रसोई गैस के दामों में वृद्धि , गरीबी में गीला आटा
रीवा। प्रदेश के करोड़ों बेरोजगार अपने पैरों पर खड़े हो सकें इसके लिए शिवराज सरकार के बजट में कोई प्रावधान नहीं है। चुनावी वर्ष में महिलाओं को हर माह ₹1000 और कॉलेज जाने वाली मेधावी छात्राओं को स्कूटी देने का सरकारी ऐलान उन्हें आत्मनिर्भर बनाना नहीं , उनके हाथ में लाली पाप थमाना है। इस तरह खैरात बांटने का काम, लालची और निकम्मा बनाना है । लगभग दो दशक से लगातार यह देखने को मिल रहा है कि सरकार अपना वोट बैंक तैयार करने के लिए ऐसे हथकंडे अपना रही है जो लोकलुभावन जरूर हैं लेकिन इसका दूरगामी दुष्प्रभाव जनसाधारण पर ही पड़ रहा है। इसके चलते समूचा प्रदेश कर्ज के बोझ से दबा जा रहा है। इतने सालों में सरकार प्रदेश की गरीबी दूर नहीं कर सकी बल्कि गरीबों के सामने टुकड़े फेंककर अपना चुनावी स्वार्थ पूरा करने में लगी हुई है।
समाजवादी कार्यकर्ता समूह के संयोजक अजय खरे , नारी चेतना मंच की वरिष्ठ नेत्री श्वेता पांडे , डॉ श्रद्धा सिंह एवं रसना द्विवेदी ने कहा है कि प्रदेश सरकार पूंजीपतियों की गिरफ्त में काम कर रही है जिसके चलते लोग आर्थिक रूप से गुलाम बनाए जा रहे हैं और उन्हें खैरात का जीवन जीने को विवश किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि रोजगार मिलने से लोगों को मेहनत की कमाई के अवसर मिलेंगे जिसके चलते वे अपने परिवार का भरण पोषण, पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन बखूबी कर सकेंगे और आजादी से जी सकेंगे। यह भारी विडंबना है कि सरकार उन्हें गुलाम बनाना चाहती है जिसके चलते लोगों को काम देने की जगह खैरात बांटी जा रही है। प्राकृतिक प्रकोप का सामना करने के लिए सरकार का सहायता प्रबंधन कार्य करता है लेकिन सामान्य स्थिति में सरकार को जनता को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में निर्णायक पहल करनी चाहिए। जनता को खैरात बांटकर वोट बंधक बनाना अत्यंत आपत्तिजनक एवं लोकतंत्र का खात्मा है। घरेलू गैस सिलेंडर के दामों में सन 2014 से लेकर अब तक 3 गुना वृद्धि हो गई है। इधर ₹50 की और वृद्धि हो गई है जिसके चलते भोजन जैसी बुनियादी जरूरत और महंगी हो गई है। यह बात गरीबी में गीला आटे वाली कहावत चरितार्थ कर रही है।