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शारदा सिन्हा कानिधन : देशी संगीत के एक युग का अंत

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चंद्र प्रकाश झा

 मैथिली, भोजपुरी की लोक गीतों और हिन्दी फिल्मों की गायिका शारदा सिन्हा का आज 6 नवंबर को नई दिल्ली के आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइन्सेज (एम्स) हॉस्पिटल में 72 वर्ष की आयु मे निधन हो जाने पर देशी संगीत के एक युग का अंत हो गया।

कुछ लोग उनको बिहार कोकिला कहते हैं पर उनके गीत इस राज्य के बाहर झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से लेकर मौरीशस, सूरीनाम और नेपाल तक में छठ पर्व और विवाह के अवसर पर लोकप्रिय हैं।

उनके निधन का कारण हॉस्पिटल की बुलेटिन में मल्टीपल मायलोमा (रक्त कैंसर) बताया गया है। उनको सांस लेने में तकलीफ होने की शिकायत पर कुछ दिनों पहले इस हॉस्पिटल के प्राइवेट वार्ड में भर्ती कराया गया था। उनका निधन  9 बजकर 20 मिनट पर हुआ।

उसके पहले कुछ घंटों तक उनको वेंटिलेटर पर रखा गया था। निधन के समय उनके पुत्र अंशुमान सिन्हा मौजूद थे। अंशुमान सिन्हा ने कहा ‘यह हमारे लिए दुख की घड़ी है। वह छठ पूजा के पहले दिन हमें छोड़कर चली गईं, वह हमेशा लोगों के दिलों में रहेंगी’।

उनसे मिली जानकारी के अनुसार एम्स हॉस्पिटल से शारदा सिन्हा का पार्थिव शरीर प्राइवेट विमानन कंपनी इंडिगो की नियमित फ्लाइट से आज दोपहर बाद पटना ले जाया गया है। वहां उसे लोगों के अंतिम दर्शन के लिए कुछ घंटे रखने के बाद पूरे राजकीय सम्मान से तोपों की सलामी देकर अंतिम संस्कार किया जाएगा।

अंशुमन ने बताया उनकी मां की  इच्‍छा थी कि उनका अंतिम संस्कार पटना में वहीं किया जाए जहां उनके पिता का अंतिम संस्कार किया गया था।  

पद्मभूषण

शारदा सिन्हा को उनके जीवन काल में ही 2018 में भारत सरकार के नागरिक अलंकरण पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। उन्होंने करीब 50 वर्षों में अनेक गीत कई तरह से गाकर रिकॉर्ड करवाए थे।

इन दिनों जहां भी सूर्य उपासना के महापर्व छठ के लिए गंगा आदि नदियों, मीठे पानी के ताल तालाबों, पोखरों आदि पर व्रतधारी श्रद्धालुओं के सूर्यास्त के समय सांध्य और सूर्योदय के समय प्रात: स्नान के लिए घाट बनाए जा रहे हैं, वहां शारदा सिन्हा के गाए गीत सस्वर गाए और लाउडस्पीकरों पर बजाए जा रहे हैं। 

जन्म और शुरुआती जीवन 

शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के सुपौल जिले के हुलास गांव में हुआ था। उनको बचपन मे ही संगीत से लगाव हो गया। पर उनकी औपचारिक संगीत यात्रा बिहार के बेगूसराय जिला के सिहमा गांव में उनकी ससुराल से शुरू हुई थी।

उन्होंने मगही भाषा में भी गीत गए थे। उन्होंने कई वर्ष पहले उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद नगर में प्रयाग संगीत समिति द्वारा आयोजित ‘बसंत महोत्सव ‘ में अपने गायन से जब वहां उपस्थित सभी लोगों को मंत्रमुग्ध किया तभी से उनको अन्य जगहों पर भी गीत गाने बुलाया जाने लगा। 

शोक संदेश 

भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, मुख्यमंत्री रह चुकी उनकी पत्नी राबड़ी देवी, दोनों के पुत्र और विधान सभा में विपक्ष के तेजस्वी यादव समेत विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के नेताओं और गीत संगीत, फिल्मों के कलकारों ने उनके निधन पर ट्वीट लिख शोक व्यक्त किया है।

व्यक्तिगत मुलाकात

शारदा सिन्हा से मेरी भेंट 1989 के लोक सभा चुनावों से पहले नई दिल्ली में 9 रफी अहमद किदवई मार्ग पर यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (यूएनआई ) के गेट पर संयोग से हुई थी। वह संसद मार्ग पर एक मैथिली गीत की रिकॉर्डिंग कराने के बाद वीपी हाउस मे उनके क्षेत्र के लोक सभा सदस्य के पास ठहरे रिश्तेदार से मिलने, पीएचडी किए हुए अपने पति ब्रज किशोर सिन्हा के साथ जा रही थी।

उन्होंने मुझे बताया था कि गुलशन कुमार और भूषण कुमार की टी सीरीज म्यूजिक कैसेट कंपनी ने उनके गाए गीतों की रिकॉर्डिंग के लिए अनुबंध किया था। उन्होंने इस अनुबंध में अपनी एक ही शर्त जोड़ी थी कि इसमें मैथिली में गाए उनका एक गीत जरूर हो।

टी सीरीज म्यूजिक कैसेट कंपनी ने उनकी यह शर्त मान ली। उन्होंकहा था कि वह विभिन्न भाषाओं में लोक गीत गाती हैं, पर उनकी और उनके परिवार की भाषा मैथिली है। 

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