डॉ. अरुण कुमार उरांव
राजनीतिक पार्टियों के चुनावी घोषणा पत्रों में बड़ी-बड़ी एवं व्यापक चुनावी वादे किए जाते हैं। इन वादों को जमीनी स्तर पर लागू करने में राजनीतिक पार्टियां शासन में आने के बाद कितनी गंभीरता से काम करती हैं, इसका अनुभव जनता को पिछले कई वर्षों से है। राजनीतिक पार्टियों के चुनावी वादों पारदर्शी तरीके से जमीन पर उतर सकें, इसमें जनता की भागीदारी भी अहम होती है। लेकिन इस बार भाजपा के घोषणापत्र से ऐसा प्रतीत होता है कि यह लोकसभा चुनाव 2024 के लिए नहीं बल्कि 2047 के लिए लड़ा जा रहा है। इस तरह उसकी घोषणापत्र जनता के बीच हवाई किला बनाने जैसा प्रतीत होती है। भाजपा का घोषणापत्र कभी 2047 की तो कभी 2070 की स्थिति के बारे में उल्लेख करता है, लेकिन पिछले दस साल के कार्यों के बारे में वास्तविक आंकड़ा प्रस्तुत नहीं करता है। इससे जाहिर होता है कि भाजपा देश के नागरिकों के प्रति कितनी सजग है।
भाजपा का घोषणापत्र कभी 2047 की तो कभी 2070 की स्थिति के बारे में उल्लेख करता है, लेकिन पिछले दस साल के कार्यों के बारे में वास्तविक आंकड़ा प्रस्तुत नहीं करता है। इससे जाहिर होता है कि भाजपा देश के नागरिकों के प्रति कितनी सजग है। वहीं कांग्रेस पार्टी का घोषणापत्र कई मायनों में अहम है, जिसमें उदारीकरण की नीति को लागू करने को स्वीकार करते हुए सरकारी संस्थाओं को मजबूत करने की बात कही गई है। कांग्रेस संवैधानिक नियमों को मजबूत करने की बात करती है, जबकि भाजपा सुशासन का वाक्यवाण छोड़कर अल्पसंख्यकों के बीच एक दशक के शासन काल में डर का वातावरण पैदा कर सामाजिक समरसता, बंधुता, विविधता और सामाजिक सद्भाव में द्वंद्व पैदा किया है।
इससे भी महत्वपूर्ण बात यह कि भाजपा के इस पूरे घोषणापत्र में कुल 76 पन्ने हैं और इनमें अंतिम चार पन्ने नोट्स के लिए रिक्त रखे गए हैं, को छोड़ दें तो लगभग हर पन्ने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विभिन्न मुद्राओं वाली तस्वीरें हैं। और इससे भी महत्वपूर्ण यह कि पूरे घोषणापत्र में सामाजिक न्याय, आरक्षण और जातिगत जनगणना की बात नहीं कही गई है।
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपने संकल्प पत्र को मोदी की गारंटी से जोड़ा है। भाजपा के घोषणापत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने देश के नाम संदेश देते हुए कहा है कि हमारे युवा 2047 तक भारत को विकसित बनाने के लिए संकल्पबद्ध हैं। इस घोषणापत्र में प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया है कि भाजपा सरकार ने डूबती हुई अर्थव्यवस्था को शीर्ष पांच में पहुंचा दिया है। वहीं मोदी अमृतकाल की प्रगति के बारे में बात करते हैं और पांच वर्ष के लिए फिर से चुनने की अपील करते हैं।
कांग्रेस पार्टी ‘न्याय का संकल्प’ में दोहराती है कि भारत का संविधान हमेशा हमारे साथ रहेगा और हमारा एकमात्र मार्गदर्शक रहेगा। कांग्रेस अपने न्यायपत्र को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से जोड़ती है और आश्वासन देती है कि आज भी संविधान वैध है। वर्तमान समय में कांग्रेस पार्टी अपने घोषणा पत्र को और अधिक प्रासंगिक बनाती है, इसलिए कांग्रेस 2019 की चेतावनी को फिर से दोहराती है।
कांग्रेस पार्टी चुनावी घोषणा पत्र के माध्यम से आगाह करना चाहती है कि आज बेरोजगारी की दर आठ प्रतिशत है और स्नातकों के बीच यह बेरोजगारी दर 40 प्रतिशत से अधिक पहुंच गई है।
बताते चलें कि वर्ष 2021 में किसानों को तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए 16 महीनों तक सड़कों पर उतरना पड़ा था। वे तीनों कानून किसानों को व्यावसायिक घरानों का गुलाम बनाते हैं। इसलिए किसान आज भी सड़कों पर हैं। वर्तमान सरकार ने जीएसटी के जरिए लाखों व्यापारियों से अत्यधिक टैक्स वसूला है और मुफ्त व्यापार को बाधित कर दिया है। इसके साथ ही लाखों सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम बंद हो चुके हैं। अब ये सारे उद्यम नौकरियां पैदा करने में सक्षम नहीं हैं। वर्ष 2014 से 2022 के बीच महिलाओं के खिलाफ अपराध 31 फीसदी बढ़ गया है। सरकार के विभिन्न विभागों में एवं अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में खाली पड़े पदों के कारण अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के लोग नौकरियों से वंचित हो गए हैं। आदिवासियों को उनके वन अधिकारों से वंचित रखा गया है। कांग्रेस पार्टी ने संवैधानिक निकायों सहित प्रत्येक संस्था को वर्तमान सरकार द्वारा कमजोर करने पर भी सवाल उठाया है। इसके साथ ही पार्टी ने अपने न्यायपत्र में ‘डर’ का भी उल्लेख किया है। कांग्रेस पार्टी का कहना है कि पिछले पांच वर्षों से हर वर्ग के लोग भय में जी रहे हैं। लोगों को डराने-धमकाने के लिए कानूनों और जांच एजेंसियों को हथियार बना लिया गया है। वर्तमान सरकार अपनी कथनी और करनी के माध्यम से धार्मिक, भाषाई और जातीय समूहों के बीच नफरत फैलाने का काम कर रही है।
कांग्रेस का ‘न्याय का संकल्प’ बनाम भाजपा का ‘सबका साथ, सबका विकास’
कांग्रेस पार्टी ने भाजपा के ‘सबका साथ सबका विकास’ की जगह पर हिस्सेदारी न्याय की बात कही है। कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणापत्र में यह उल्लेख किया है कि वह पिछले सात दशकों से समाज के पिछड़े, वंचित, पीड़ित और शोषित वर्गों एवं जातियों के हक और अधिकार के लिए सबसे अधिक मुखरता के साथ आवाज़ उठाती रही है। लेकिन, जाति के आधार पर होने वाला भेदभाव आज भी हमारे समाज की हकीकत है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग देश की आबादी के लगभग 70 प्रतिशत हैं, लेकिन अच्छी नौकरियों, अच्छे व्यवसायों और ऊंचे पदों पर उनकी भागीदारी काफी कम है। पार्टी ने इस तथ्य पर जोर दिया है कि आधुनिक समाज में जन्म के आधार पर इस तरह की असमानता, भेदभाव और अवसर की कमी बर्दाश्त नहीं होनी चाहिए।
वहीं भाजपा ने अपने घोषणापत्र में उल्लेख किया है कि पार्टी कमजोर और वंचित परिवारों के कल्याण को प्राथमिकता दी है। वंचितों को वरीयता और अंत्योदय जैसे मूल्य हमारे ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र का मार्गदर्शन करते हैं। हम समाज के सभी वंचित वर्गों के जीवन में गुणात्मक सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। लेकिन पिछले दस वर्षों के कार्यों से ऐसा नहीं लगता है कि भाजपा सभी समुदायों को साथ लेकर चलती है। आदिवासियों के लिए संग्रहालय, वहीं अल्पसंख्यकों में भाषाई अल्पसंख्यकों के संरक्षण की बात की है, जबकि देश में अलग-अलग अल्पसंख्यक समुदाय के लोग हैं, जिन्हें सीधे तौर पर नकार दिया गया है।
कांग्रेस का ‘युवा न्याय’ बनाम भाजपा का ‘युवाओं के लिए अवसर’
कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणापत्र में उल्लेख किया है कि भविष्य आज के युवाओं में निहित है। यह बात विशेष रूप से भारत जैसे युवा राष्ट्र के लिए प्रासंगिक है, जिसकी औसत आयु केवल 28 वर्ष है। आज भारत के युवाओं को बेरोजगारी के साथ-साथ निराशा का भी सामना करना पड़ रहा है। इसका मूल कारण बड़े पैमाने पर बेरोजगारी है, जो भाजपा/एनडीए सरकार के शासन काल में हर साल बढ़ती जा रही है। कांग्रेस पार्टी युवा न्याय कार्यक्रम के माध्यम से भारत के युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करेगी। कांग्रेस पेपर लीक मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से न्याय एवं मुआवजा दिलाने की बात कहती है।
वहीं भाजपा अपने घोषणापत्र में युवाओं के श्रम एवं कौशल क्षमता का पूरा उपयोग कर सके, इसके बारे में बात करती है। इसके साथ ही युवाओं को सीखते हुए कमाने के अवसर देने के लिए नई शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) के अंतर्गत एकीकृत शिक्षा प्रणाली विकसित करने की बात की है। भाजपा युवाओं को एनईपी और अन्य योजनाओं के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, विश्व स्तरीय खेल सुविधाएं, रोजगार और उद्यमिता के अवसरों की गारंटी की बात करती है। इसके साथ ही पेपर लीक नियंत्रण के लिए कानून लागू करने की बात करती है।
कांग्रेस का ‘नारी न्याय’ बनाम भाजपा का ‘नारी शक्ति का सशक्तिकरण’
कांग्रेस पार्टी का मानना है कि आय और अवसर की असमानता भारत का सबसे कटु सत्य है। इसलिए यह सुनिश्चित करना किसी भी सरकार की नैतिक और राजनीतिक जिम्मेदारी है कि प्रत्येक भारतीय परिवार को हर महीने एक निश्चित आय सुनिश्चित हो। कांग्रेस पार्टी ने महालक्ष्मी योजना शुरू करने का संकल्प लिया है। इस योजना की राशि सीधे घर की सबसे बुजुर्ग महिला के बैंक खाते में स्थानांतरित की जाएगी।
जबकि भाजपा अपने घोषणापत्र में नारी शक्ति की समान भागीदारी सुनिश्चित करने की बात करती है। नए कानूनी प्रावधानों और नीतियों के माध्यम से महिलाओं का गरिमापूर्ण जीवन सुनिश्चित करके उन्हें समान विकास के अवसर प्रदान करने की बात की गई है। लेकिन वास्तविक स्थिति इससे काफी अलग है।
कांग्रेस का ‘किसान न्याय’ बनाम भाजपा का ‘किसानों का सम्मान’
कांग्रेस ने घोषणापत्र में किसान आंदोलन का उल्लेख करते हुए, कृषि क्षेत्र में गहरे संकट के बारे में ध्यान आकर्षित करने का काम किया है। इसके साथ ही कांग्रेस ने किसानों को उनकी उपज का उचित और लाभकारी मूल्य देने और उत्पादकों के पास अपनी उपज के विपणन के लिए पर्याप्त रास्ते के बारे में बताया है। खेतिहर मजदूरों की दुर्दशा तो और भी बदतर है। काम की उपलब्धता अनियमित है और मजदूरी लगभग चार वर्षों से स्थिर है। कांग्रेस ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी गारंटी देने की बात की है।
दूसरी ओर भाजपा अपने घोषणापत्र में किसानों के सम्मान और सशक्तिकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की बात करती है। वह इस बात का उल्लेख करती है कि पिछले दस वर्षों में साॅइल हेल्थ कार्ड, सूक्ष्म सिंचाई, फसल बीमा, आसानी से बीज की उपलब्धता जैसी विभिन्न नीतियों एवं पीएम किसान सम्मान योजना के अंतर्गत सीधे उनके खातों में वित्तीय सहायता प्रदान करने की बात की है। भाजपा ने एमएसपी में लगातार वृद्धि की बात भी कही है।
कांग्रेस का ‘श्रमिक न्याय’ बनाम भाजपा का ‘श्रमिकों का सम्मान’
कांग्रेस पूर्ण रोजगार और उच्च उत्पादकता के अपने दोहरे लक्ष्यों को पूरा करने के लिए श्रम और पूंजी निवेश के बीच संतुलन बहाल करने के लिए औद्योगिक और श्रम कानूनों में सुधार लाएगी और मनरेगा के तहत मजदूरी बढ़ाकर 400 रुपए प्रतिदिन करेगी। कक्षाओं, पुस्तकालयों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों जैसी सार्वजनिक संपत्तियों के निमार्ण के लिए मनरेगा निधि और श्रमिकों को भी तैनात किया जा सकेगा।
वहीं भाजपा अपने घोषणापत्र में श्रमिक परिवारों के योगदान को मानती है। इसके साथ-साथ असंगठित एवं नई अर्थव्यवस्था में काम करने वाले डिलीवरी ब्वॉयज, ट्रक ड्राइवर, सामान उठाने वाले पोर्टर, घरेलू काम करने वाले श्रमिक, रेहड़ी-पटरी पर सामान बेचकर जीने वाले श्रमिक सहित सभी श्रमिकों के लिए सर्वोत्तम अवसर और सुगम सुविधाएं प्रदान करने की बात कहती है। इसके साथ ही ई-श्रम को बढ़ाने की बात करती है।
कांग्रेस का ‘संवैधानिक न्याय’ बनाम भाजपा का ‘सुशासन’
कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में भारत के लोकतंत्र को खोखला किए जाने एवं संसद सहित प्रत्येक संस्था के अपनी स्वतंत्रता खोने और तत्कालीन सरकार के अधीन होने की बात कही है। उसने देश को एक व्यक्ति की इच्छा पर नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक तरीके से चलाने की बात कही है। इसके साथ ही वह मीडिया की पूर्ण स्वतंत्रता सहित भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बहाल करने का वादा करती है।
जबकि भाजपा अपने घोषणापत्र में पिछले एक दशक में बनाए गए नीतियों, तकनीक के उपयोग और सरल प्रक्रियाओं के माध्यम से देश में सुशासन के नए आयाम स्थापित करने की बात करती है। भाजपा ने नागरिक और सरकार के बीच संबंध को निरंतर बेहतर बनाने के लिए संस्थागत सुधार करते रहने और तकनीक के सही उपयोग से सभी प्रक्रियाओं को सरल बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए भ्रष्टाचार के खिलाफ कानूनों का सख्ती से पालन करने की बात कही है। इसके साथ ही वह अनुच्छेद 44 के अनुरूप समान नागरिक संहिता बनाने की बात करती है।
कांग्रेस का ‘आर्थिक न्याय’ बनाम भाजपा का ‘समृद्ध भारत’
कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में उल्लेख किया है कि आर्थिक न्याय उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि राजनीतिक और सामाजिक न्याय। कांग्रेस की आर्थिक नीति समय के साथ विकसित हुई है। सन् 1991 में कांग्रेस ने उदारीकरण की नीति अपनाकर देश को एक खुली, स्वतंत्र और प्रतिस्पर्धा से भरी अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ाया है। कांग्रेस खुली अर्थव्यवस्था के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में सामंजस्य स्थापित करेगी। कांग्रेस की अर्थव्यवस्था काम, धन और जनकल्याण पर आधारित होगी।
दूसरी ओर भाजपा ने अपने घोषणापत्र में उल्लेख किया है कि भारत विश्व की 5वीं आर्थिक शक्ति बनने में सफलता हासिल की है। इसके साथ ही यह भी दावा किया है कि वित्तीय प्रणाली को पिछले दस सालों में मजबूत किया गया और देश को 2047 तक विकसित भारत बनाने की बात कही है।
कांग्रेस का ‘रक्षा न्याय’ बनाम भाजपा का ‘सुरक्षित भारत’
कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में उल्लेख किया है कि वर्ष 2020 में लद्दाख में चीनी घुसपैठ एवं गलवान झड़प ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले मौजूदा भाजपा सरकार की असफलता को प्रमाणित किया है। 21वीं सदी के दौर की सैन्य-स्तरीय वार्ता के बावजूद, चीनी सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र पर कब्जा किया हुआ है और भारतीय सुरक्षा बलों को पूर्वी लद्दाख में 2000 वर्ग किमी के क्षेत्र के बराबर 65 पेट्रोलिंग प्वाइंट्स में से 26 तक पहुंच से वंचित कर दिया है। डोकलाम में चीन के निर्माण से सिलीगुड़ी काॅरिडोर को खतरा है, जो पूर्वोत्तर भारत को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है। इसके साथ-साथ अग्निवीर योजना को खत्म करने और सेना, नौसेना और वायु सेना द्वारा अपनाई जाने वाली सामान्य भर्ती प्रक्रियाओं पर वापस लौटने, और सारे सैनिकों के लिए आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देने की बात कही है।
जबकि भाजपा ने अपने घोषणापत्र में दावा किया है कि पिछले दस वर्षों से उसने देश और नागरिकों को आतंकवाद और नक्सलवाद के खतरों से बचाने के लिए स्पष्ट रूख अपनाया है। इसके साथ ही आतंकवाद के खिलाफ जीरो टाॅलरेंस की नीति अपनाने और आगे भी अपने देश और नागरिकों को सुरक्षित रखने की बात कही है।
कांग्रेस का ‘पर्यावरण न्याय’ बनाम भाजपा का ‘पर्यावरण अनुकूल भारत’
कांग्रेस समावेशी और सतत विकास के प्रति अपनी गहन प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है। इसके साथ ही वह पारिस्थितिकी तंत्र, स्थानीय समुदायों, वनस्पतियों और जीवों की रक्षा करेगी। कांग्रेस ने पर्यावरण मानकों की स्थापना, निगरानी और कार्यान्वयन और राष्ट्रीय और राज्य जलवायु परिवर्तन योजनाओं को लागू करने के लिए एक स्वतंत्र पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन प्राधिकरण के गठन की बात कही है। कांग्रेस घोषणापत्र में यह दावा करती है कि भारत में वर्ष 2015 एवं 2020 के बीच ब्राजील के बाद वन क्षेत्र की सबसे बड़ी हानि हुई। कांग्रेस वन क्षेत्र को बढ़ाने, वन एवं वन आवरण को फिर से परिभाषित करने के लिए राज्य सरकारों के साथ काम करेगी। एवं आधुनिक वैज्ञानिक मानकों के अनुसार वनीकरण में स्थानीय समुदायों को शामिल करने को प्राथमिकता देगी।
भाजपा घोषणापत्र यह दावा करती है कि प्रधानमंत्री द्वारा दी गई पर्यावरण के लिए जीवन शैली की अवधारणा को दुनिया ने स्वीकार किया है। इसे साकार करने के लिए पर्यावरण प्रबंधन के सभी पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। भारत, पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली में दुनियां का नेतृत्व करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें पारंपरिक ज्ञान के साथ-साथ आधुनिक प्रथाओं का उपयोग करके एक स्वस्थ्य समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देने की बात कही गई है। इसके साथ ही 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन (नेट जीरो एमिशन) प्राप्त करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ने की बात कही है।
यह सर्वविदित है कि सभी राजनीतिक पार्टियां अपने चुनावी घोषणपत्रों में बहुत बड़ी-बड़ी चुनावी वादा और उन्हें पूरा करने के बारे में जिक्र नहीं करती हैं। भारतीय जनता पार्टी के 2024 की चुनावी घोषणापत्र से साफ जाहिर होता है कि वह अपने पिछले दस वर्षों में किये गये बड़े-बड़े वादे और उन्हें पूरा करने के बारे में कोई जिक्र नहीं करती है। वह इस घोषणापत्र में अगले पांच साल में जनता को बेहतर जीवन देने के लिए किस तरह काम करेगी, उसके बारे में कोई उल्लेख नहीं करती, बल्कि वर्ष 2024 के चुनाव में वर्ष 2047 और 2070 की बात करती है। इससे जाहिर होता है कि भाजपा ने पिछले दस वर्षों में जिस तरह का कार्य किया है, उससे बचने की कोशिश कर रही है।
जहां एक तरफ कांग्रेस हिस्सेदारी न्याय की बात करती है, वहीं भाजपा अपने हिन्दुत्व एजेंडे को बड़ी चतुराई से इस घोषणापत्र के माध्यम से लोगों के बीच लाई है, जिसमें भाजपा ने अल्पसंख्यक की बात कही है। जबकि पिछले दस सालों से देश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों का किस तरह से हनन किया जा रहा है, उसके बारे में सुरक्षा प्रदान करने की बात नहीं करती है।
कांग्रेस बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने की बात करती है। वहीं भाजपा युवाओं को 2047 का सपना दिखा रही है। भाजपा सरकार नारी शक्ति वंदन बिल को अपने घोषणापत्र में उल्लेख नहीं करती है, क्योंकि यह वर्ष 2029 के बाद लोकसभा तथा राज्य के विधानसभाओं पर लागू होगी। वहीं कांग्रेस ने महालक्ष्मी योजना के तहत घर की बुजुर्ग महिला के खाते में प्रत्येक माह एक सुनिश्चित धनराशि देने की बात कही है।