सोनी कुमारी, वाराणसी
वेटलॉस के लिए रेगुलर वर्कआउट की आवश्यकता होती है, ताकि उससे शरीर में जमा कैलेरीज़ को बर्न किया जा सके। स्लो मेटाबॉलिज्म वेटलॉस को बाधित कर सकता है।
दरअसल, चयापचय उस प्रक्रिया को कहा जाता है, जिसके चलते शरीर आहार को ऊर्जा में बदलने का काम करता है। इससे जहां कैलेरीज़ बर्न होती है, तो फैट्स से भी मुक्ति मिल जाती है।
मेटाबॉलिज्म धीमा होने से वेटलॉस समेत कई समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है। अपने फिटनेस गोल्स को पूरा करने के लिए पहले जानते हैं स्लो मेटाबॉलिज्म का कारण और उससे राहत पाने के उपाय भी।
मेटाबॉलिज्म धीमा होने से कैलोरीज़ को बर्न करने और उसे ऊर्जा में परिवर्तित करने का प्रोसेस प्रभावित होने लगता है। स्लो मेटाबॉलिज्म कैलेरीज़ को शरीर में होल्ड करने का काम करता है। एजिंग, हार्मोनल इंबैलेंस और लाइफस्टाइल में आने वाले बदलाव इसे धीमा कर देते हैं। इसके चलते शरीर में ब्लोटिंग, अपच और पोक तत्वों का अवशोषण पूर्ण रूप से नहीं हो पाता है।
ये हैं स्लो मेटाबॉलिज्म के लक्षण :
*1. वजन कम करने में परेशानी :*
मेटाबॉलिज्म की गति कम होने से वेटगेन का सामना करना पड़ता है। ऐसे में हेल्दी मील्स और व्यायाम करने के बावजूद वजन ज्यों का त्यों बना रहता है। दरअसल, उम्र के साथ शरीर में बढ़ने वाला हार्मोनल असंतुलन इस समस्या का कारण साबित होता है।
*2. जल्दी थकान महसूस होना :*
वे लोग जिनकी चयापचय दर कम है, वे खुद को सुस्त और थका हुआ महसूस करने लगते है। ऐसे में शरीर भोजन को पूरी तरह से ऊर्जा में परिवर्तित नहीं कर पाता है, जिसके चलते दैनिक गतिविधियों के लिए आवश्यक ऊर्जा की कमी महसूस होने लगती है।
*3. ठंड के प्रति संवेदनशीलता :*
अगर आपको दूसरों की तुलना में ज़्यादा ठंड लगती हैए तो ये धीमे मेटाबॉलिज्म का संकेत है। कम मेटाबॉलिक दर आपके शरीर की गर्मी पैदा करने की क्षमता को प्रभावित करती है, जिससे लगातार ठंड का एहसास हो सकता है।
*4. पाचन संबंधी समस्याएँ :*
स्लो डाइजेशन धीमे मेटाबॉलिज्म को दर्शात है। ऐसे में अधिकतर लोगों को पेट फूलना, कब्ज़ या पाचन संबंधी परेशानी का सामना करना पड़ता हैं। इससे एपिटाइट में भी कमी आने लगती है और शरीर में कमज़ोरी महसूस होने लगती है।
*5. हार्मोनल असंतुलन :*
चयापचय दर शरीर में हार्मोन के संतुलन को बाधित करती हैं। इसके चलते महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म चक्र, लो लिबिडो, मूड स्विंग और तनाव का सामना करना पड़ता हैं।
हमारे इन टिप्स की मदद से स्लो मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मिलती है मदद :
*1. सिडेंटरी लाइफस्टाइल से बचें :*
दिनभर बैठने की तगह काम करने के दौरान नियमित रूप से ब्रेक लें और टहलने जाएं। मोबिलिटी को बढ़ोने के लिए लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का उपयोग करें और पैदल चलने का प्रयास करें। इससे शरीर एक्टिव रहता है।
*2. हाइड्रेटेड रहें :*
पूरे दिन खूब पानी पिएं, जिससे निर्जलीकरण से बचा जा सकता है। साथ ही चयापचय को बढ़ावा मिलता है। पानी और हेल्दी पेय पदार्थों से शरीर करे हाइड्रेटेड रखें और विषैले पदार्थों को डिटॉक्स करने में भी मदद मिलती है।
*3. पर्याप्त प्रोटीन :*
अपने आहार में संतुलित मात्रा में प्रोटीन शामिल करें। इससे शरीर में एनर्जी का स्तर बढ़ने लगता है और कैलोरीज़ को भी नियंत्रित किया जा सकता है। प्रोटीन और कैल्शियम रिच फूड्स का सेवन करें और कार्ब्स को नियंत्रित करे।
*4. स्मॉल मील्स :*
बड़े भोजन का सेवन करने के बजाय पूरे दिन स्मॉल और संतुलित भोजन खाने का प्रयास करें। इससे चयापचय को सक्रिय रखने और ओवरइटिंग को रोकने में मदद मिलती है।
*5. पूरी नींद :*
अच्छी नींद को प्राथमिकता दें क्योंकि ये मेटाबॉलिज्म को रेगुलेट करने में मुख्य भूमिका निभाता है। 7 से 9 घंटे की नींद लें, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य उचित बना रहता है। साथ ही शरीर भी एक्टिव और हेल्दी रहता है।
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