प्रखर अरोड़ा
(लवली प्रोफेसनल यूनिवर्सिटी, पंजाब)
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नए शोधात्मक अध्ययन से पता चला है कि मानव शरीर का निर्माण वास्तव में तारों की धूल से हुआ है।
इस अध्ययन में करीब 150,000 तारों को शामिल किया गया था। इन सितारों के शोध में पाया गया है कि मानव और आकाशगंगा में लगभग 97 प्रतिशत परमाणुओं के समान तत्व हैं तथा जीवन आकाशगंगा के केंद्र की ओर अधिक प्रचलित दिखता है।
पृथ्वी पर जीवन के लिए महत्वपूर्ण तत्व, जिन्हे जीवन के निर्माण का आधार कहा जाता है:
कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, फास्फोरस और सल्फर।
पहली बार, खगोलविदों ने सितारों के एक विशाल नमूने में इन तत्वों की प्रचुरता को सूचीबद्ध किया है।
इसके लिए खगोलविदों ने स्पेक्ट्रोस्कोपी नामक एक विधि के माध्यम से प्रत्येक तत्व की प्रचुरता का मूल्यांकन किया । प्रत्येक तत्व एक तारे के भीतर से प्रकाश की अपनी अलग तरंग दैर्ध्य का उत्सर्जन करता है, उन्होंने यह निर्धारित करने के लिए प्रत्येक तारे के हल्के स्पेक्ट्रम में अंधेरे और उज्ज्वल भाग की गहराई को मापा।
शोधकर्ताओं ने न्यू मैक्सिको में स्लोअन डिजिटल स्काई सर्वे (एसडीएसएस) [Sloan Digital Sky Survey’s (SDSS)] अपाचे प्वाइंट वेधशाला ग्लेक्टिक इवॉल्यूशन एक्सपीरिमेंट (एपीजीई)[Apache Point Observatory Galactic Evolution Experiment (APOGEE) ] स्पेक्ट्रोग्राफ से तारकीय(तारों से संबंधी) माप का इस्तेमाल किया।
एपोजी(APOGEE) आकाशगंगा में धूल के पार देख सकता है क्योंकि यह अवरक्त तरंगदैर्य का उपयोग करता है, जो धूल से गुजर सकती हैं।
स्लोअन के प्रतिनिधियों ने एक बयान में कहा , “यह उपकरण विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम के निकट-अवरक्त भाग में प्रकाश इकट्ठा करता है और इसे एक प्रिज़्म (prism) के समान फैलाता है, जिससे सितारों के वायुमंडल में विभिन्न तत्वों की उपस्थिति प्रकट होती है “।
एक बयान में कहा गया है कि “नासा के केप्लर मिशन जो कि पृथ्वी जैसे संभावित ग्रहों को खोजने के लिए डिजाइन किया गया था, द्वारा लक्षित सितारों के साथ APOGEE द्वारा लगभग 200,000 सितारों का अध्ययन किया गया है “।
केपलर मिशन में जिन सितारों और ग्रहों पर चट्टानों के होने के सबूत हैं, APOGEE द्वारा किए सर्वेक्षण में उन्हे भी शामिल किया गया है।
यद्यपि मनुष्य और सितारों में सबसे अधिक तत्व मिलते जुलते हैं, लेकिन उन तत्वों का अनुपात मनुष्यों और सितारों के बीच भिन्न-भिन्न होता है। उदाहरण के लिए, मनुष्य द्रव्यमान का लगभग 65 प्रतिशत ऑक्सीजन है, जबकि ऑक्सीजन अंतरिक्ष में पाए गए सभी तत्वों में 1 प्रतिशत से भी कम है।
पृथ्वी पर जीवन के छह सबसे आम तत्व जिनसे मानव शरीर के द्रव्यमान का 97% से अधिक हिस्सा बना होता है: कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, सल्फर और फास्फोरस हैं।
ये सभी तत्व हमारी आकाशगंगा के केंद्र में प्रचुर मात्रा में हैं।
जीवन के प्रत्येक तत्व का अनुपात आकाशगंगा में क्षेत्र के आधार पर अलग-अलग है। उदाहरण के लिए-
हमारा सूर्य आकाशगंगा के सर्पिल भुजाओं के बाहरी क्षेत्र में है। आकाशगंगा के केंद्रीय क्षेत्रों की तुलना में बाहरी हिस्सों में सितारों पर जीवन निर्माण के लिए ऑक्सिजन जैसे आवश्यक तत्व भारी मात्रा में होते हैं।
एसडीएसएस (SDSS) की विज्ञान टीम की अध्यक्ष जेनिफर जॉनसन ने कहा, “यह एक महान मानव-रुचि की कहानी है कि हम अपने आकाशगंगा में सैकड़ों हजारों सितारों में मानव शरीर में पाए गए सभी प्रमुख तत्वों की प्रचुरता को मापने में सक्षम हैं।”
ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर ने कहा, “यह हमें हमारी आकाशगंगा में जीवन के आवश्यक तत्वों को विकसित करने में सक्षम बनाता है जो एक प्रकार का आकाशगंगा में अस्थायी रहने योग्य क्षेत्र (habitable zone) प्रदान करता है ।”
*पृथ्वी पर जीवन का आरंभ ऑक्सीजन की धीमी वृद्धि के बाद :*
पृथ्वी पर 60 करोड़ साल पहले जीव की उत्पत्ति के लिए जरूरी ऑक्सिजन स्तर को बनने में करीब 10 करोड़ साल लगे थे। एक अन्य रिसर्च में यह जानकारी दी गई है।
यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के मुख्य शोधार्थी फिलिप पोग का कहना है, “इस अध्ययन का उद्देश्य जलवायु के विकास और जीवन के विकास के बीच संबंध पता लगाना था।”
शोधार्थियों ने अमेरिका, चीन और कनाडा में नए ट्रेसर के इस्तेमाल से करोड़ों साल पहले के ऑक्सिजन स्तर को समझने की कोशिश की है।
शोधार्थियों ने चट्टानों में सेलिनियम आइसोटोप के जरिए पता लगाया है कि पृथ्वी पर उस समय ऑक्सिजन का स्तर 1 प्रतिशत से भी कम था जिसे 10 प्रतिशत या मौजूद स्तर तक बनने में लगभग 10 करोड़ साल का समय लगा।
यह यकीनन पृथ्वी के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण घटना थी क्योंकि यह जीव की उत्पत्ति की एक शुरुआत थी जो अब तक बरकरार है।
*वैज्ञानिक स्ट्रैंडमैन कहते हैं,-*
‘हम यह देखकर चकित हो गए थे कि पृथ्वी पर ऑक्सिजन बनने में इतना समय लगा। हमारा शोध उन सभी सिंद्धातों से अलग है जो यह बताते हैं कि ऑक्सिजन उत्पादन एक त्वरित प्रक्रिया थी।’
आज तक इस बात का पता नहीं चल पाया है कि पृथ्वी का वायुमंडल और महासागर कितनी तेजी से ऑक्सिजनयुक्त जाते हैं।
अब तक यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि पशु जीवन का विस्तार ऑक्सिजन स्तर बढ़ने के बाद हुआ या पूर्व में हो चुका था।
यह अध्ययन ‘जर्नल नेचर कम्यिुनिकेशन’ पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
(चेतना विकास मिशन)