(अशोक अरोड़ा सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं। उन्होंने मतगणना से पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक खुला पत्र लिखा है। इस पत्र को न केवल उन्होंने लिपिबद्ध किया है बल्कि अपने यूट्यूब चैनल पर भी इसका प्रसारण किया है। इस पत्र में उन्होंने राष्ट्रपति से निवर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी को सरकार बनाने के लिए किसी भी कीमत पर आमंत्रित नहीं करने की गुजारिश की है। इस कड़ी में उन्होंने मोदी द्वारा किए गए गुनाहों और कानून के उल्लंघनों की लंबी फेहरिस्त पेश की है। पेश है उनका पूरा पत्र-संपादक)
नमस्कार,
मेरा नाम अशोक अरोड़ा है। मैं पिछले 50 सालों से कानून पढ़ रहा हूं और पढ़ा भी रहा हूं। परिचय के लिए इतना काफी है कि वर्तमान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया भी मेरे कॉलेज के जूनियर थे। इसका मतलब बाकी सारे जज भी मेरे जूनियर ही हुए। मैं भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के इतिहास में भी पहला और आखिरी व्यक्ति हूं जो तीन बार डिस्ट्रिक्ट बार का और तीन बार सुप्रीम कोर्ट बार का सेक्रेटरी बना।
आज मैं आपसे निवेदन, रिक्वेस्ट और गुजारिश करना चाहता हूं कि चुनाव परिणाम 4 तारीख की शाम तक आ जाएंगे। यह आपकी पावर और विवेक पर निर्भर है कि आप किसे सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हैं। मैंने आपके बारे में जितना पढ़ा है, उससे मुझे यह आभास हुआ है कि मुझे आपके लिए बहुत आदर है। मुझे पक्का पता है कि आपको यह ज्ञान और जागरूकता है कि भारत एक न्यूक्लियर पावर है। भारत की बागडोर एक ऐसे व्यक्ति के हाथ में होनी चाहिए जो कम से कम संतुलित और दूरदर्शी हो।
कानून की बात करें तो कानून के अनुसार, यदि सिंगल लार्जेस्ट पार्टी की बहुमत है, तो उसके नेता को आमंत्रित कर सकते हैं और करना भी चाहिए। यदि सिंगल लार्जेस्ट पार्टी की बहुमत नहीं है, तो प्री-पोल एलायंस, यानी चुनाव से पहले जिनका आपस में गठबंधन था, उन्हें भी बुला सकते हैं। यदि प्री-पोल एलायंस नहीं है, तो पोस्ट-पोल एलायंस भी हो सकता है। पोस्ट-पोल एलायंस में यदि आपको लगे कि यह गठबंधन स्थिर सरकार बना सकता है, तो उन्हें आमंत्रित करना चाहिए। स्थिर सरकार सबसे जरूरी चीज है। यह याद रखना भी महत्वपूर्ण है कि सिंगल लार्जेस्ट पार्टी कोई जादू की छड़ी नहीं है कि जिसे आप अवश्य आमंत्रित करें।
यह आपकी विवेक और पावर है, और यह संभव है कि अगले तीन साल में आपको यह मौका फिर कभी न मिले। इसलिए, यह आपके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण फैसला हो सकता है। इस बड़े फैसले का मौका आपको दोबारा मिले या न मिले, यह कोई नहीं जानता।
है, इसलिए यह बात बहुत जरूरी है कि हम सबको सोचनी चाहिए। कुछ चीजें बहुत जरूरी हैं, और एक व्यक्ति को, मुझे लगता है, आपको बिल्कुल भी इनवाइट नहीं करना चाहिए। जैसा मैंने कहा कि सिंगल लार्जेस्ट पार्टी का लीडर कोई मैजिक स्टिक नहीं है। टाइम्स मैगजीन ने इस व्यक्ति के बारे में छापा था, मोदी, मैं नाम ले देता हूं, हालांकि मुझे यह नाम लेने में अच्छा नहीं लगता। टाइम्स मैगजीन ने इसे “डिवाइडर इन चीफ” कहा था। ऑस्ट्रेलिया के एक न्यूज़पेपर में भी छपा था कि यह व्यक्ति उन लोगों के लिए वोट मांग रहा था जिनके ऊपर रेप के कई केसेज हैं। वाशिंगटन न्यूज में दो दिन पहले की खबर है कि यूएनओ में कहा गया है कि यह व्यक्ति न केवल देश के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरा है।
यह व्यक्ति अभी भी भाषणों में कहता है कि “मैं घर में घुस के मारता हूं।” यह भाषा देखकर कैसे आप उकसाते हैं, यह कैसे पूरे देश और दुनिया की शांति भंग कर रहे हैं। इसलिए मैं कहता हूं कि यह व्यक्ति संतुलित नहीं है। आपको भी पता है, आईबी रिपोर्ट्स के खिलाफ आने के बाद से यह व्यक्ति बौखला गया है। कभी भैंस बोलता है, कभी मंगलसूत्र, और कभी कहता है कि “आपके घर से बिजली काट देंगे, पानी काट देंगे,” और ज्यादा बच्चे पैदा करने पर टिप्पणियाँ करता है।
यह मेरा 50 साल का तजुर्बा है, और यह बड़े अफसोस की बात है कि पूरे देश में इस व्यक्ति ने 15-16 सालों में इतनी बदतमीजी और अपराध किए हैं। इसकी हर स्पीच एक क्राइम थी। यह बहुत अफसोस की बात है कि ऐसा हुआ है।
पूरे देश में एक भी सब-इंस्पेक्टर ऐसा नहीं था जो इसे गिरफ्तार कर लेता। इसके लिए वारंट की जरूरत नहीं है; अगर आप नफरत फैला रहे हैं, तो आपको गिरफ्तार किया जा सकता है। इसकी हर स्पीच में इसे छह साल की सजा हो सकती है – तीन साल चुनाव कानून के तहत और तीन साल नफरत फैलाने के लिए। तो सोचिए, अगर 15 भाषणों की 90 साल की सजा हो जाए तो यही हो गई। पता नहीं इसकी उम्र कितनी है।
ऐसे व्यक्ति को, जो पूरे चुनाव में कहीं भी बेरोजगारी, महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार, किसानों की समस्याओं या महंगाई पर बात ही नहीं करता। यह और इसका पूरा परिवार सिर्फ भड़काऊ भाषणों पर लोगों को ईनाम देते हैं। “गोली मारो सालों को” जैसे नारे देकर लोग और भी अधिक उकसाए जाते हैं। इसके समर्थक भी वही बोलते हैं।
मैं आपको अपने 50 साल के अनुभव से बता रहा हूं कि सिर्फ इसका चुनाव रद्द नहीं होगा, बल्कि जहां-जहां इसने भाषण दिए हैं, उन सभी कैंडिडेट्स का चुनाव भी रद्द किया जा सकता है। इसे कोई नहीं रोक सकता है। और अगर कोई दमदार जज आ जाए तो…
अगर कोई दमदार जज आ जाए, तो चार दिन में इनका और जहां-जहां इन्होंने स्पीच दी है, उन सबका चुनाव रद्द कर सकता है। “खुद तो डूबेंगे सनम, तुम्हें भी साथ ले डूबेंगे।”
राष्ट्रपति जी, मैं आपसे हाथ जोड़कर निवेदन करता हूं कि कृपया इस बात पर विचार करें कि क्या इस व्यक्ति के हाथ में देश की बागडोर सौंपनी चाहिए। ऐसा व्यक्ति जो बिल्कुल पागल हो चुका है, जिसका दिमाग संतुलित नहीं है, यह तो पक्की बात है। और यह भी ध्यान रखें कि न्यायपालिका डरी हुई है – 90 प्रतिशत जजेज डर के साये में हैं। आपने देश का क्या हाल कर दिया है, जब कुछ और नहीं बन सके तो तमाशा बना दिया।
पुलिस भी डरी हुई है, इसलिए पुलिस ने अभी तक इसे गिरफ्तार क्यों नहीं किया। चुनाव आयोग तो पूरी तरह से गुलाम हो चुका है, अपना जमीर बेच चुका है। इतनी भड़काऊ स्पीच पर भी उन्होंने इसे रोका नहीं। अब लोगों को डर है कि कहीं चुनाव में धांधली ना हो जाए और यह सब कर सकते हैं। यह सब एक तरह की रंगा-बिल्ला की सरकार है, जिससे लोगों को डर है।
इसलिए मैंने आपसे कहा कि इनकी चुनावी स्पीच में लोग नहीं पहुंचे, लोग हंसते हैं, बच्चे मजाक उड़ाते हैं। सबसे बड़ा पाप जो इन्होंने किया, वह यह है कि आप एक महिला हैं, आप इसे अधिक समझ सकती हैं। आप मां हैं, और एक व्यक्ति जो अपनी मां का अपमान कर सकता है, जब तक मां जिंदा थी, उसके साथ फोटो खिंचवाता था। अब मां गुजर गई, तो कहता है कि “मैं उस मां से पैदा ही नहीं हुआ।” सोचिए, ऐसा व्यक्ति देश का नेता कैसे हो सकता है।
कितना बड़ा नारी शक्ति का अपमान है, जो अपनी मां का अपमान कर सकता है। सोचिए, ऐसा व्यक्ति कितना गिरा हुआ इंसान होगा। जो अपनी मां का अपमान करता है, वह किसी भी बात पर टिकता नहीं है। हर दूसरे दिन अपने शब्दों से पलट जाता है। कहता है कि वह हिंदू-मुस्लिम नहीं करता, लेकिन मुस्लिमों के खिलाफ बोलकर नफरत फैलाता है।
जज डरे हुए हैं, पुलिस डरी हुई है, और आर्मी भी डरी हुई है। देखिए, आर्मी में एक जनरल ने कहा कि “सर, मुझे एक्सटेंशन क्यों दे रहे हैं, मुझे एक्सटेंशन नहीं चाहिए। आप केयर टेकर हैं, तीन दिन इंतजार कीजिए। जो नया बनेगा, वह फैसला लेगा। आप फैसला नहीं ले सकते।” यह सब आर्मी को कमजोर करने की योजना है। पुलवामा में जो शहीद हुए, वह सरकार की गलती और लापरवाही के कारण हुए। यह एक ऐसी स्थिति थी जिसमें रक्षा मंत्री, प्रधानमंत्री, और गृह मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए था।
अडवाणी ठीक कहते हैं कि यह व्यक्ति इवेंट मैनेजर है, जिसने अपनी गलती को छुपाने के लिए उसे इवेंट बना दिया। सतपाल मलिक जी ने जब बयान दिया कि 700 किसान मर गए, तो इस व्यक्ति ने कहा कि “वह मेरे लिए मरे।” सोचिए, कितना गिरा हुआ इंसान है। इनका इतिहास खून-खराबे से शुरू हुआ, दंगे करा कर इनकी राजनीति शुरू हुई, जिसमें 3000 लोग मारे गए।
राष्ट्रपति जी, मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि इस बात को ध्यान में रखते हुए, मोदी को बिल्कुल भी आमंत्रित न करें। मैंने आपको तीन मुख्य प्रिंसिपल बताए हैं जो मुझे समझ आए: सिंगल लार्जेस्ट पार्टी, सिंगल लार्जेस्ट मेजॉरिटी इन इंडिया, प्री-पोल अलायंस, और अगर प्री-पोल अलायंस नहीं है तो पोस्ट-पोल अलायंस। लेकिन ऐसा न हो कि किसी को केवल इसलिए सरकार बनाने का मौका दे दिया जाए क्योंकि उनकी 200 सीटें हैं। कम से कम 30 दिन का मौका न दें। माफ करना, यह एक महत्वपूर्ण निर्णय है और इसे बहुत सोच-समझकर लेना चाहिए।
बिल्कुल मत करना। इससे खरीद-फरोख्त शुरू हो जाती है, बल शुरू हो जाता है। पहले से ही देखें कि ऐसा धंधा तो नहीं कर लेंगे। देखिए, इन्होंने कितनी सरकारें गिराई हैं। इनके पाप का मटका अब भर चुका है, और मुझे लगता है कि अब इसे और नहीं भरा जाना चाहिए।
राष्ट्रपति जी, आप मेरी छोटी बहन भी हैं। मैं आपसे हाथ जोड़कर आज्ञा लेना चाहता हूं। आप मेरे से दो साल छोटी हैं। मैंने देखा है, आपको कहते हैं, “उन्हें पता भी चले और खफा भी न हो,” इतनी एहतियात से दिल की बात कैसे करें? या फिर मैं आपके लिए यह पढ़ देता हूं अपनी बहन के लिए:
“किस शौक, किस तमन्ना, किस दर्जा सादगी से हम आपकी शिकायत करते हैं।”
इन्होंने आपका भी कोई मान नहीं रखा। माफ कीजिए, आपके पास रिजाइन करने का ग्राउंड था जब पार्लियामेंट का इनॉगरेशन प्रधानमंत्री ने किया। आप हेड ऑफ द स्टेट हैं, आपको करना चाहिए था। कितना आपका अपमान किया। मंदिर का उद्घाटन भी आपको करना चाहिए था, न कि इन्हें। मैं इसे ही “इनको” नहीं कहता, मेरे दिल से यह निकलता ही नहीं है।
आपकी वह तस्वीर, जिसमें आप खड़ी हैं और अडवाणी और यह बैठे हैं, राष्ट्रपति का अपमान है। सोचिए, कितना गिरा हुआ इंसान है यह। और इस तस्वीर को पूरा सर्कुलेट करते हैं। आपके प्रेसिडेंट हाउस पर इनका पूरा कब्जा है।
मैं आपको बतौर इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट, लॉयर, क्रिमिनल लॉयर कह रहा हूं कि इनका पूरा कब्जा है। आपसे विनती है कि इस बात को मद्देनजर रखते हुए मोदी को बिल्कुल भी इनवाइट न करें।
तीन प्रिंसिपल जो मैंने बताए हैं, उन्हें ध्यान में रखें:
- सिंगल लार्जेस्ट पार्टी
- सिंगल लार्जेस्ट मेजॉरिटी इन इंडिया
- प्री-पोल अलायंस
और अगर प्री-पोल अलायंस नहीं है तो पोस्ट-पोल अलायंस। लेकिन ऐसा न हो कि किसी को केवल इसलिए सरकार बनाने का मौका दे दिया जाए क्योंकि उनकी 200 सीटें हैं। कम से कम 30 दिन का मौका न दें। यह एक महत्वपूर्ण निर्णय है और इसे बहुत सोच-समझकर लेना चाहिए।
इसका क्या मैसेज दे रहे हैं? आपका इतना अपमान हो रहा है और आप कुछ पूछते भी नहीं हैं। फैसले सरकार लेती है, लेकिन आप सरकार से सवाल तो पूछ सकते हैं। एक महिला होने के नाते आप मणिपुर हिंसा पर सवाल क्यों नहीं पूछतीं? किसानों की आत्महत्याओं पर सवाल क्यों नहीं उठातीं? आपको केवल प्रोटोकॉल के लिए नहीं रखा गया है।
हम 140 करोड़ लोगों ने अपना ईमान आपके पास गिरवी रखा हुआ है। अगर आप रिजाइन कर देतीं या सवाल पूछ लेतीं, तो यह सरकार गिर जाती। आपके पास इतनी ताकत है कि अगर आप संसद के समय रिजाइन कर देतीं, तो सरकार गिर जाती। देश में ऐसा माहौल बन जाता कि एक व्यक्ति, जो अपनी मां को बेच रहा है, हर पोजीशन को बेच रहा है, वोट मांग रहा है इस बात पर कि उसने महिला या आदिवासी को बना दिया।
आपका ना बोलना पूरे महिला जगत का अपमान करता है। जब आप बोलती हैं, तो पूरे महिला जगत को ताकत मिलती है। फैसला आपके हाथ में है कि आपको क्या करना है। मैं यह नहीं कह रहा कि मेरी बात मानो, लेकिन मैंने एक लिस्ट बनाई है ईमानदार लोगों की। जैसे कुछ जज हैं जिनका इमेज बहुत अच्छा है:
- जस्टिस वेंकट चलैया
- जस्टिस संतोष हेगड़े
- जस्टिस अर्जुन सीकरी
- जस्टिस मदन लोकुर
- जस्टिस कुरियन जोसफ
- जस्टिस रोहिंटन नरीमन
- जस्टिस कुरेशी
- जस्टिस मुरलीधर
- जस्टिस एपी शाह
- राजीव धवन (सीनियर एडवोकेट)
आप इनसे बात करें। मैं नहीं कह रहा कि मेरी बात मानें, लेकिन मैं हाथ जोड़कर सिर्फ इतना निवेदन कर रहा हूं कि आप सही निर्णय लें और इन मुद्दों पर विचार करें।
40 करोड़ जनता के साथ बेइंसाफी मत करें। आपको ईश्वर माफ नहीं करेगा और आपकी आत्मा भी माफ नहीं करेगी यदि आपने सही निर्णय नहीं लिया। पूरी दुनिया में जो आदमी अशांति फैला रहा है, उसे इनवाइट मत करना।
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। मैं कोशिश करता हूं कि यह संदेश आप तक पहुंचे। मैंने ईमेल किया है आपके सेक्रेटरी को, और मैसेज सोशल मीडिया पर डालता हूं ताकि यह पहुंच सके। यदि इतना भी इन्वेस्टिगेशन आपका नहीं है तो यह बहुत अफसोस की बात है।
फिर से धन्यवाद, मैं हाथ जोड़कर आपको प्रणाम करता हूं। आपके लिए पूरे समाज का बहुत आदर है। मेरा निवेदन है कि उस आदर को बनाए रखें। ऐसा ना हो कि लोग कहें कि “वो सदियों से सजा पाई”।
मेरा ईमेल अशोक अरोड़ा 2310@gmail.com है। इस पर मुझसे संपर्क किया जा सकता है। धन्यवाद, जय हिंद।
(लेख में दिए गए विचार व्यक्तिगत हैं।)