डॉ.अभिजित वैद्य
इक्कीसवीं शती की शुरुआत ही हुई विज्ञान की विविध क्रांतियों को लेकर l इन क्रांतियों के कारण बदलनेवाले
विश्व की गति भौचक्का करनेवाली थी l होनेवाला परिवर्तन मानवी जीवन अधिकतर समृध्द-सुख-समाधान
और विश्व में शांति निर्माण करनेवाला साबित होगा, युध्द कालबाह्य होता जाएगा ऐसा युवाल नोह सहित
बडी-बडी हस्तियों को महसूस होने लगा l आज युक्रेन-रशिया और इस्त्रायल-पॅलेस्टाईन युध्दों ने यह विश्वास
मिटटी में मिला दिया l ये दोनों युध्द अपेक्षा से ज्यादा कालावधितक जारी है, और इसमें अरबों रुपयों का
चकनाचूर तो हुआ लेकिन भयानक रूप में बडी मात्रा में जीवित हानि हो गई है l युक्रेन-रशिया युध्द तो कब
तीसरे महायुद्ध का रूप धारण करेगा और उसमें से अणुयुध्द कब भड़क उठेगा यह जानकार भी नहीं कह
सकेंगे l लेकिन इन दो युध्दों की तुलना एक-दूसरे से करना उचित नहीं होगा l उसमें मूलभूत फर्क है जिसे
भूलना अच्छा नहीं होगा l युक्रेन और रशिया ये दोनों स्वतंत्र और सार्वभौम राष्ट्र हैं l दोनों के पास अपनी-
अपनी फ़ौज है l युक्रेन रशिया के तुलना में सर्वार्थ से कितना भी छोटा राष्ट्र हो लेकिन उसके पीछे अमेरिका
और पाश्चात्य देश अपनी आर्थिक ताकत लेकर खड़े हैं l
इन राष्ट्रों की ओर से युक्रेन को बड़ी मात्रा में शस्त्र भीदी जा रही है l युक्रेन, अमेरिका और नाटो देशों के हाथ की गुड़ियाँ है इसकी सँभावना भी है l ये देश युक्रेनको आगे करके रशिया के साथ युध्द खेल रहे हैं ऐसा भी हो सकता है l साथ ही विश्व की शस्त्र निर्मिती
करनेवाली लॉबी वह किस तरह धधकती रहेगी यह शायद देखती होगी l इस्त्रायल-पॅलेस्टाईन युध्द के बारेमें
यह पूरी तरह से प्रतिकूल है l इस्त्रायल क्षेत्रफल में शायद कितना भी छोटा राष्ट्र है लेकिन वह एक स्वतंत्र
सार्वभौम स्वयंअण्वस्त्रधारी और अत्याधुनिक शास्त्रों से परिपूर्ण फौजवाला शक्तिशाली राष्ट्र है l उसके पीछे
विश्व की बलशाली ‘झायोनिस्ट लॉबी,’ अमेरिका जैसी महाशक्ति और युरोप हैं l पॅलेस्टाईन वास्तव में देखा
जाए तो स्वतंत्र, सर्वसाधारण और स्वयं की फ़ौज रखनेवाला राष्ट्र नहीं हैं l इस्त्रायल के पूर्व एवं पश्चिम ऐसी
दो सीमाओं पर वेस्ट बैंक और गाझा इन दो असमान टुकड़ों पर पॅलेस्टाईन स्थित है l इन दो टुकड़ो पर दो
अलग-अलग राजसत्ता है l इसकी वेस्ट बैंक पर पी.एल.ओ. का नाममात्र राज है लेकिन अधिकतर इस्त्रायल
ने उसपर कब्जा प्राप्त किया है l करीबन तेईस लाख जिसमे रहते हैं, वह साढेतीनसौ चौरस कि.मी. का
भूभाग, हमास नामक संघटना की सरकारवाला, ‘गाझा’ चारों ओर से बँधा हुआ है l गत अनेक दशकों से
पॅलेस्टाईन अपनी स्वतंत्रता के लिए झगड़ रहा है l इस्त्रायल द्वारा की गई नाकाबंदी, इस्त्रायली फ़ौज की
ओर से होनेवाले निरंतर हमले इन सबसे परेशान होकर ७ अक्टूबर २०२३ को हमास के करीबन हजार
सदस्योने, अत्यंत प्राथमिक शस्त्रास्त्र लेकर, मोसाद नामक गुप्तचर यंत्रणा को चमका देकर, इस्त्रायल पर
हमला बोल दिया l इस हमले की हम कड़ी आलोचना करते हैं l लेकिन इसके बाद शुरू हुआ एक प्रतिशोध,
एक असमान युध्द, वास्तव में नृशंस हत्याकांड l
युध्द्खोर अमेरिका और युरोप के राष्ट्र इस्त्रायल के पीछे अपरंपार आर्थिक ताकत और शास्त्रास्त्र लेकर खड़ी
रही l मिडियाने तो इस्त्रायल के पक्ष में होने के कारण हमास की क्रूरता की सच और झूठ कहानियाँ बनाकर
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विश्व की हमदर्दी इस्त्रायली की ओर निर्माण कर दी l विदेश के कुछ विवेकी लोग जिसमें लाखों ज्यू भी है;
इस हत्याकांड का निषेध करके सड़कों पे उतर आए l हजारों पॅलेस्टिनी और बच्चों की हत्या करने पर भी
इस्त्रायल के प्रधानमंत्री नेतान्याहू रुकने का नाम नहीं ले रहे l विश्व के शांतिप्रिय लोगों की समझ में नहीं आ
रहा था की इसे किस तरह से रोका जाए इतने में ही एक अभूतपूर्ण घटना घटी l दक्षिण आफ्रिका ने
इस्त्रायल के विरुध्द अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में ‘वंशच्छेद’ का, ‘जेनोसाईड’ का दावा दाखिल किया l वर्णभेद
में झुलसनेवाले इस देश ने वंशच्छेद का शिकार हो रहे एक राष्ट्र का दुख जानकर उस राष्ट्र के समर्थन में
मानवतावादी दृष्टिकोन रखकर खड़े रहना यह बात विश्व के इतिहास में लिखी जाएगी l दक्षिण आफ्रिका के
इस दावे ने नेतान्याहू के हिंसक, भ्रष्ट और हुकुमशाही प्रवृत्ति के शासक के समर्थन में जो भी खड़े हैं उन सभी
का पर्दाफाश किया l अंतराष्ट्रीय न्यायालय ने इस दावे को दाखिल कर लिया और उसे दाखिल न किया जाए
यह इस्त्रायल की माँग ठुकरा दी, सुनावणी की और इस्त्रायल के विरुध्द निर्णय दिया l इस्त्रायल द्वारा गाझा
पर किए गए हमलों को जेनोसाईड ठहरा जाए इस मुद्दे पर न्यायालय निश्चित निर्णय नहीं ले सका अपितु
अंतराष्ट्रीय न्यायालय ने दिया हुआ यह निर्णय ऐतिहासिक ही मानना पड़ेगा l
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की स्थापना संयुक्त राष्ट्रसंघ ने, ‘यूनो’ ने नेदरलैंड के हेग में १९४५ वर्ष में दूसरे
महायुध्द के बाद की l यूनो के छह प्रमुख विभागों में यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण विभाग है l यूनो के
सदस्यरुपी सभी राष्ट्रों पर इस न्यायालय का राज चलता है l यूनो की आम सभा इस न्यायालय के लिए १५
न्यायाधीशों की नौ वर्षों के लिए चयन करती है l संकेत के अनुसार विदेशी देशों के लिए पाँच, आफ्रिकन
देशों के लिए तीन, पूर्व युरोप के लिए दो, आशियाई देशों के लिए तीन, लैटिन अमेरिका और कॅरेबियन
देशों के लिए दो इस तरह से प्रतिनिधित्व दिया जाता है l प्रति पाँच वर्षों के बाद पाँच न्यायाधीश पदग्रहण
करते हैं और उनके रिक्त स्थानों पर नए न्यायाधीशों का चयन किया जाता है l किसी भी एक देश का एक से
अधिक न्यायाधिशों का चयन नहीं किया जाता l मानवतावादी दृष्टिकोन से किसी अलग देश द्वारा दुसरे देश
को न्याय देने हेतु तीसरे देश के विरुध्द दावा दाखिल करने की घटना पहलीबार हुई है l
दक्षिण आफ्रिका ने अंतराष्ट्रीय न्यायालय में दाखिल किए हुए दावे के शुरू में ही हमासने इस्त्रायल पर किया
हुआ हमला, इस हमले में मारे गए इस्त्रायली नागरिक और कब्जे में लिए हुए ओलीस इन घटनाओं का तीव्र
निषेध किया है l यह न करते हुए दक्षिण आफ्रिकाने अपनी अर्जी में की हुई प्रस्तुति मूलतः समझ में लेने
योग्य है l यह प्रस्तुति हमारी आँखें खोलनेवाली है l दक्षिण आफ्रिका के मतानुसार किसी राष्ट्र पर किसी
समूह द्वारा किया गया सशस्त्र हल्ला, चाहे वह कितना भी बड़ा, गंभीर और हिंसक हो; उस हमले का जवाब
या प्रतिकार के तहत सभी राष्ट्रों ने मंजूर किया हुआ ‘१९४८ जेनोसाईड कन्व्हेंशन’ भंग करने के लिए कानून
एवं नैतिकता भी अनुमति नहीं देती l हमास द्वारा किया हुआ हमले का जवाब के तहत इस्त्रायल देश को
पॅलेस्टाईन इस राष्ट्र के किसी इलाके के नागरिकों का, वहाँ के विशिष्ट लोगों का वंशच्छेद करने की अनुमति
नहीं देता l इस्त्रायल ने पॅलेस्टीनियों के साथ ७५ वर्षों तक वर्णभेद का बरताव किया l ५६ वर्षों तक उनके
भूभागों पर आक्रमण करके उसे कब्जे में लिया और गत १६ वर्षों से गाझापट्टी की पूरी तरह से नाकाबंदी की
l अभी यही इस्त्रायल गाझा में जो कर रहा है यह युध्द गुनाहगारी है, वह समूचे मानवता के विरुध्द गुनाह
है l इस्त्रायल यह राष्ट्र पॅलेस्टाईन राष्ट्र के गाझापट्टी के नागरिकों का तय करके पूरी तरह से उपद्रव करने का
प्रयास कर रहा है l इस्त्रायल के राष्ट्राध्यक्ष, प्रधानमंत्री और संरक्षणमंत्री ने की हुई वक्तव्य इसका सबूत है l
विश्व में सबसे ज्यादा लोकसंख्या की घनता जहा है उस गाझापट्टी पर इस्त्रायल द्वारा निरंतर किए जानेवाले
हमलों के कारण आजतक इस इलाके के ८५% अर्थात करीबन १९ लाख लोग बेघर हुए हैं l यह बहुत बड़ा
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जनसमुदाय अत्यंत छोटे स्थलांतरित छावनियों में भयानक जिंदगी बीता रहा हैं l इन छावनियों पर भी
इस्त्रायल निरंतर बम हमला कर रहा है l २९ अक्तूबर तक इस्त्रायल ने इस इलाके पर ६००० बम बरसाए हैं
l इस हमले में आजतक २१ हजार से अधिक पॅलेस्टाईन मारे जा चुके हैं , जिसमें करीबन ८००० बालक है l
८००० हजार लोग ध्वस्त इमारतों के नीचे हैं, ५५ हजार से अधिक गंभीर तरह से जख्मी है l ( ये आँकड़े
उस वक्त के है जब अर्जी दाखल की गई थी l ) इस्त्रायल ने साढ़ेतीन लाखों से भी अधिक मकान ध्वस्त करके,
खेती, बेकरियाँ, पाठशाला, विश्वविद्यालय, व्यवसाय, प्रार्थनास्थल, शमशान, सांस्कृतिक और पुरानेस्थान,
शासकीय इमारती, न्यायालय, पानी देनेवाली यंत्रणा, स्वच्छता व्यवस्था, बिजली की व्यवस्था और
अस्पताल —- इन सभी को गंभीर और दुरुस्त न हो सकनेवाला सदमा पहुँचा दिया है l इतना करने पर भी
इस्त्रायल रुकने के लिए तैयार नहीं है l पूरे गाझा का ही शमशान बनाने का उसका इरादा है l यह सब
बरताव जेनोसाईड शब्द में ही निहित है l सभी मित्र राष्ट्रों ने मिलकर जर्मनी पर दूसरे महायुध्द में किए हुए
हमले में जर्मनी का जो विध्वंस हुआ उससे ज्यादा विध्वंस इस्त्रायल ने इस छोटे पट्टे में केवल दो महीनों में
किया l अल्जेरिया, बोलेविया, ब्राझिल, कोलंबिया, क्यूबा, इराण, टर्की, वेनेझुलाए इन सभी राष्ट्रों के
अध्यक्षों ने भी यह जेनोसाईड है ऐसा आरोप किया है l बांग्लादेश, इजिप्त, होंडुरास, इराक, जॉर्डन,
लिबिया, मलेशिया, नामिबिया, पाकिस्तान, सिरिया तथा ट्यूनिशिया इन देशों के प्रतिनिधियों ने इसे
सहमती दर्शाई है l इस्त्रायल ने अंतरराष्ट्रीय संविधान का उल्लंघन किया है, इसलिए उन्हें जाब पूछना
चाहिए ऐसा अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आवाहन किया है जिसे अनेक देशों ने प्रतिसाद दिया है l
गाझापट्टी के ३६५ चौ. कि.मी.भूमि में रहनेवाले २३ लाख पॅलेस्टिनियों में से ७.५ लाख नकबा, अर्थात
इस्त्रायल ने राष्ट्र निर्माण करते समय उस भूमि से जबरदस्तिसे विस्थापित किए हुए लोग हैं l २००५ साल
तक गाझा का कब्जा इस्त्रायल की ओर था l २००५ में इस्त्रायल ने गाझा से दूर होकर इस्त्रायली लोगों को
इस्त्रायल और पॅलेस्टाईन वेस्ट बैंक में मकान दिए l इस्त्रायली फ़ौज दूर होकर भी इस्त्रायल ने गाझा हवाई
मार्ग, पानी, अन्न की रसद, बाहर निकलने के रास्ते, बिजली, चुंबकीय क्षेत्र, सभी नागरिक मूलभूत सुविधा
और शासकीय कामकाज पर अपना कब्जा रखा l १९९० से गाझा से किसी को भी हवाई मार्ग या जलमार्ग
से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी l ‘इरेझ’ यह मार्ग भूमि से प्रवास करनेवालों को तथा ‘केरेमशलोम’
यह मार्ग सामान की वाहतूक करने के लिए खुले रखे गए l इन दोनों प्रवेशद्वारों पर इस्त्रायल का कब्ज़ा रहा l
२००६ में हमास के चुनाव में विजयी होने पर इस्त्रायल ने पूरे गाझापट्टी को आतंवादी ठहराकर यह
नाकाबंदी अधिक सख्त की l गाझा एक कारागृह बन गया l अशुध्द पानी, अनाज की कमी, वैद्यकीय
सुविधाओं का अभाव के कारण सैंकड़ों पॅलेस्टिनी मृत होते रहे l इतना करके भी इस्त्रायल रुका नहीं-उहोंने
गाझा के विरुध्द सतत युध्द जारी रखा l इसमें करीबन ४० हजार पॅलेस्टिनी मारे गए, जिसमें नउ हजार
छोटे बच्चे थे l हजारों जखमी होते रहे l सुरक्षा रेखा से उस पार से याचना करनेवाले सैंकडों पॅलेस्टिनीयों के
घुटने गोली मारकर हमने नष्ट कर दिए, इसकी कबुली इस्त्रायली सैनिकों ने दीं l वेस्ट बैंक के पॅलेस्टिनी
नागरिकों पर ऐसे ही अत्याचार इस्त्रायल हमेशा करता रहा l इस्त्रायली सैनिक घुसकर सैंकड़ों पॅलेस्टिनी
लोगों को, जिससे छोटे बच्चे भी नहीं बचे, उन्हें गिरफ्तार करके ले जाते रहे l इन कैदियों पर अमानुष
अत्याचार किया जा रहा था l यह सब सालों से जारी रहने के कारण हमास ने इस्त्रायल पर हमला बोल
दिया l इस हमले का निषेध करने पर भी यह मान्य करना पड़ेगा की इसके जवाब के रूप में इस्त्रायल ने की
हुई यह कृति ‘जेनोसाईड’ है l गाझा के ९३% लोगों को आगे के कुछ दिन अन्न और पानी का दुर्भिक्ष और
अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ेगा l जिसके कारण आगे की कालावधि में गाझा के कई लाख लोग
अपनी जान गँवा सकते है l वैद्यकीय उपचार यंत्रणा तो पूरी तरह से ध्वस्त हुई हैं l इस्त्रायल ने हमला करते
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समय छोटे-बड़े अस्पतालों को छोड़ा नहीं l अनेक अस्पतालों की बिजली तोड़ दी l शिक्षण व्यवस्था तो
शायद ख़त्म ही हुई है l भविष्य में गाझाक्षेत्र मानव के लिए रहने योग्य भी नहीं रहेगा l इस्त्रायल का यह
सब कृत्य वंशच्छेद की व्याख्या में आता है या नहीं इसकी चर्चा न करते हुए गाझा के नागरिकों को वंशच्छेद
का धोखा है इतना तो न्यायालय ने स्वीकृत किया तो पर्याप्त है l
यह सब प्रस्तुति करके दक्षिण आफ्रिकाने इस्त्रायल पर संविधान का भंग करने हेतु कारवाई करने की माँग
की l इस्त्रायल यूनो का सदस्य है l उसने जेनोसाईड कन्व्हेंशनका भंग किया है l सदस्य राष्ट्र के रूप में इस
अनुबंध का भंग न करना जिस तरह इस्त्रायल का कर्तव्य है ठीक उसी तरह इस अनुबंध की रक्षा करना अन्य
सदस्य राष्ट्रों का कर्तव्य है l इस कर्तव्य का पालन करने हेतु दक्षिण आफ्रिका ने अपनी अर्जी में न्यायालय को
– इस्त्रायल अपनी लष्करी कारवाई तुरंत रोकने का आदेश दे और गाझा के नागरिकों की सभी
जीवनावश्यक सेवाओं को पूर्ववर शुरू करने की माँग की है l
इस अर्जी पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने २६ जनवरी २०२४ को जो निर्णय दिया है वह आशादायी है l
इस्त्रायल ने ‘जेनोसाईड प्रतिबंध अनुबंध’ के अनुसार जो मान्य किया था वह सब करना चाहिए l फ़ौज की
कारवाई रोकी जाए l पॅलेस्टिनी जनता का हत्याकांड तुरंत रोका जाए l वहाँ की स्थायी संपत्ति का विध्वंस
भी रोका जाए l वहाँ की जनता को मानवतावादी इस व्याख्या के अंतर्गत सभी तरह की मदद की जाए l
वंशच्छेद किया जा रहा है इसके बारे में जो भी सबूत हैं उन्हें नष्ट न किया जाए l इसके बारे में आप जो भी
कदम उठाएँगे इसकी जानकारी-अहवाल न्यायालय को एक महीने के अंदर सादर किया जाए l
किस तरह का विरोधाभास है देखिए l रफेललेम किन नामक पॉलिश ज्यू ने वंशच्छेद– जेनोसाईड शब्द ढूँढ
निकाला l जिसका अर्थ है, किसी मानवी समूह का पूरा अस्तित्व, जिंदा रहने का अधिकार अस्वीकृत करने
का प्रयास l हिटलर द्वारा की गई ज्यू लोगों के हत्याकांड से यह कल्पना निर्माण हुई l आगे चलकर इस शब्द
को यूनो ने स्वीकृत करके विश्व में फिरसे ऐसा न हो इसलिए १९४८ में जेनोसाईड संकेत मंजूर कर लिया l
विश्व के, विशेषतः युरोप के ज्यूं पर सैकड़ों वर्षों तक अत्याचार होते रहे l हिटलर ने तो ज्यू लोगों का
खुलेआम वंशच्छेद ही आरंभ किया था इसमें से पूरे विश्व के ज्यू लोगों के मन में खुद के हक की भूमि होनी
चाहिए ऐसी भावना निर्माण होने लगी और इस्त्रायल की निर्मिती हुई l आज यही राष्ट्र वंशच्छेद कर रहा है l
इन्सान इतिहास से कुछ भी नहीं सीखता यह वास्तव है l
आज हमारे देश में मनुवादियों के मुख में अनेक समूहों के वंशच्छेद की भाषा हमेशा सुनने में आती है l
भाजपा की राजसत्ता में इसका ट्रेलर छोटी मात्रा में हम देखते आ रहे हैं l धधकते हुए मणिपूर के बारे में
भाजपा के सभी नेताओं ने दिखाई हुई असंवेदनशीलता इसका ही प्रतीक है l महात्मा गांधीजी की अहिंसा
की चेष्टा करना, हिंसा का गौरव करना, दूसरी ओर नक्षल्वादीयोंकी हिंसा को धिक्कारना और वंशच्छेद की
भाषा बोलना यह दोहरापन मनुवादी ही कर सकते हैं l इस पूरी पार्श्वभूमी पर महात्मा गांधीजी के अहिंसक
सत्याग्रह की शुरुआत सही अर्थ में दक्षिण आफ्रिका से हुई उस दक्षिण आफ्रिकाने इस्त्रायल का सच्चा चेहरा
सामने लाकर वे जो कर रहे हैं उस अमानुष हिंसा के विरुध्द अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में न्याय माँगना यह
बहुत बड़ी आशावादी बात है l