मुंबई : 16 बागी विधायकों के अयोग्यता पर फैसले में स्पीकर राहुल नार्वेकर ने उद्धव गुट को बड़ा झटका दिया है। अपने फैसले में उन्होंने शिवसेना प्रमुख के अधिकार पर ही सवाल उठा दिए। उन्होंने फैसले के लिए शिवसेना के राष्ट्रीय कार्यकारिणी को तरजीह दी। उन्होंने कहा कि 2018 का लीडरशिप स्ट्रक्चर मान्य नहीं है। शिवसेना की 1999 के संविधान के मुताबिक असली शिवसेना का फैसला किया गया,जिसके हिसाब से पार्टी में राष्ट्रीय कार्यकारिणी सर्वोपरि है। शिवसेना प्रमुख को भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी से ही पावर मिलती है। उद्धव का नेतृत्व पार्टी के संविधान के मुताबिक नहीं है। यूबीटी गुट के दलील में दम नहीं है। एकनाथ शिंदे को पार्टी विधायक दल के नेता के पद से हटाने का हक उद्धव ठाकरे के पास नहीं था।
शिंदे बने रहेंगे सीएम, उद्धव गुट की हार
विधानसभा अध्यक्ष ने करीब सवा घंटे तक फैसले के तकनीकी पहलुओं का उल्लेख किया और फिर उद्धव ठाकरे गुट की उस मांग को खारिज कर दिया है। जिसमें उन्होंने 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की थी। स्पीकर के फैसले के बाद सीएम शिंदे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहेंगे। अयोग्यता के इस मामले में उद्धव गुट को चुनाव आयोग के बाद अब महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर के समाने चल रहे अयोग्यता के मामले में बड़ी रहा मिली है।
विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि उद्धव ठाकरे अकेले निर्णय नहीं ले सकते थे। उन्होंने कहा कि नेता के पद से एकनाथ शिंदे को हटाना गलत था। उनहोंने कहा कि संविधान के मुताबिक भी वह नहीं हटा सकते थे। नार्वेकर ने कहा कि पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक नहीं बुलाई गई थी। उन्होंने कहा कि शिंदे को हटाने का फैसला कार्यकारिणी ही हटा सकती है।
भरत गोगावले की व्हिप के रूप में नियुक्ति वैध
इसके साथ ही स्पीकर ने भरत गोगावले की व्हिप के रूप में नियुक्ति को वैध ठहराया है। स्पीकर ने 1200 पन्नों के फैसले को पढ़ते हुए कहा कि सुनील प्रभु को जब चीफ व्हिप नियुक्त किया गया था, तब पार्टी का विभाजन हो चुका था। चूंकि चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को ही असली शिवसेना माना है, ऐसे में चीफ व्हिप के रूप में भरत गोगावले की नियुक्ति सही है। सुनील प्रभू को विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार नहीं था।
शिंदे गुट ही असली शिवसेना
विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने असली पार्टी की उद्धव की दलील को भी खारिज कर दिया। उन्होंने निष्कर्ष देते हुए कहा कि जब बागी गुट बना उस वक्त शिंदे गुट ही असली शिवसेना था। 22 जून के मुताबिक शिंदे गुट ही असली शिवसेना के रूप में मान्य है। स्पीकर के इस फैसले से उद्धव गुट को बड़ा झटका लगा है।
शिंदे को हटाने का फैसला राष्ट्रीय कार्यकारिणी का होना चाहिए था
विधानसभा स्पीकर ने आगे कहा कि पार्टी के संविधान के मुताबिक सीएम शिंदे को उद्धव गुट हटा नहीं सकते। संविधान में पक्ष प्रमुख का कोई पद नहीं है। साथ ही, विधायक दल के नेता को हटाने का कोई प्रावधान संविधान में नहीं है। उन्होंने कहा कि शिंदे को हटाने का फैसला राष्ट्रीय कार्यकारिणी का होना चाहिए था। राष्ट्रीय कार्यकारिणी पर उद्धव गुट का रुख साफ नहीं है। इसी के साथ 25 जून 2022 के कार्यकारिणी के प्रस्तावों को स्पीकर ने अमान्य करार दिया है।