मुंबई
दिल्ली हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स फेसबुक और वॉट्सऐप को तगड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने प्रतिस्पर्धा आयोग यानी CCI के खिलाफ दायर की गई दोनों कंपनियों की याचिका को खारिज कर दिया है। CCI ने दोनों कंपनियों के प्राइवेसी नियमों के खिलाफ जांच का आयोग दिया था। इसी के खिलाफ दोनों ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की थी।
कोर्ट ने कहा, याचिका में ठोस आधार नहीं
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि फेसबुक और वॉट्सऐप की याचिका में कोई ठोस आधार नहीं दिख रहा है। दोनों की याचिका से ऐसा नहीं लगता है कि CCI के आदेश पर रोक लगाई जाए। CCI ने पिछले महीने 24 तारीख को वॉट्सऐप के नियमों के खिलाफ जांच का आदेश दिया था। इसके अनुसार, ग्राहकों का डेटा वॉट्सऐप फेसबुक की अन्य कंपनियों के साथ किस तरीके से साझा करेगा, यह पूरी तरह से ट्रांसपरेंट यानी पारदर्शी नहीं है। साथ ही यह इच्छाओं पर भी निर्भर नहीं है। इसके लिए ग्राहकों से कोई मंजूरी भी नहीं ली गई थी। इसे लेकर आयोग ने जांच का आदेश दे दिया।
मामला पहले से ही कोर्ट में है
CCI के आदेश के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में अपनी याचिका में इन दोनों कंपनियों ने कहा कि यह मामला पहले से ही सुप्रीमकोर्ट और हाईकोर्ट में लंबित है। इसलिए CCI को इस पर जांच का आदेश नहीं देना चाहिए। CCI ने दलील दी कि उसके सामने जो मामला आया है, वह डेटा शेयरिंग, डेटा कलेक्शन और विज्ञापन से जुड़ा हुआ है।
13 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रखा था
दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा वॉट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी को कथित रूप से प्रतिस्पर्धी विरोधी करार देते हुए जांच के आदेश को चुनौती देने वाली दोनों की याचिका पर 13 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। वॉट्सऐप फेसबुक की सब्सिडियरी है। इसमें वॉट्सऐप की ओर से वकील हरीश साल्वे, फेसबुक की ओर से मुकुल रोहतगी और CCI की ओर से अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल अमन लेखी पेश हुए।
दोस्तों और परिवार की बातचीत को नहीं देख सकते
हरीश साल्वे ने प्राइवेसी के उल्लंघन की चिंताओं के बारे में कहा कि वॉट्सऐप ग्राहकों के दोस्तों और परिवार के साथ की गई बातचीत को नहीं देख सकता है क्योंकि एंड टू एंड इन्क्रिप्शन इसमें है और साथ ही 2021 में जो अपडेट हुआ है, उसमें इसे नहीं बदला गया है। साल्वे ने कहा कि वॉट्सऐप की 2016 की पॉलिसी पहले से ही इस तरह की शेयरिंग की सुविधा देती है। हालांकि उन्होंने कहा कि डेटा शेयरिंग उस मामले में हो सकती है जिसमें मै ग्राहक हूं और दिन भर में 10 वकीलों से बात कर रहा हूं। यह तब होगा, जब हम अपने प्लेटफॉर्म का उपयोग करने के लिए अपना नंबर देंगे। पर दोस्तों और परिवार के साथ की गई कोई बातचीत शेयर नहीं हो सकती है।
मामला प्राइवेसी का नहीं, बल्कि डेटा का है
अमन लेखी ने तर्क दिया कि यह मामला प्राइवेसी का नहीं बल्कि डेटा का है और इसलिए CCI अपने दायरे में रहकर अपना काम सही से कर रहा है। CCI के आदेश पर तभी सवाल उठाया जा सकता है जब जांच रिपोर्ट कहेगी कि स्थिति का दुरुपयोग है।