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सूचना सेठ मां थी, CEO थी, फिर क्यों बन गई बेटे की कातिल!

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सूचना सेठ। वह सीईओ थी एक एआई फर्म की। पति के साथ तलाक और बच्चे की कस्टडी का केस चल रहा था। लेकिन उसने 4 साल के बेटे को ही मार डाला। सिर्फ इसलिए ताकि उसे अपने बेटे को हर रविवार पति के पास न ले जाना पड़े जिसका कोर्ट ने आदेश दिया था।

मां की ममता बेजोड़ होती है। वात्सल्य अनमोल होता है। बच्चे पर आंच आ जाए तो मां रौद्र रूप धर लेती है। बिना अंजाम का परवाह किए मौत तक से लड़ भिड़ जाती है। लेकिन जब ममता और वात्सल्य पर ईगो भारी पड़ जाए तो ये चेतने का वक्त है। जब सिर्फ अहं की तुष्टि के लिए कोई मां अपने ही कलेजे के टुकड़े को मार डाले तो ये चेतने का वक्त है। शास्त्रों में कहा गया है ‘कुपुत्रो जायेत क्विचिदपि कुमाता न भवति’ यानी पुत्र तो कुपुत्र हो सकता है लेकिन कभी मां कुमाता नहीं हो सकती। लेकिन 39 साल की सूचना सेठ ने तो अपने 4 साल के अबोध बेटे को ही बेरहमी से मार डाला। वजह सिर्फ यह कि वह नहीं चाहती थी कि उसका पति उसके बच्चे से मिले। पति-पत्नी के बीच तलाक का केस चल रहा था और दोनों के बीच बेटे की कस्टडी के लिए कानूनी लड़ाई चल रही थी। रोंगटे खड़े कर देने वाले इस कांड में हर मां, हर बाप, हर कामकाजी शख्स के लिए सबक छिपे हैं।

सूचना सेठ बेंगलुरु स्थित स्टार्टअप ‘माइंडफुल एआई लैब’ की सीईओ है। 2010 में उसकी वेंकट रमन से शादी हुई। 2019 में दोनों को एक बेटा हुआ। लेकिन इसके बाद दोनों के रिश्तों में कड़वाहट आने लगी। 2020 में दोनों अलग हो गए और उनके तलाक की प्रक्रिया आखिरी चरण में थी। तलाक के मामलों में सबसे पेचीदा होता है बच्चों के कस्टडी का मामला। कोर्ट ने वेंकट रमन को हर रविवार को अपने बेटे से मिलने की इजाजत दे दी थी। सूचना सेठ नहीं चाहती थी कि वह हर रविवार अपने बेटे को पति के पास ले जाए। उसने इसे अपने ईगो से जोड़ लिया और उसे तुष्ट करने के चक्कर में वह मां से कसाई बन गई।

सूचना सेठ ने पुलिस को बताया कि वह गोवा सिर्फ इसलिए आई ताकि उसे रविवार को अपने बेटे को उसके पिता के पास न ले जाना पड़े। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बच्चे की मौत की वजह दम घुटना है। पुलिस आशंका जता रही है कि सेठ ने तकिये से अपने 4 साल के बच्चे का दम घोंट दी। वह यह कह रही है कि उसकी मंशा बेटे को जान से मारने की नहीं थी लेकिन अचानक वह मर गया। लेकिन अगर ऐसा ही था तब वह किसी शातिर क्रिमिनल की तरह बच्चे के शव को बैग में डालकर कार से बड़े ही बेफिक्र अंदाज में जाते हुए क्यों पकड़ी गई? पूछताछ में उसने ये भी बताया कि बेटे की हत्या के बाद वह अपनी भी जान देना चाहती थी। सोमवार को वह गोवा के कैंडोलिम में अपने होटल से बाहर निकली। बेंगलुरु जाने के लिए होटल स्टाफ से वह टैक्सी लाने को कही। उसे बताया गया कि टैक्सी से सस्ती तो फ्लाइट पड़ेगी, लेकिन वह टैक्सी पर अड़ी रही। टैक्सी आई और वह बेंगलुरु के लिए निकल गई। तबतक होटल स्टाफ या वहां मौजूद किसी भी शख्स को कुछ भी असामान्य नहीं लगा। लेकिन जब एक होटल स्टाफ कमरे में सफाई करने गया तो खून के धब्बे देखकर चौंक गया। आनन-फानन में होटल स्टाफ ने सूचना सेठ के चेक आउट के समय का सीसीटीवी फुटेज खंगाला। तब सबका ध्यान गया कि महिला तो अकेले बाहर निकली, उसका बेटा साथ नहीं दिख रहा था। तत्काल पुलिस को सूचना दी गई। गोवा पुलिस ने टैक्सी ड्राइवर से बात की और आखिरकार कर्नाटक के चित्रदुर्ग में सूचना सेठ को गिरफ्तार कर लिया गया।

ममता की कातिल मां की ये रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानी में हर मां-बाप और हर प्रफेशनल के लिए सबक छिपे हुए हैं। भारत में हाल के वर्षों में तलाक के मामले तेजी से बढ़े हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह तो ये है कि अब महिलाएं आर्थिक तौर पर भी स्वतंत्र होने लगी हैं। आर्थिक और सामाजिक तौर पर पति पर निर्भर महिला पर अगर किसी तरह के अत्याचार होते थे तब भी उसे सह लेती थी और तलाक से बचती थी। लेकिन महिलाओं के स्वावलंबी बनने से भी तलाक के मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन इसमें कोई बुराई नहीं है। तलाक की अन्य वजहों में बेवफाई, भरोसे की कमी, शक, पार्टनर के साथ अंतरंग पलों के लिए समय का न निकल पाना आदि शामिल हैं। चिंता तब होती है जब पति और पत्नी छोटी-मोटी बातों पर उलझ जाते हैं। सूचना सेठ केस ने कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

वर्क-लाइफ बैलेंस बिगड़ने से व्यक्ति अपने परिवार को उतना समय नहीं दे पाता जितना देना चाहिए। पति-पत्नी अगर दोनों कामकाजी हैं तो चुनौती और भी ज्यादा है। करियर बनाने और करियर में शिखर छूने की भूख से परिवार पीछे छूट रहा। रिश्ते पीछे छूट रहे। सूचना सेठ के पास क्या नहीं था? उसके लिंक्डइन प्रोफाइल पर नजर डालिए। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ी-लिखी। एआई स्टार्टअप की सीईओ। 2021 में एआई एथिक्स लिस्ट में शामिल 100 प्रतिभाशाली महिलाओं में से एक। लेकिन करियर बनाने की अंधी दौड़ में परिवार ही पीछे छूट गया। पति-पत्नी के पास सबकुछ था लेकिन अगर कुछ नहीं था तो वह था एक दूसरे के लिए वक्त। धीरे-धीरे उनमें दूरियां बढ़ने लगीं जो अलगाव का सबब बन गईं। करियर, दौलत, शोहरत की भूख में परिवार पीछे छूट रहा है। पहले तो जॉइंट फैमिली हुआ करती थी। फैमिली शॉक ऑब्जर्वर का काम करती है। बड़ा से बड़ा तनाव परिवार के भावनात्मक सपोर्ट से छूमंतर हो जाया करता था। परिवार में अगर कोई मानसिक तौर पर परेशान भी है तो वह टूटता नहीं था क्योंकि उसे परिवार से हर तरह का समर्थन हासिल होता था। अब न्यूक्लियर फैमिली का जमाना है। लेकिन करियर बनाने, चमकाने की अंधी दौड़ में अब उस न्यूक्लियर फैमिली तक के लिए वक्त नहीं मिल रहा। ये चिंता की बात है।

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