नई दिल्ली। भारतके नए कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान राज्य के कृषि मंत्रियों से मुलाकात करने जा रहे हैं। खबर है कि बैठकों का दौर 1 जुलाई से शुरू हो सकता है। हालांकि, इसे लेकर केंद्र सरकार की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। खास बात है कि एनडीए सरकार के बीते दो कार्यकालों में पहली बार राज्य के मंत्रियों के साथ ऐसी परामर्श बैठकें नहीं हुई हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, चौहान सबसे पहले छत्तीसगढ़ और असम के मंत्रियों के साथ बैठकें करेंगे। रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा पता चला है कि कृषि मंत्रालय ने राज्य के मंत्रियों को पत्र लिखकर बातचीत के लिए बुलाया है। सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि साथ ही उन्हें पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन तैयार करने और संबंधित राज्यों में किसानों और खेती की स्थिति पर अपने विचार रखने के लिए कहा गया है।
अखबार से बातचीत में छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री राम विचार नेताम ने कहा कि वह राज्य सरकार की तरफ से लागू की गईं केंद्र की योजनाओं के तहत यूनिट कॉस्ट में संशोधन की मांग को रखेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार बाजरा की खेती के प्रचार, सिंचाई से जुड़े मुद्दे और उत्पादन के लिए कोल्ड चेन स्टोरेज जैसे मुद्दों पर सरकार की तरफ से समर्थन की मांग करेगी।
चौहान ने पहले कहा था कि वह हितधारकों और राज्य के मंत्रियों से बातचीत करेंगे। उन्होंने कहा था, ‘मुझे इस बात पर गर्व या अहंकार नहीं है कि मैं सब जानता हूं या मेरे दफ्तर में बैठे IAS अधिकारी सब जानते हैं। मैं ज्ञान के लिए प्यासा हूं। खेती और किसानों के लिए जहां से भी संभव हो, मैं सबसे अच्छी जानकारी चाहता हूं।’ खास बात है कि वह NITI आयोग के सदस्य रमेश चंद के साथ-साथ पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल से भी मिल चुके हैं।
अग्रवाल न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP को लेकर बने 26 सदस्यीय पैनल की अगुवाई कर रहे हैं। ये पैनल तीन कृषि कानूनों के वापस लिए जाने के बाद गठित किया गया था। 21 जून को चौहान ने मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार, कर्नाटक और तेलंगाना के कृषि मंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत भी की थी।