खग की भाषा को यूं लिखा जाना चाहिए ठग ही जाने ठग की भाषा।
वह तो अच्छा हुआ कि, ठग का नाम निरामिष तबके है। यदि सामिष तबके से होता तो धार्मिक उत्साह,उन्माद में बदलने देर नहीं लगती।
अमृत काल में महाराणा प्रताप के गृह प्रांत का एक नगर जो ट्यूशन के उद्योग को स्थापित करने में विश्व स्थापित कर चुका है। इसी नगर के कोचिंग क्लासेस में पढ़ने वाले छात्रों के मानस पर आवश्यकता से अधिक मानसिक बोझ डालने से छात्र अवसाद ग्रस्त होकर अपनी इहलिला समाप्त कर रहें हैं।
युवक और युवतियों की आत्म हत्या की खबर पढ़,सुन कर तो ऐसे प्रतीत होता है,ये छात्र पढ़ाई में एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर रहें हैं,बल्कि आत्म हत्या में अंग्रेजी में Competition कर रहें हैं?
इस नगर का नाम है कोटा। पता नहीं इस नगर के कोचिंग उद्योग ने छात्रों की आत्महत्या का कितना Quota तय कर रखा है?
अमृत काल में देश के नौनिहाल काल के ग्रास बन रहें हैं।
अहम प्रश्न यह अमृत काल के काल व्यथा का कब अंत होगा?
शशिकांत गुप्ते इंदौर