मनीष सिंह रिबोर्न
छत्रपति शिवाजी के बारे में लिखने को उकसाया जा रहा है। कहीं जाना है, सो चटपट लिख देता हूँ।
तो शुरू उनके दादाजी से किया जाए। शिवाजी के पितामह मालव जी असल मे अहमदनगर के निजाम के सिपहसालार थे। जीवन भर निजाम के वफादार रहे, कई लड़ाइयां जीती। मालवजी एक पीर बाबा के बड़े भक्त थे। उन बाबाजी का नाम था “शाह शरीफ”
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मालवजी के दो बेटे हुए। एक का नाम था “शाह जी”, दूसरे का “शरीफ जी” .. । शिवाजी स्वयं शाह जी के बेटे थे। जब मालवजी कि मृत्य हुई, उनकी मजार एलोरा में स्थापित हुई। हालांकि इसके इस्लामी स्थापत्य को इग्नोर करें, तो इसे समाधि कहने में हर्ज नही है। इस विषय पर द प्रिंट ने एक लेख हाल में लिखा था।
शाहजी खुद भी अहमदनगर और हैदराबाद के निजामों की सेवा में रहे। ये इस्लामिस्ट राज थे, जैसा नाम से जाहिर है।
और शिवाजी खुद एक सूफी पीर के भक्त थे, जिनका नाम याकूत बाबा हुआ करता था।
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पर बात केवल इतनी नही थी।
उनके तोपखाने का प्रभारी इब्राहिम खान था। दुनिया उसे इब्राहिम गारदी के नाम से जानती है।
उनकी नेवी, जो तटीय इलाकों में फैले उनके किलों की सुरक्षा के लिए एक बड़ी खतरनाक और इन्नोवेटिव फ़ौज थी, वह दौलत खान के जिम्मे थी।
सैयद हिलाल उनकी फ़ौज के बड़े सरदार थे। शिवाजी महाराज की तकरीबन डेढ़ लाख की फौज में 66000 मुस्लिम फौजी थे। बोले तो 45% ..
अगर बंटवारा न होता तो, अखण्ड इंडिया में मुसलमानो की आबादी इतनी ही होती।
काजी हैदर उनके विश्वस्त मंत्री, सचिव और दूत हुआ करते थे।
मदारी मेहतर उनका निजी सेवक था,
तो सैयद इब्राहिम उनका खास बॉडीगार्ड। असल मे इब्राहिम ही वो शख्स था, जिसने अफजल खान से मिलने के वक्त उन्हें बघनखा छुपाकर ले जाने की सलाह की थी।
जाहिर है, उसकी सलाह मानकर ही शिवाजी छत्रपति होने के लिए जीवित रह सके।
शिवाजी मेरे हीरो हैं।
आज के हिसाब से देखें, तो वे शायद ओबीसी कहलाते।
एक युद्ध के बाद ,उनका सरदार कुछ मुस्लिम लड़कियों को लेकर आया। एक तो बेहद ही खूबसूरत थी। सोचा था, सरदार शाबासी देगा। मगर ये शिवाजी थे। उन्होंने उस लड़की को निगाह उठाकर देखा, और कहा- ये सचमुच बहुत सुंदर हैं। अगर मेरी माँ भी इतनी सुंदर होती, तो मैं भी इतना सुंदर होता।
वैसे शिवाजी स्वयं सुंदर थे। परंतु यह उन बेटियों को एश्योर करने का, और अपने सिपहसालारों को अपनी सोच बताने का तरीका था। तो जाहिर है, लड़कियां बाइज्जत अपने पेरेंट्स के पास भिजवा दी गई।
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अफसोस होता है, जब उनके भगवा ध्वज को लेकर घूमने वाले, दंगाई मुस्लिम औरतों को दौड़ाकर, उनके के पेट फाड़कर अजन्मा बच्चा निकाल लेते हैं।
अगर शिवाजी, या उनके जरा भी स्वभाव का अंश रखने वाला इस देश का प्रधानमंत्री होता, तो सोचिए कि ऐसे अधम, नीच प्राणियों का क्या ही हाल करता।
एनिवेज …
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जय भवानी, जय शिवाजी
सच सामने लाना एक साहस का काम है, सच दुनिया को जानना चाहिए !!