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साइंटिस्टों ने माना, हार्ट जोखिम के लिए जिम्मेदार है कोविशील्ड 

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             डॉ. प्रिया 

कोरोना वायरस का आतंक आज भी मौजूद है। वह दौर याद करके ही लोग सहम जाते हैं, जब हर दिन अपने आसपास किसी न किसी के जाने की खबर लोग सुन रहे थे। कोविड के आतंक से बचाव के लिए वैक्सीन बाज़ार में लाई गई और यह आग्रह किया गया कि सभी इसकी दोनों खुराक लें। अब इसके साइड इफेक्ट्स की खबरें भी आने लगीं है।

      हृदय संबंधी बीमारियों में कोविड के बाद से ही बढ़ोतरी देखी गई। अब ब्रिटेन की दिग्गज दवा कंपनी ने यह स्वीकार किया है कि कोरोना वैक्सीन लेने के बाद  हृदय संबंधी समस्याएं होती हैं।

*क्या है पूरा मामला?*

      हाल के शोध बताते हैं कि कोरोना वायरस के लिए ली जाने वाली वैक्सीन हार्ट अटैक का कारण भी बनती है। कोविड-19 वैक्सीन एस्ट्राजेनेका एक ख़ास फॉर्मूले से तैयार हुई वैक्सीन है। इसे तैयार करने वाली कंपनी ने माना कि यह वैक्सीन हार्ट डिजीज का कारण बनती है।

    सबसे बड़ी बात यह है कि भारत में कोविशील्ड और वैक्सजेवरिया कोरोना वायरस वैक्सीन इसी फॉर्मूले पर तैयार होती है।

*हृदय में हो सकती है सूजन*

ब्रिटिश मेडिकल जनरल (BMJ) में कोरोना वायरस वैक्सीन पर एक स्टडी प्रकाशित की गई। इसके अनुसार युवा पुरुषों में दूसरी खुराक के तुरंत बाद सबसे अधिक जोखिम देखा गया। स्टडी में यह सुझाव भी दिया गया कि लंबे अंतराल पर खुराक लेना कम खतरनाक हो सकता है।

कोविड-19 वायरस के खिलाफ  टीकाकरण के बाद हृदय की सूजन मायोकार्डिटिस और पेरीकार्डिटिस के जोखिम देखे गए। कनाडा के कनेडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ रिसर्च के शोधकर्ताओं ने 46 अध्ययनों से 8,000 से अधिक रिपोर्ट पेश किए गए। हालांकि मायोकार्डिटिस दुर्लभ है। लेकिन कोविड-19 mRNA टीकाकरण की दूसरी खुराक के तुरंत बाद युवा पुरुषों में इसके मामले सबसे अधिक देखे गए।

*पुरुष अधिक प्रभावित :*

हृदय की मांसपेशियों की सूजन मायोकार्डिटिस है और हृदय के चारों ओर द्रव से भरी थैली की सूजन पेरीकार्डिटिस है। ये आमतौर पर वायरल संक्रमण से शुरू होती हैं। कोविड-19 mRNA टीकाकरण के बाद इन स्थितियों की रिपोर्ट ने निरंतर निगरानी और शोध को प्रेरित किया है।

     परिणामों से पता चलता है कि mRNA टीकों के बाद मायोकार्डिटिस की दर पुरुष किशोरों और युवा पुरुष वयस्कों में सबसे अधिक थी। 12-17 वर्ष के बच्चों में प्रति मिलियन 50-139 मामले और 18-29 वर्ष के बच्चों में प्रति मिलियन 28-147 मामले। निष्कर्ष इंगित करते हैं कि इन स्थितियों की दरों को काफी हद तक कम करने के लिए खुराक अंतराल को 56 दिनों से अधिक तक बढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है।

        शोध यह भी दर्शाते हैं कि मायोकार्डिटिस या पेरीकार्डिटिस का जोखिम कम हो सकता है। अगर पहली खुराक के 30 दिनों से अधिक समय बाद दूसरी खुराक दी जाती है।

*थ्रोम्बोसिस विद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम* 

ब्रिटेन की दिग्गज दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने यह स्वीकार किया है कि कोविड-19 वैक्सीन एस्ट्राजेनेका से थ्रोम्बोसिस विद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) नामक एक दुर्लभ साइड इफेक्ट होता है। 

    यह स्वीकारोक्ति ऐसे समय में आई है जब कंपनी पर वैक्सीन के कारण गंभीर नुकसान और मौतों का आरोप लगाते हुए मुकदमा चल रहा है।

     थ्रोम्बोसिस विद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) एक रेयर खून का थक्का जमने की बीमारी है। इस वैक्सीन का एक संभावित साइड इफेक्ट यह भी होता है। कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह रेयर रोग उन लोगों में भी हो सकता है, जिन्हें टीका नहीं लगाया गया है।

*थ्रोम्बोसिस विद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के संकेत :*

थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) में ब्लड के थक्के के साथ प्लेटलेट्स के लो लेवल हो जाते हैं। प्लेटलेट्स ब्लड क्लॉट (blood clotting) के लिए आवश्यक है। इसमें अक्सर असामान्य ब्लड के थक्के होते हैं, जो शरीर के ख़ास स्थान जैसे कि मस्तिष्क या पेट में बनते हैं। मेलबर्न वैक्सीन एजुकेशन सेंटर के अनुसार, यह एक दुर्लभ सिंड्रोम है।

      यह उन लोगों में रिपोर्ट किया गया, जिन्होंने एडेनोवायरल वेक्टर कोविड -19 टीके जैसे वैक्सज़ेव्रिया (एस्ट्राजेनेका) और जॉनसन एंड जॉनसन कोविड -19 वैक्सीन प्राप्त किए थे।

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