अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

जीवन के लिए जरूरी है निद्रा- प्रबंधन 

Share

          डॉ. विकास मानव 

    अनिद्रा एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। इससे मानव जीवन में त्रासदी आ खड़ी हुई है। स्वस्थ जीवन के लिए नींद अति आवश्यक है, परंतु जब इस नींद में किन्हीं कारणों से खलल पड़ता है तो नींद उचट जाती है और यह स्थिति यदि लंबे समय तक बनी रहे तो अंत में अनिद्राजनक समस्या पैदा हो जाती है और धीरे-धीरे स्वास्थ्य में संकट आ जाता है। निद्रा से जुड़ी दूसरी स्थिति है आवश्यकता से अधिक नींद का आना। नींद की अधिकता भी परेशानी का सबब बनती है; क्योंकि व्यक्ति जरा भी कहीं ठहरने लगता है तो उसे नींद घेर लेती है और फिर वह अपने महत्त्वपूर्ण दायित्व का निर्वाह कर पाने में अक्षम एवं असमर्थ हो जाता है। दोनों ही दशाओं में स्वास्थ्य पर संकट खड़ा होता है।

    अनिद्रा रोग नहीं है। यह एक विकार है, जिसे किसी रोग का लक्षण कह सकते हैं। वर्तमान में यह विश्व के एक-तिहाई लोगों में समस्या का कारण बना हुआ है। अपने देश में साढ़े बारह करोड़ लोगों को अनिद्रा की समस्या है। अमेरिका में तो यह समस्या बच्चों में भी पाई जाने लगी है। यह शारीरिक एवं मानसिक समस्या है। अनिद्रा क्यों होती है? इस प्रश्न के जवाब में कहा जाता है कि यह अनेक वजह से होती है। 

      कुछ औषधियों एवं पेय पदार्थों के सेवन से नींद उचट जाती है; जैसे-चाय, कॉफी, उत्तेजक दवाएँ, तंबाकू का सेवन, ब्रोंको डायलेटर्स आदि। इनके सेवन से नींद के पर लग जाते हैं और वह उड़ जाती है। फिर रात में व्यक्ति अँधेरे को घूरता रहता है।

    अनिद्रा की शिकायत दूर हो और व्यक्ति रात्रि में चैन की नींद सो सके, इसके लिए दैनिक जीवन में नियत समय पर निश्चित कर्म को संपादित करना चाहिए। भोजन के समय आहार ग्रहण करना, काम के समय काम करना एवं विश्राम के वक्त सो जाना चाहिए। 

      एक ही तरह की जीवनशैली अपनाने से हमारा शरीर नियमित दिनचर्या का अभ्यस्त हो जाता है और अभ्यस्त शरीर उचित समय पर आवश्यक चीज की माँग करता है और जब इसमें व्यवधान आता है तो शरीर की लय बिखरने लगती है और यदि यह व्यवधान लंबे समय तक बना रहे, जैसे सोने के समय में काम करना या टी०वी० आदि देखने में व्यस्त हो जाना तो नींद का स्वाभाविक समय बाधित हो जाता है और नींद समय पर नहीं आती है।

       सर्वेक्षण से पता चलता है कि वर्तमान भाग-दौड़ एवं अतिव्यस्ततम जिंदगी में नींद खो गई है। वैज्ञानिक कहते हैं कि हमारी जैविक घड़ी (बायलॉजिकल क्लॉक) बिगड़ गई है। इसी को ‘डिस्टर्ल्ड सिरकॉडियन रिदम’ कहते हैं।

    महिलाओं में अनिद्रा का कारण भावनात्मक अधिक होता है। ३० से ४० प्रतिशत महिलाओं में जिनका मासिक धर्म बंद हो चुका होता है, इसी विकार से ग्रस्त पाई जाती हैं। ४५ से ५० उम्रदराज इन महिलाओं में अनिद्रा एक संकट हो गया है। सभी उम्रदराज महिलाओं एवं पुरुषों में नींद का उचट जाना स्वाभाविक बात बन गई है। 

      अनिद्रा कुछ रोगों का लक्षण है; जैसे- फाइब्रोमायल्जिया, हाइपर थायरॉडिज्म, डिमेन्शिया, आर्थरॉयटिस तथा दरद पैदा करने वाले रोग। इसी प्रकार शरीर एवं शरीर के किसी भी अंग में दरद रहने पर भी नींद नहीं आती है।

    अनिद्रा है, यह कैसे पता चले ? इसके क्या लक्षण हैं, जिनके आधार पर कहा जा सकता है कि स्थिति अनिद्रा की है? विशेषज्ञ एवं चिकित्सक इसके लक्षणों को इस तरह स्पष्ट करते हैं- लंबी नींद का न आना एवं बीच- बीच में नींद का खुल जाना, सोने के कुछ समय बाद ही नींद का खुल जाना एवं फिर घंटों बाद नींद का आना। प्रातःकाल बहुत जल्दी उठ जाना भी इसी लक्षण में आता है।

       सोने के बावजूद नींद से प्राप्त होने वाली ताजगी का अभाव, दिन में तंद्रा से घिरे रहना एवं काम में मन न लगना तथा चिंता बनी रहना, इसके अन्य लक्षणों में शुमार हैं। अनिद्रा एक अजीब सी छटपटाहट है, जिससे शरीर एवं मन दोनों ही आक्रांत रहते हैं। इससे न तो शारीरिक स्वास्थ्य सहज हो पाता है और न मानसिक स्वास्थ्य सामान्य बन पाता है। नींद से शारीरिक एवं मानसिक ऊर्जा का क्षरण थमता है और इस ऊर्जा का सदुपयोग होता है। 

    अनिद्रा से यह स्थिति नहीं बन पाती है और सतत ऊर्जा का हास होता है।

    अनिद्रा की विपरीत दशा नींद की अधिकता है। नींद की अधिकता भी हमारी कार्यक्षमता को बाधित एवं प्रभावित करती है। नींद की अधिकता का कारण है थकान का न मिटना एवं कमजोरी होना। अवसाद की स्थिति में भी नींद अधिक आती है। शरीर अपनी थकान दूर करने के लिए नींद का सहारा लेता है। 

       एक अच्छी नींद में मन एवं शरीर की सारी थकान दूर हो जाती है और नई ताजगी एवं स्फूर्ति का एहसास होता है, परंतु जब थकान दूर नहीं हो पाती है, बनी रहती है तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति को नींद घेर लेती है। कमजोरी से भी खूब नींद आती है। व्यक्ति बैठे-बैठे सो जाता है। 

      छात्रों में नींद की अधिकता का कारण विषय का उबाऊपन एवं उसमें रुचि का न होना है। उबाऊ विषय सामने आते हैं, तो नींद आने लगती है। जिस विषय में रुचि पैदा होती है तो वहाँ मन रम जाता है और फिर नींद नहीं आती है।

    नींद की अधिकता एवं नींद की कमी दोनों ही दशाओं में शरीर एवं मन बाधित होता है। एक रिसर्च के अनुसार अनिद्रा रोगी का मस्तिष्क सिकुड़ने लगता है। उसके न्यूरॉन्स ठीक-ठीक काम नहीं करते और इसमें बहने वाले न्यूरोट्रांसमीटर में व्यतिरेक आ जाता है। ऐसी स्थिति में अनिद्रा की समस्या पैदा हो जाती है।

    यदि किसी कारणवश रात की नींद पूरी नहीं हो पाती हो तो दिन में उसकी पूर्ति कर लेनी चाहिए। स्वास्थ्य के लिए नींद का होना अति आवश्यक है, अतः नींद से कभी भी समझौता नहीं करना चाहिए। नींद एक प्रकार का टॉनिक है। सामान्य जीवन में नींद महत्त्वपूर्ण है, परंतु महान योगिजन नींद को रूपांतरित कर देते हैं। नींद एक जैविक क्रिया है। 

       अतः इससे पार पाना कठिन है। योगी जब समाधि की अवस्था में अवस्थित होता है तो उसकी नींद योगनिद्रा में रूपांतरित हो जाती है। योगी नींद नहीं लेता। वह योगनिद्रा में अपनी जैविक क्रियाओं को संचालित कर लेता है।

    नींद का प्रबंधन होना आवश्यक है। ध्यान रहे, चिंता नींद की दुश्मन है। चिंता की अधिकता नींद में खलल पैदा करती है। अतः अच्छी नींद के लिए चिंता से दूर रहना चाहिए और चिंतन की प्रक्रिया का अभ्यास करना चाहिए। रात में सोते समय अपनी पसंद की चीज को सोचते रहने से नींद कब दस्तक दे जाती है, पता ही नहीं चलता है। 

     शयन का समय बड़ा महत्त्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस स्थिति में हम जैसा सोचते हैं, हमारी चेतना उन्हीं क्षेत्रों में भ्रमण करती है और जागने के बाद पुनः वहाँ से लौट आती है। यदि सोते समय अपनी चेतना को उत्कृष्ट स्तर पर पहुँचाया जा सके तो चेतना विकसित होती है और नींद हमारे चेतनात्मक विकास का कारण बन जाती है; जबकि इसके विपरीत नकारात्मक दशा में चेतना का स्तर गिरता है, पतित होता है।

       अतः सोते समय अपनी पसंद का श्रेष्ठ एवं उत्कृष्ट विचार या प्राणायाम करते हुए सोना चाहिए। इससे न केवल अनिद्रा दूर होगी, बल्कि स्वास्थ्य में गुणात्मक परिवर्तन भी आ सकेगा।

Add comment

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें