लाभार्थी 13 जिलों के जनप्रतिनिधियों एवं कांग्रेस पदाधिकारियों का जयपुर में सम्मेलन।
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एस पी मित्तल,अजमेर
6 जुलाई को जयपुर के बिड़ला सभागार में पूर्वी राजस्थान के जिलों के कांग्रेसी जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों का एक सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, प्रभारी महासचिव अजय माकन आदि बड़े नेता भी उपस्थिति रहे। सम्मेलन में कांग्रेस के प्रतिनिधियों को ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। सम्मेलन में बताया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन के बाद भी इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा नहीं दिया जा रहा है। यदि परियोजना के कार्य को केंद्र सरकार अपने हाथ में लेती है तो पूर्वी राजस्थान के अजमेर, जयपुर, दौसा, करौली, धौलपुर, भरतपुर, सवाई माधोपुर, कोटा, बूंदी, बारां आदि 13 जिलों की प्यास बुझ जाएगी। कांग्रेस ने 6 जुलाई को जिस तरह सम्मेलन किया उससे जाहिर है कि अगले वर्ष होने वाले विधानसभा के चुनाव में ईआरसीपी को चुनावी मुद्दा बनाया जाएगा। कांग्रेस यह भी कह रही है कि जोधपुर के सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत के केंद्रीय जलशक्ति मंत्री होने के बावजूद ईआरसीपी को केंद्र सरकार से मंजूरी नहीं मिल रही है। इतना ही नहीं गत विधानसभा के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस परियोजना का समर्थन किया था। कांग्रेस का खासकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आरोप है कि जब राज्य सरकार अपने बूते पर इस परियोजना को आगे बढ़ा रही है, तब केंद्र सरकार अड़चन डाल रही है। ईआरसीपी को लेकर कांग्रेस के अपने तर्क हैं, लेकिन केंद्रीय मंत्री शेखावत का कहना है कि जिस प्रारूप में योजना के प्रस्ताव को भेजा जाना चाहिए उस प्रारूप में राज्य सरकार प्रस्ताव को नहीं भेज रही है। राज्य की किसी भी पेयजल परियोजना को और राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने के लिए 75 प्रतिशत की निर्भरता होना अनिवार्य है। लेकिन ईआरसीपी के प्रोजेक्ट पर 50 प्रतिशत निर्भरता ही है। शेखावत का कहना है कि सीएम अशोक गहलोत इस मुद्दे पर सिर्फ राजनीति कर रहे हैं। परियोजना के लिए पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश से भी एनओसी लेनी है, लेकिन केंद्र सरकार के बार बार आग्रह के बाद भी एनओसी नहीं ली जा रही है। शेखावत का कहना है कि वे स्वयं संबंधित 13 जिलों में जाकर ईआरसीपी की हकीकत के बारे में लोगों को बताएंगे। यहां यह उल्लेखनीय है कि राजस्थान से गुजर रही चंबल नदी की सहायक नदियों को जोड़कर ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट बनाना है। लेकिन सहायक नदियों को जोड़ने के बाद भी संबंधित जिलों की 50 प्रतिशत आबादी तक ही पानी पहुंच पाएगा।