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स्मृति शेष: प्रहलादराय जी माहेश्वरी

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प्रोफेसर (डॉ) श्याम सुन्दर पलोड

अपने व्यक्तित्व की खासियत के बल पर शून्य से शिखर को छू लिया । सरलता , सहजता और सादगी के पर्याय श्रीयुत प्रहलादराय जी माहेश्वरी ने मर्यादित आचरण युक्त जीवन जिया । जीवन के नौ दशक पूर्ण कर वे मृत्युलोक से विदा हुए । जिंदगी के आदर्शों की मिसाल कायम कर वे भरे पूरे परिवार से जुदा हुए । यह प्रश्न वाकई जेहन में रहता है कि बड़े लोग क्यों और कैसे बड़े होते हैं ? उत्तर यही है कि वे अपने वैचारिक सिद्धांतों के साथ धरातल पर खड़े होते हैं । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में महानगर संघ चालक की जिम्मेदारी बड़ी महत्वपूर्ण होती है । यह दायित्व भी उसी को मिलता है जिसमें योग्यता संपूर्ण होती है । जिसने समय का सम्मान किया समय भी उसका सम्मान करता है इस उक्ति में बहुत दम है । भाषणों में समय की पाबंदी का जिक्र करना सरल और आचरण में उसका निर्वाह करना क्लिष्टतम है । बाउजी ताउम्र समय प्रबंधन के मामले में विशेष होते थे । अपने व्यवहार के माध्यम से दूसरों को भी वो इसका संदेश देते थे । चिकित्सा विज्ञान के अध्ययन और अध्यापन को हिन्दी भाषा में भी करने की सोच तो अब रख रहा शासक है । श्रद्धेय प्रहलादराय जी माहेश्वरी देश में चिकित्सा विज्ञान की हिन्दी में पाठ्यपुस्तकों के प्रथम प्रकाशक हैं । अपनी शारीरिक दशा में भी कभी झुकते नहीं सीधे खड़े रहने वाले महान बाउजी की निर्भीकता से रही प्रीति । नैतिकता के दम पर सदैव नीर – क्षीर – विवेकी बने रहे आप श्रेष्ठतम रही आपकी सत्य और नीति । आपके व्यक्तित्व में सदैव समाज से हटकर अलग ही नवाचार की सोच दिखी । कलम उठाकर कागज पर उकेरने वाली दुनिया को दिशा देती आपने कई किताबें लिखी । संस्कार की पहली पाठशाला सदैव माता-पिता ही होते हैं । उनके कर्म ही कर्मकेतु बनने के बीज संतति में बोते हैं । अनुशासित जीवन की वास्तविकता व्यवहार की एक – एक अदा कहती है । आपके सुपुत्रों अनिल जी व सुनील जी में आपकी झलक साफ दिखाई देती है । छोटे से छोटे व्यक्ति के प्रति भी महान लोगों के दिल में कितना सम्मान रहता है । उनके मुख से निकला शब्द…….आइए पलोडजी आज भी कानों में गुंजायमान रहता है । मैं वह क्षण कभी भूल नहीं सकता जब सन् 2008 में मेरे जीवन की सबसे बड़ी सौगात मेरे मकान के मुहूर्त में बाउजी स्वयं मित्र श्री महेशजी शास्त्री के साथ आए थे । मेहमानों की भीड़ से मुझे वह खुशी नहीं मिली जितनी आपकी शुभकामनाओं के स्वर मुझको भाए थे । आपसे प्रेरणा प्राप्त करके बाउजी मेरे प्रयासों से आपके प्रति शब्द – भाव सशक्त करता हूं । आपके श्री चरणो में शत – शत नमन कर अपनी आदरांजली अभिव्यक्त करता हूं । विनम्र भावांजलि ।

प्रोफेसर (डॉ) श्याम सुन्दर पलोड
प्राचार्य , संस्कार कॉलेज , इंदौर
स्वरदूत – 9893307800

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