पुष्पा गुप्ता
(1)
वे एक-दूसरे से प्यार करते थे।
प्यार में कभी-कभी एक-दूसरे को चिढ़ाते भी थे।
फिर ज़िन्दगी भर एक-दूसरे को चिढ़ाते रहने के लिए उन्होंने शादी कर ली।
(2)
आभासी जगत में प्यार की शुरुआत तस्वीर पर ‘लाइक’ बटन दबाने से होती है और अन्त ब्लॉक करने से।
(3)
रोमैण्टिक सहेली का व्यावहारिक सहेली से संवाद :
“मुझे तो बस प्यार चाहिए ! बस प्यार और प्यार ! प्यार के आगे पैसे को मैं कुछ नहीं समझती !”
“यार, सो तो ठीक है, लेकिन चुम्बन और आलिंगन से न तो बिजली का बिल भरा जा सकता है, न मकान का किराया दिया जा सकता है !”
(4)
शादी या लाइफ़ पार्टनरशिप के मामले में कोई गारंटी नहीं हो सकती।
अगर हर क़ीमत पर गारंटी चाहिए ही चाहिए, तो स्त्री/पुरुष की जगह कार बैट्री या मिक्सर-ग्राइंडर को जीवन-साथी बना लो।
(5)
भारत में माँ-बाप हमेशा बताते हैं कि शादी से ही घर बसता है। पर वे आधी ही बात बताते हैं।
वे यह नहीं बताते कि घर तो बस जाता है, लेकिन ज़िन्दगी उजड़ जाती है।
(6)
भारतीय पिता ने कहा :
“शादी के बाद घर स्वर्ग हो जाता है.”
“जिसमें हम नरक की तरह महसूस करते हैं.”
बेटे ने पीड़ा भरे मद्धम स्वर में जोड़ा।
(7)
जो लड़कियाँ भौंरों के पीछे और लड़के तितलियों के पीछे बहुत भागते हैं वे शादी के बाद अपने को चिड़ियाखाने में पाते हैं।
(8)
दिल भी एक अद्भुत मशीन है। आप के पैदा होने के समय से लेकर तबतक यह 365 दिन, पूरे हफ्ते, चौबीस घंटे लगातार काम करता रहता है, जबतक कि आप किसी के प्यार में नहीं पड़ जाते !
… और अगर आपकी शादी हो गई तो इसे कबाड़ी को बेच दिया जाता है।
(9)
बीमा पॉलिसी लेते समय पॉलिसी पेपर्स में कई पृष्ठों पर बारीक अक्षरों में जो ‘टर्म्स एंड कंडीशंस’ लिखे रहते हैं, उन्हें कोई नहीं पढ़ता।
जो बीमा एजेंट बताता है, बस उसे ही आँख मूँदकर मान लेते हैं।
भारतीय ‘अरेंज़्ड मैरिज’ में भी ऐसा ही होता है।
(10)
आज के ज़माने में पढ़े-लिखे समझदार आदमी होकर भी अगर आप ‘अरेंज़्ड मैरिज’ करते हैं, तो आप आदमी नहीं आलू हैं।
शादी के बाद तले हुए चिप्स बन जायेंगे।
(11)
“आप पारम्परिक अरेंज्ड मैरिज के ख़िलाफ़ इतना बेकार लिखती हैंI हमलोगों को ही देखिये ! हमारी शादी को पैंतीस साल होने को आये, पर हमने एक-दूसरे को तलाक़ देने के बारे में कभी सोचा तक नहीं.” उन्होंने कहा.
“हाँ, कई बार एक-दूसरे का गला घोंट देने का ख़याल ज़रूर मन में आता है.” पास बैठी उनकी पत्नी ने स्पष्ट किया.
(12)
मकान-मालिक के साथ गप-शप हो रही थी. पत्नी भीतर कुछ कर रही थीं.
वह ऊँची आवाज़ में बोले :
“सूझ-बूझ के साथ पारंपरिक शादियों को भी बखूबी निभाया जा सकता है I सोचिये तो शादी के बाद का जीवन एक पार्क में घूमने जैसा होता है.”
फिर धीरे से बोले,”जुरासिक पार्क में.”
(13)
पड़ोस वाली आंटीजी बता रही थीं :
“बिटिया, मेरे ज़माने में तो अरेंज्ड शादी ही होनी थी, प्यार-मुहब्बत का स्कोप ही बहुत कम था. दहेज़ के अलावा लड़की का बस रूप-रंग देखा जाता था और सुन्दर मैं थी ही. ऊपर से समझदारी मैंने ये दिखाई कि बाबूजी से जिद करके मैंने खुद से बहुत अधिक उम्र का लड़का फाइनल करवायाI जानती हो क्यों ? जैसे-जैसे उम्र ढलने के साथ ही मेरी सुन्दरता जाती रही, वैसे-वैसे इनकी नज़र भी कमज़ोर पड़ती गयी.”
(14)
शादी की पचासवीं सालगिरह पर लोगों ने उनसे पूछा :
“इतने लम्बे सफल वैवाहिक जीवन का रहस्य क्या है ?”
“जड़वत सहनशीलता और असम्पृक्तता का कठिन और लंबा अभ्यास !” उन्होंने बताया I
(15)
वे लोग अपने वैवाहिक जीवन में कभी भी बोर नहीं हुएl वे लगातार ड्रामा करते थे और झूठ बोलते थे और एक-दूसरे के ड्रामा और झूठ के बारे में अनुमान लगाते रहते थे और सबूतों की तलाश करते रहते थे I
(16)
बेटा बहुत ही आज्ञाकारी था.
शादी के बाद पिताजी ने उसे नसीहत दी,”बेटा ! याद रखना, प्यार क्षणभंगुर होता है और घृणा शाश्वत.”
(17)
उन्होंने लंबा वैवाहिक जीवन बिताया थाI कभी थोड़ा बहुत मार्क्सवाद भी पढ़ा थाI
अपने सफल वैवाहिक जीवन के बारे में उन्होंने बताया :
“हमारे सुखी दाम्पत्य के पीछे हमारे ‘डायलेक्टिकल एप्रोच’ और ‘मेथड’ की अहम भूमिका रही हैI हममें से कोई एक जब बेहद मूर्खतापूर्ण, दिलचस्प और हास्यजनक तरीके से ग़लत हुआ करता है, तो दूसरा भयानक तरीके से सही हुआ करता है.”
(18)
झगड़े के दौरान पत्नी ने कहा,”तुम मेरे लिए गणित जैसे हो जो न मुझे आती है, न ही पसंद है.”
“मैं लिपियों पर शोध करता हूँ, लेकिन तुम तो सिन्धु घाटी सभ्यता की लिपि हो.” पति ने जवाब दियाI
(19)
नवविवाहिता पत्नी ने रोमैंटिक मूड में कहा,”डार्लिंग, हम अपनी ज़िंदगी एक सिनेमा जैसी बनायेंगे, एक रोमैंटिक आर्ट-फिल्म जैसी.”
“दरअसल आर्ट-लिटरेचर से मेरा कभी कोई रिश्ता रहा ही नहींI मैं तो सिर्फ़ गाय पर या ऐसे ही कुछ सब्जेक्ट्स पर निबंध लिख सकता हूँ.” पति मायूस होकर बोलाI
(20)
झगड़े के बाद पति-पत्नी हमेशा एक-दूसरे से एक ही भाषा में माफ़ी माँगते थे,”सॉरी, मुझे सख्त अफसोस है ! मुझे माफ़ कर दो, लेकिन ग़लती तुम्हारी थी.”
(21)
उसकी बहुत बढ़िया शादी हुई थी लेकिन उसकी पत्नी की नहींI
(22)
“मुझे तुम उस समय में वापस मत ले चलो जब हम पहली बार मिले थेI मैं तुम्हें वहीं छोड़कर वापस लौट आऊँगी.” पत्नी ने कहाI
(23)
“जहन्नुम में जाओ ! मर जाओ!!” पति चीखकर बोलाI
“अगर मुझे मरना ही होगा तो मैं तुम्हारे ‘ईगो’ की ऊँचाइयों पर चढ़कर तुम्हारी नीचता की गहराइयों में छलाँग लगा दूँगी.” पत्नी ने शान्त भाव से उत्तर दियाI
(24)
“आज बहुत थकान सी महसूस हो रही हैI वैसा लगने को बिलकुल मन नहीं कर रहा जैसा तुम चाहते हो.” पत्नी ने पति से माफ़ी माँगते हुए कहाI
(25)
दफ़्तर के काम से पति लम्बे दौरे पर गया थाI
लौटने के बाद पत्नी से प्रेमपूर्ण माहौल में वार्तालाप हो रहा थाI
पत्नी ने कहा,”तुम्हारी अनुपस्थिति में मैं इतना दुखी महसूस कर रही थी, इतना दुखी महसूस कर रही थी जितना कि तुम्हारी उपस्थिति में महसूस करती हूँ.”
(26)
“कभी-कभी मुझे उस चीज़ की सख्त ज़रूरत महसूस होती है, जो सिर्फ़ तुम मुझे दे सकते हो. वह है तुम्हारी अनुपस्थिति.” पत्नी ने पति से बहुत लाड़ दिखाते हुए कहाI
(27)
देर से घर लौटे पति ने पत्नी से कहा,”सॉरी, मुझे थोड़ी देर हो गयीI दरअसल मैं यहाँ न होने के सुख के आख़िरी चंद क्षणों में खो गया था.”
(28)
उसने सोचा कि वैज्ञानिकों से अपना एक क्लोन तैयार करवाएगा और उसे अपनी पत्नी के साथ रहने के लिए भेज देगाI फिर वह जो टार्चर झेलेगी, उसे कहीं से छुपकर देखते हुए आनंदित होगाI
फिर उसने यह सोचकर क्लोन वाला आईडिया ड्रॉप कर दिया कि जब कभी खुद उसे अपने क्लोन के साथ रहना पड़ेगा तो वह कैसे उसे झेलेगा.
(29)
“वह शहर का सबसे बड़ा मॉल है, सबकुछ मिलता है वहाँ. जो चाहो सो.” पति ने पत्नी को बतायाI
“अच्छा ! तो अपने लिए तुम वहाँ से एक ‘पर्सनालिटी’ क्यों नहीं ख़रीद लेते.” पत्नी ने अपने दब्बू पति को सुझाव दियाI
(30)
“मेरी ज़िंदगी नाउम्मीदियों और आफ़त लाने वाली ग़लतियों से भरी रही हैIअब मैंने उस लिस्ट में तुमको भी जोड़ लिया है.” पति चीखकर बोलाI
(31)
पति को ऑफिस में ही दिल का दौरा पड़ा और वह मर गया. फोन पर पत्नी को ख़बर दे दी गयीI
फिर तुरत पत्नी आईने के सामने जा खड़ी हुई और ख़ुद से बोली :
“कल बाहर की मुस्कान और अन्दर की चीख का आख़िरी दिन थाI आज का दिन अन्दर की मुस्कान और बाहर की चीख का है.”
(32)
अक्सर लोगों को एक सिर चाहिए होता है अपनी नाक़ामियों का ठीकरा फोड़ने के लिए.
शादी के बाद, स्त्री-पुरुष– दोनों को वह मिल जाता हैI
(33)
‘ईश्वर जो करता है, ठीक ही करता है’ — इस बात से मेरा भरोसा शादी के कुछ दिनों बाद ही उठ गयाI
(34)
“आप भी एक मामूली आदमी हो जैसे कि हर आदमी एक मामूली आदमी हैI लेकिन उससे कभी प्यार मत करना जो तुम्हें मामूली समझे. जिसे हम प्यार करते हैं वह हमारे लिए हमेशा स्पेशल होता है, ऑर्डिनरी कभी नहीं होता.”
“अमाँ मियाँ, शादी के बाद तो बड़े-बड़े स्पेशल भी पार्टनर की निगाह में ऑर्डिनरी होकर रह जाते हैं.”
“इसीलिए तो वैवाहिक जीवन प्रेम की धीमी मृत्यु, अंतिम संस्कार और तेरहवीं के बीच का कालखण्ड हुआ करता है.”
(35)
“अरे, मैं सोचता था कि बूढ़ा होने में काफ़ी वक़्त लगेगा.”
“मुझे तो यह सोचने का भी वक़्त नहीं मिला. कुछ सोचता, इसके पहले ही घरवालों ने शादी कर दी.”
(36)
अक्सर रात को वह पीकर घर आता था और फिर ख़ूब झगड़ा होता थाI
“तुम कल सुबह अपनी इस हरक़त के लिए पछताओगे.” पत्नी कहती थीI
अगले दिन वह दोपहर तक सोता रहता थाI
(37)
“जब मैं कहता हूँ कि ‘ठीक है, इस बारे में मैं सोचूँगा’, तो उस मुद्दे पर सोचना तबतक के लिए टाल देता हूँ जबतक कि तुम उसे फिर न उठा दो.” नशे में उसने पत्नी के सामने कन्फेस कियाI
(38)
शादीशुदा ज़िन्दगी को ख़ुशनुमा बनाने का उन्होंने एक नया तरीक़ा ईजाद किया.
अब वे ट्रेजेडी को कॉमेडी की तरह जीते हैं.
(39)
“क्या तुम हमेशा से ही इतने गावदी और अहमक थे, या शादी के बाद ऐसा हो गए ?” दफ़्तर में बॉस ने एक दिन उससे पूछाI
(40)
प्यार अक्सर दो मूर्खों के बीच पैदा हुई ग़लतफ़हमी हुआ करता है.