महाकाल मंदिर में आज खास नजारा दिखाई देगा। आज हर से श्रीहरि का मिलन होगा, महाकाल उन्हें सृष्टि का भार सौंपेंगे। हरिहर मिलन की सवारी आज रात 11 बजे मंदिर से आरंभ होगी जिसमें बाबा महाकाल और भगवान द्वारकाधीश का मिलन होगा।आज हर से श्रीहरि का मिलन होगा, महाकाल उन्हें सृष्टि का भार सौंपेंगे। हरिहर मिलन की सवारी आज रात 11 बजे मंदिर से आरंभ होगी जिसमें बाबा महाकाल और भगवान द्वारकाधीश का मिलन होगा।
सावन-भादौ और दशहरा पर्व के बाद कार्तिक-अगहन मास में बाबा महाकाल प्रजा को दर्शन देने नगर भ्रमण पर निकलेंगे। पहली सवारी 20 नवंबर को निकल चुकी है अब हरिहर मिलन की सवारी 25 नवंबर को निकाली जाएगी, वहीं दूसरी सवारी 27 को निकलेगी।
कार्तिक एवं अगहन (मार्गशीर्ष) माह में श्री महाकालेश्वर भगवान जी की सवारी निकाली जाएगी। सावन-भादौ और दशहरा महोत्सव के बाद कार्तिक-अगहन में निकलने वाली बाबा महाकाल की सवारियां धूमधाम के साथ निकाली जाती हैं। बाबा महाकाल अपनी प्रजा का हाल जानने शाही अंदाज में नगर भ्रमण करने निकलते हैं।
बाबा महाकाल जाएंगे द्वारकाधीश से मिलने :
श्री महाकालेश्वर मंदिर से शनिवार रात 11 बजे चांदी की पालकी में सवार होकर देवों के देव भगवान महाकाल वैकुंठपति भगवान द्वारकाधीश से मिलने गोपाल मंदिर जाएंगे। वैकुंठ चतुर्दशी को हर साल यह परंपरा निभाई जाती है। महाकाल मंदिर से हरिहर मिलन की सवारी निकाली जाती है।
मान्यता है कि देवउठनी एकादशी के बाद वैकुण्ठ चतुर्दशी पर श्री हर (श्री महाकालेश्वर भगवान) श्री हरि ( द्वारकाधीश) को सृष्टि का भार सौंपते हैं। देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां जाते हैं। उस समय पृथ्वी लोक की सत्ता का भार भगवान महादेव के पास होता है और वैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव यह सत्ता पुन: श्री हरि विष्णु को सौंपकर कैलाश पर्वत पर लौट जाते हैं। इस दिवस को वैकुंठ चतुर्दशी, हरि-हर भेंट भी कहते हैं।
प्रशासक संदीप कुमार सोनी ने बताया परम्परानुसार मंदिर के सभा मंडप से रात 11 बजे श्री महाकालेश्वर भगवान की पालकी धूमधाम से गुदरी चौराहा, पटनी बाजार होते हुए गोपाल मंदिर पहुंचेगी। यहां पूजन के दौरान बाबा श्री महाकालेश्वर बिल्व पत्र की माला गोपाल जी को भेंट करेंगे एवं वैकुण्ठनाथ अर्थात श्री हरि विष्णु तुलसी की माला भगवान महाकाल को भेंट करेंगे। पूजन उपरांत बाबा महाकाल की सवारी इसी मार्ग से मंदिर वापस पहुंचेगी। सवारी के साथ मंदिर के पुजारी/पुरोहित, कर्मचारी, अधिकारी आदि सम्मिलित होंगे।
तिशबाजी और हिंगोट के उपयोग पर प्रतिबंध
कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने शनिवार रात को होने वाले हरिहर मिलन समारोह के दौरान भगवान महाकालेश्वर की सवारी में दंड प्रक्रिया संहिता-1973 की धारा-144 (1) के अन्तर्गत आतिशबाजी और हिंगोट का उपयोग पूर्णत: प्रतिबंधित किए जाने के आदेश जारी किए हैं। यदि किसी व्यक्ति द्वारा हरिहर मिलन समारोह के दौरान इस आदेश का उल्लंघन किया जाता है, तो उसके विरूद्ध नियमानुसार वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
यह रहेगा सवारी मार्ग
कार्तिक अगहन मास की सवारी महाकाल मंदिर से गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होकर शिप्रा तट पहुंचेगी। यहां पूजन पश्चात छोटी रपट के पास से होते हुए गणगौर दरवाजा, कार्तिक चौक से नगर प्रवेश करेगी। इस मार्ग पर प्रशासनिक तैयारियां की जा रही हैं। मार्ग में विशेष साफ-सफाई होगी। बिजली व्यवस्था एवं सड़क पर सुधार आदि किया जा रहा है।
कब-कब सवारियां
क्रमश: द्वितीय सवारी 27 नवंबर, तृतीय सवारी 4 दिसंबर तथा शाही सवारी 11 दिसंबर 2023 को निकाली जाएगी। इस बीच हरिहर मिलन की सवारी रविवार 25 नवंबर को रात 11 बजे से आरंभ होकर गोपाल मंदिर तक जाएगी। यहां सृष्टि के भार का आदान-प्रदान किया जाएगा। इस दौरान जोरदार आतिशबाजी भी की जाएगी।