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सोनम वांगचुक:सरकार जी के लिए मज़बूरी का नाम महात्मा गांधी

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डॉ. द्रोण कुमार शर्मा

सरकार जी की यह बात काबिले तारीफ है कि हर एक को दिल्ली में नहीं घुसने देते हैं। किसानों को तो हमेशा रोकते ही हैं, इस बार लद्दाख से आए सोनम वांगचूक और उनके साथियों को रोक दिया। सोनम वांगचूक ने सोचा होगा, मैं किसान तो हूं नहीं, मुझे तो नहीं रोका जायेगा।

खैर सरकार जी ने, मतलब सरकार जी की पुलिस ने सोनम वांगचुक को दिल्ली में घुसते ही गिरफ्तार कर लिया। मतलब हिरासत में ले लिया। मतलब जेल में बंद कर दिया। मतलब दिल्ली में घुसने नहीं दिया। सरकार जी ने यह बहुत ही अच्छा किया। यह थोड़ी ना है कि जो मर्जी आए, दिल्ली में मुंह उठा कर घुस आए।

सरकार जी की यह बात काबिले तारीफ है कि हर एक को दिल्ली में नहीं घुसने देते हैं। किसानों को तो हमेशा रोकते ही हैं, इस बार लद्दाख से आए सोनम वांगचूक और उनके साथियों को रोक दिया। सोनम वांगचूक ने सोचा होगा, मैं किसान तो हूं नहीं, मुझे तो नहीं रोका जायेगा। पर सोनम वांगचूक जी, सरकार जी किसी को भी रोक सकते हैं। सरकार जी सरकार जी हैं।

अच्छा तो यह है कि सरकार जी को दिल्ली में घुसने के लिए परमिट प्रथा शुरू कर देनी चाहिए। जिसे दिल्ली आना है, सरकार जी से परमिशन ले कर आए, परमिट ले कर आए। सरकार जी को दिल्ली को विदेश घोषित कर देना चाहिए, जिसे आना है, वीजा ले कर आए। और आप, सोनम वांगचूक जी, आप चल पड़े पैदल। लद्दाख से दिल्ली के लिए। बिना यह सोचे चल पड़े कि बीच में हरियाणा भी पड़ेगा और हरियाणा में सरकार जी की पार्टी की सरकार है। वह तो शुक्र मनाओ, हरियाणा में चुनाव हैं। नहीं तो आपको वहीं रोक दिया जाता। सड़कें तोड़ दी जातीं, पुल उड़ा दिए जाते, पर आपको दिल्ली तक नहीं पहुंचने दिया जाता।

आपको यह भी शुक्र मानना चाहिए कि सरकार जी ने बॉर्डर पर, चीन या पाकिस्तान के बॉर्डर पर नहीं, दिल्ली के बॉर्डर पर, कीलें नहीं टुकवाईं, बोल्डेर्स नहीं लगाये, बुलडोज़र नहीं खड़े करवाये। यह भी शुक्रगुजार होना चाहिए कि सरकार जी के मीडिया ने आपको देशद्रोही, पाकिस्तानी, चीनी नहीं कहा।

और दिल्ली में सरकार जी का महल है। अब सरकार जी आज के सरकार जी हैं। कोई पुराने जमाने की कहानियों के राजा-महाराजा या बादशाह तो हैं नहीं कि जनता की फरियाद के लिए दरबार लगवाएं। कि महल के द्वार पर लगा घंटा बजाएं तो महाराज सोते से भी उठ आएं। कि जनता को सुलभ हों। जनता को सुलभ तो आजकल बस सुलभ शौचालय है और अब वह भी फ्री नहीं है।

लेकिन सरकार जी सुलभ हैं। सोनम वांगचूक जी, आपने एक फोटो तो देखी ही होगी। पुरानी फोटो है। सरकार जी जब देश के सरकार जी बने ही थे, तभी की फोटो है। सरकार जी खड़े हैं, सरकार जी के हाथों में मिसिज अम्बानी के हाथ हैं या मिसिज अम्बानी के हाथों में सरकार जी के हाथ हैं और सरकार जी की पीठ पर मिस्टर अम्बानी का हाथ है। दूसरी फोटो भी देखी होगी। अडानी के हवाई जहाज में अडानी के साथ बैठे हैं। और हां, एक और, एक हवाई जहाज से उतर रहे हैं और हवाई जहाज पर अडानी लिखा है। तो सरकार जी इन सब लोगों के लिए सर्व सुलभ हैं। आप जैसों के लिए नहीं।

सुना है, आप फरियाद ले कर आए थे। एक फरियाद तो लद्दाख के पर्यावरण को लेकर थी। क्यों भई, उन्नति नहीं करनी है क्या? उन्नति भई, पहाड़ों को काट कर, जंगलों को नष्ट कर, खेत खलियानों को बर्बाद कर, वहां इंडस्ट्री लगा कर की जाती है। और आप हैं कि उन्नत होना ही नहीं चाहते हैं। कहते हैं, पहाड़ों को काटो पीटो मत। और सरकार जी के भरोसे मत रहो। वे तो जब पर्यावरणविदों के साथ होते हैं तब पर्यावरण संरक्षण के लिए सारी बातें करते हैं और जब अम्बानी, अडानी के साथ, बड़े ओद्योगिक घरानों के साथ होते हैं तो कहते हैं, जहां ऊंगली रख दो, जहां गोला बना दो, जंगल हों या पहाड़, खेत हो या नदी, सब तुम्हारा है। देश में ‘ईज़ ऑफ़ लिविंग’ हो ना हो, ‘ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़ीनेस’ जरूर होना चाहिए।

तुम्हारी दूसरी मांग थी, लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की। पांच अगस्त 2019 से पहले राज्य ही था। ठीक है, जम्मू काश्मीर के साथ राज्य था पर राज्य तो था ना। और जिसने राज्य का दर्जा छीना, उसी से मांग रहे हो। चोर से ही चोरी किया सामान वापिस मांग रहे हो। हुई ना गांधीवादी बात।

गांधी जी से याद आया, तुम तो गांधी जी की समाधि भी जाना चाहते थे। गए भी, पुलिस की हिरासत में गए। गांधी जी से तुम्हें, हमें, सभी को मजबूती मिलती है। पर कुछ हैं, जिनके लिए गांधी जी मज़बूरी हैं। जो मज़बूरी में महात्मा गांधी का नाम लेते हैं। मज़बूरी में गांधी समाधि जाते हैं। उनके लिए मज़बूरी का नाम महात्मा गांधी है पर हम सबके लिए तो मजबूती का नाम महात्मा गांधी है।

आपको रिहा कर दिया गया है। अब आप जाइये। आपने लद्दाख वापिस जाइये। वहां सत्याग्रह कीजिये, हड़ताल कीजिये, भूख हड़ताल कीजिये। पर ध्यान रखिए, आप हाशिये पर हैं। आप मणिपुर जितने ही दूर हैं।

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