अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

सब कुछ सहकार क्रांतिकारी गीतों की मशाल जलाते रहे शंकर शैलेंद्र

Share

मुनेश त्यागी

तू जिंदा है तो जिंदगी की जीत पर यकीन कर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर
,

बुरी है आग पेट की, बुरे हैं दिल के दाग ये
न दब सकेंगे एक दिन बनेंगे इंकलाब ये।
गिरेंगे जुल्म के महल, बनेंगे फिर नवीन घर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर।

यह किसानों मजदूरों का अमर गीत महान गीतकार शंकर शैलेंद्र ने लिखा था। शंकर शैलेंद्र आज सौ साल बाद भी जिंदा है। उन्हें लोग गा रहे हैं, सुन रहे हैं, उनके अधूरे मिशन को और अधूरे सपनों को पूर्ण करने के अभियान में लगे हुए हैं। रोशन ख्याल कवि शैलेन्द्र आज भी करोड़ों लोगों के दिलों में जिंदा है। उनका जन्म 30 अगस्त 1923 को रावलपिंडी में एक दलित परिवार में हुआ था। उत्पीड़न के कारण उनके पूर्वज बिहार को छोड़कर पंजाब में आ गए थे।
उनकी पढ़ाई लिखाई मामूली स्कूल में हुई थी। वे जितना पढ़ना चाहते थे, आर्थिक परिस्थितियों के कारण उतना नहीं पढ़ पाए थे, मगर धीरे-धीरे उनकी साहित्यिक दिलचस्पी गहरी होती चली गई। जीविका चलाने की मूलभूत जरूरत ने उन्हें रेलवे की एक सामान्य नौकरी करने के लिए विवश कर दिया था।
शंकर शैलेंद्र सामाजिक सरोकारों से भरपूर राष्ट्रीय चिताओं के ओजस्वी कवि थे। उनका जीवन संघर्ष सुविधाभोगी कवियों से एकदम अलग था और व्यावसायिक लेखक बनने की उनकी कोई इच्छा नहीं थी। शैलेंद्र अपनी तमाम जिंदगी वामपंथी आदर्शों को आगे ले जाते हुए कवि बने रहे। अपने प्रगतिशील विचारों के कारण हुए वे इप्टा और प्रगति लेखक संघ से जुड़ गए थे। वहीं प्रगतिशील लेखक संघ, जिसके निर्माण के समय 1936 में प्रेमचंद ने जिसकी अध्यक्षता की थी। उनकी महानता का आलम यह है कि आज दुनिया में देश विदेश में सबसे ज्यादा गीत शंकर शैलेंद्र के ही गए जाते हैं और पूर्व सोवियत संघ के विभिन्न देशों में तो वह आज भी छाए हुए हैं।
आजादी के बाद देशभक्तों के दिलों में राष्ट्र के निर्माण की उमंगे हिलोर ले रही थीं और शैलेंद्र उसी जज्बे को गीतों के जरिए पूरे भारत में फैला रहे थे। उन्होंने हिंदी उर्दू दोनों भाषाओं में समान अधिकार से लिखा और गीतों और कविताओं से हिंदी के सांस्कृतिक कोश को बड़े पैमाने पर समृद्ध किया। रेलवे कर्मचारी रहते हुए भी वे प्रगतिशील कविताएं लिखते रहे, मजदूरों के किसानों के शोषण जुल्मों को कविता के माध्यम से देश दुनिया के सामने लाते रहे।
राज कपूर ने जब उनसे उनकी कविताओं से प्रभावित होकर उनसे फिल्मों के लिए गीत लिखने की बात की तो शंकर शैलेंद्र ने यह कहकर मना कर दिया कि उनके गीत बिकाऊ नहीं है। मगर आर्थिक तंगियों का परिणाम देखिए कि इन्हीं शंकर शैलेंद्र को अपने गीत बेचकर अपने परिवार की जीविका चलाने को मजबूर होना पड़ा था। इंसानी भाईचारे को खास अहमियत देने वाले शैलेंद्र के साथ उनके नौकरी के साथियों ने भी उनके साथ छुआछूत का व्यवहार किया। मगर यह सामाजिक बीमारी भी उन्हें अपने मिशन से दूर न कर पाई और वे अपनी रचनाओं में, अपनी कविताओं में, समाज में फैली गरीबी शोषण जुल्मों अत्याचारों और भेदभाव का मुकाबला करते रहे।
उन्होंने “तीसरी कसम” फिल्म का निर्माण किया था और इस फिल्म को अपने कमाल के गीतों से सजाया और संवारा था। यह एक महान फिल्म थी जो बोक्स ओफिस पर हिट न हो पायी और इस फिल्म में वे इतने कर्जदार हो गए कि वे अपनी जिंदगी में कभी संभाल न पाए और इन्हीं आर्थिक समस्याओं से जुड़ते हुए, क्रूर मौत उन्हें समय से पहले लील गई और 14 जनवरी 1966 को असमय ही, वे इस दुनिया को अलविदा कह गए।
शंकर शैलेंद्र ने हजारों गीत लिखे हैं जिनमें से अधिकांश का फिल्मों में फिल्मांकन किया गया है। उनके कुछ गीतों की चंद लाइन इस प्रकार हैं ,,,,,


,,,,दुनिया बनाने वाले क्या तेरे दिल में समायी
,,,, जीना यहां मरना यहां इसके सिवा और जाना कहां
,,,,हर दिल जो प्यार करेगा वह गाना गाएगा
,,,,,दोस्त दोस्त ना रहा
,,,,गाता रहे मेरा दिल
,,,,,,सब कुछ सीखा हमने ना सीखी होशियारी
,,,,,रूक जा रात ठहर जा रे चंदा
शंकर शैलेंद्र तमाम जिंदगी क्रांति को आगे ले जाने वाले कवि बन रहे और वे अपने गीतों के माध्यम से क्रांति की मशाल जलाते रहे, किसानों मजदूरों को दिशा और हौसला प्रदान करते रहे। देखिए उनकी एक क्रांतिकारी कविता,,,,

क्रांति के लिए उठे कदम
क्रांति के लिए जली मशाल
भूख के विरुद्ध भात के लिए
रात के विरुद्ध प्रातः के लिए
मेहनती गरीब जात के लिए
हम लड़ेंगे हमने ली कसम
हम लड़ेंगे हमने ली कसम
क्रांति के लिए उठे कदम।

      1947 में भारत को आजादी मिली मगर किसानों मजदूरों गरीबों वंचितो पीड़ितों ने आजादी का जो सपना देखा था, वह पूरा नहीं हुआ उसी को ध्यान में रखते हुए शंकर शैलेंद्र मातृभूमि की बलिवेदी पर चढ़ गए, महान क्रांतिकारी शहीद ए आजम भगत सिंह को चेतावनी देते हुए कहते हैं,,,,,

भगत सिंह इस बार ने लेना काया भारतवासी की
देशभक्ति के लिए आज भी सजा मिलेगी फांसी की
यदि जनता की बात करोगे तो गद्दार कहाओगे
बम-सम्ब को छोड़ो भाषण दिया तो पकड़े जाओगे

निकाला है कानून नया चुटकी बजते बंध जाओगे
न्याय अदालत की मत पूछो सीधे मुक्ति पाओगे
सरकारों का हुक्म जरूरत क्या वारंट तलाशी की!
देशभक्ति के लिए आज भी सजा मिलेगी फांसी की!

 शंकर शैलेंद्र ने अपने जीवन के आखिरी दिनों में सरकार की जन विरोधी कार्यस्थानियों को बखूबी देखा और समझ लिया था सरकार की पूंजीपरस्त नीतियों को वह भली भांति समझ गए थे। इसी सबको देखकर उन्होंने लिखा था,,,,,,

हर जोर जुल्म की टक्कर में संघर्ष हमारा नारा है
हर जोर जुल्म की टक्कर में संघर्ष हमारा नारा है

मत करो बहाने संकट है, मुद्रा-प्रसार इन्फ्लेशन है
इन बनियों चोर लुटेरों को क्या सरकारी कंसेशन है
बगले मतझांको दो जवाब क्या यही स्वराज तुम्हारा है

मत समझो हमको याद नहीं वो जून 46 की रातें
जब काले गोरे बनियों की चलती थी सौदे की बातें
रह गई गुलामी बरकरार हम समझे अब छुटकारा है।

 शंकर शैलेंद्र एक गजब के क्रांतिकारी कवि थे। उनकी कविता ने बहुत सारे लोगों को राह दिखाई है।उन्होंने अंधेरों में रोशनी की मशाल जलाई है और उन्होंने बहुत सारे लोगों को जीने का तरीका सिखाया है। जिंदगी की मुसीबतों से परेशान होकर बहुत से लोग कहते हैं कि हम क्या करें? उन्हीं सब को शंकर शैलेंद्र ने अपने गीतों के माध्यम से राहत दी है, रास्ता दिखाया है और अंधेरों को दूर करके रोशनी की शमा जलाई है। उनकी इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए उनके एक महान और अमर गीत को हम यहां प्रस्तुत कर रहे हैं,,,,, 

किसी की मुस्कुराहटों पर हो निसार
किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार
किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार
जीना इसी का नाम है,,,,,,

रिश्ता दिल से दिल के एतबार का
जिंदा है हमीं से नाम प्यार का
जले जो प्यार के लिए वो जिंदगी
जिए बाहर के लिए वो जिंदगी
किसी को हो ना हो हमें तो ऐतबार
जीना इसी का नाम है,,,,,

माना अपनी जेब से गरीब हैं
फिर भी यारों दिल के हम अमीर हैं
कि मर के भी किसी को याद आएंगे
किसी के आंसुओं में मुस्कुराएंगे
कहेगा फूल हर कली से बार-बार
जीना इसी का नाम है,,,,,

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें