अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

बंद हो सकती है सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना!

Share

सरकार ने कहा, महंगी और जटिल पड़ रही योजना, जेब से देना पड़ रहा है रिटर्न
मुंबई। देश में सोने के बढ़ते आयात पर प्र‎तिबंध लगाने के ‎लिए लाई गई सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) योजना को सरकार बंद कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक सरकार का मानना है कि यह एक महंगा और जटिल निवेश साधन है। इस कारण सरकार अब आगे सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी नहीं रख सकती है। हालांकि, सरकार की ओर से इस योजना को बंद करने की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। इससे पहले ही कयासों का दौर शुरू हो चुका है और बाजार लगभग इस फैसले के लिए तैयार दिख रहा है। सेकेंडरी मार्केट्स में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की मांग में तेजी देखने को मिली है। सरकार ने पेपर गोल्ड के तौर पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को 2015 में पेश किया था। आरबीआई इसका प्रबंधन करता है। सरकार एसजीबी योजना के जरिये बाजार से कम मूल्य पर सोना खरीदने का विकल्प देती है। इसकी मेच्योरिटी अवधि आठ साल है। साथ ही, खरीदारों को 2.5 फीसदी रिटर्न भी मिलता है। इस योजना के पेश होने के बाद से अब तक कुल 67 किस्त जारी हो चुकी है, जिसमें निवेशकों ने 72,274 करोड़ का निवेश किया है। इनमें से चार किस्त पूरी तरह मेच्योर हो चुकी है। 2015 में यह योजना पेश हुई थी, तब इसका इश्यू प्राइज 2,684 रुपये प्रति ग्राम था। 2023 में इसकी मेच्योरिटी पूरी हुई थी, तब रिडम्पशन प्राइज 6,132 रुपये तय किया गया था। इस तरह, निवेशकों को आठ साल में 2.28 गुना मुनाफा हुआ था। दरअसल, 2015 और 2017 के बीच जारी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के पहले चार किस्तों में निवेशकों की ओर से लगाया गया पैसा दोगुना से भी ज्यादा हो गया है। ऐसे में निवेशकों को रिटर्न सरकार को अपनी जेब से देना पड़ रहा है।

केंद्र सरकार सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की बिक्री को बंद कर सकती है। सरकार का मानना है कि यह एक “महंगा और जटिल” इंस्ट्रूमेंट है। सरकार ने नवंबर 2015 में देश में सोने के बढ़ते आयात पर लगाम लगाने के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पेश किया था। बता दें कि बॉन्ड एक प्रकार का लोन इंस्ट्रूमेंट होता है, जिसे किसी सरकार या निगम द्वारा किसी विशेष आवश्यकता के लिए धन जुटाने के लिए उपयोग किया जा सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार, बॉन्ड निवेशकों ने SGB के 67 किस्तों या सीरीज में 72,274 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इनमें से चार किस्तें पूरी तरह से मेच्योर हो चुके हैं और बॉन्ड खरीदने वाले निवेशकों को उनका पैसा वापस कर दिया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2015 और 2017 के बीच जारी पहले चार किस्तों में निवेशकों द्वारा SGB में लगाया गया पैसा पैसा दोगुना से भी ज्यादा हो गया है। निवेशकों को रिटर्न सरकार को अपनी जेब से देना पड़ रहा है।

केंद्रीय बजट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि सरकार पर निवेशकों का 85,000 करोड़ रुपये बकाया है, जो मार्च 2020 के अंत में 10,000 करोड़ रुपये की तुलना में लगभग नौ गुना अधिक है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) पेपर गोल्ड में निवेश का साधन है, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा सरकार की ओर से जारी किया जाता है। इसे नवंबर 2015 में देश में सोने के बढ़ते आयात पर लगाम लगाने के लिए पेश किया गया था।

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें