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बंगाल में एसएससी घोटाला हुआ कैसे?मंत्री की बेटी को लौटाना होगा 41 महीने का वेतन

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कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार इस समय एक कथ‍ित भर्ती घोटाले को लेकर बुरी तरह फंसती दिख रही। स्‍कूल श‍िक्षा विभाग में ग्रुप सी और डी की भर्तियों में हुए घोटाले पर जिस्‍टस रंजीत बेग की कमिटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपा दी है। इसमें पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोगन (WBSSC) के चार पूर्व और वर्तमान अध‍िकारियों के ख‍िलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है। सीबीआई (CBI) ने इस मामले में पांच लोगों के ख‍िलाफ एफआईआर भी दर्ज कर ली है।

क्‍या है  पूरा मामला
पहले समझते हैं क‍ि आख‍िर ये पूरा मामला है क्‍या। राज्‍य के माध्यमिक श‍िक्षा बोर्ड के तहत श‍िक्षण और गैर श‍िक्षण पदों पर नियुक्‍तियों के लिए स्‍कल सेवा आयोग ने वर्ष 2016 में परीक्षा आयोजित की। इसका पर‍िणाम आया 27 नवंबर 2017 को। पर‍िणाम वाले लिस्‍ट में बबीता सरकार का भी नाम टॉप 20 में था। लेकिन बाद में आयोग ने सूची रद्द कर दी। इसके बाद जब दूसरी सूची आई तो उसमें बबीता का नाम वेटिंग लिस्‍ट में चला गया। लेकिन उससे 16 नंबर कम पाने वालीं शिक्षा राज्य मंत्री परेश अधिकारी की बेटी का नाम सबसे ऊपर आ गया। घोटाले की परत यहीं से खुलनी शुरू हुई।

ब‍ब‍िता के पिता हाई कोर्ट चले जाते हैं। उन्‍होंने दावा किया कि भर्ती परीक्षा में अधिकारी की बेटी के मुकाबले ज्यादा अंक लाने के बावजूद उसे नौकरी नहीं दी गई। याचिकाकर्ता ने बताया क‍ि उसकी बेटी को 77 नंबर मिले थे। लेकिन उसकी बेटी का नाम मेरिट लिस्‍ट में आया ही नहीं जबकि उससे कम 61 अंक पाने वाली मंत्री की बेटी का नाम सबसे ऊपर रहा और उसे नौकरी मिल गई।

कोर्ट ने मामले को संज्ञान में लिया और जांच के लिए न्‍यायमूर्ति (रिटायर्ड) रंजीत कुमार बाग की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया। समिति ने अपनी रिपोर्ट में घोटाले में शामिल तत्‍कालीन अध‍िकारियों के ख‍िलाफ मुकदमा चलाने की सिफारिश की थी।

इस कथित घोटाले और मंत्री की बेटी नियुक्ति के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने वाली बबीता सरकार अदालत के फैसले से खुश हैं।
उन्होंने पत्रकारों से कहा क‍ि अदालत का फैसला राहत भरा है। लेकिन क्या सरकार उसका आदेश मानेगी।

babita sarkar

अपने पति के साथ श‍िकायकर्ता बबिता सरकार
घोटाला हुआ कैसे?
घोटाले में शामिल अध‍िकारियों ने बड़ी चालाकी से इस धांधली को अंजाम देने की कोश‍िश की। जांच में पता चला क‍ि अधिकारियों ने चुनिंदा उम्मीदवारों को अपनी ओएमआर उत्तर पुस्तिकाओं के लिए आरटीआई लगाने और पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन देने को कहा। उन्होंने ऐसा ही किया। अधिकारियों ने तब कथित तौर पर कुछ उम्मीदवारों के अंक बढ़ाकर उन्हें मेरिट में स्‍थान दे दिया और फिर ओएमआर शीट में हेराफेरी की। उन्होंने असफल उम्मीदवारों को नियुक्ति सूची में लाने के लिए कथित तौर पर जाली अंक भी बनाए।

अंक बदलने के बाद ओएमआर शीट को कथित तौर पर नष्ट कर दिया गया। समिति के सदस्य और एचसी के वकील अरुणव बनर्जी ने कहा, ‘मूल रूप से, कुछ उम्मीदवारों के स्कोर को बढ़ाने के लिए आरटीआई का इस्तेमाल एक हथियार के रूप में किया गया।’

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार WBSSC के पूर्व सलाहकार के कहने पर कार्यक्रम अधिकारी समरजीत आचार्य ने ग्रुप सी के असफल उम्मीदवारों के लिए 381 अनुशंसा पत्र तैयार किए। इनमें से लगभग 250 तो मेरिट लिस्ट में भी नहीं थे। इसी तरह ग्रुप डी में 609 असफल उम्मीदवारों के पक्ष में नियमों को ताक पर रखा गया। चार-पांच बार में फर्जी रिकमंडेशन लेटर WBBSE अध्यक्ष गांगुली को दिए। गांगुली ने इस लेटर्स के आधार पर अपॉइंटमेंट लेटर तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए ये लेटर बोर्ड के नियुक्ति सेक्शन को भी नहीं भेजे।

पूर्व और वर्तमान अध‍िकारियों पर मुकदमा
स्कूल शिक्षा विभाग में ग्रुप सी और ग्रुप डी पदों की भर्ती में कथित घोटाले की जांच करने वाली न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजीत बाग समिति ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) के चार अधिकारियों, पूर्व और वर्तमान और एक वरिष्ठ के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है। शिक्षा विभाग के अधिकारी पर आपराधिक साजिश का आरोप समिति की रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने शनिवार को पांचों के खिलाफ एक नई प्राथमिकी दर्ज की। इस मामले में सीबीआई राज्‍य के श‍िक्षा मंत्री परेश अध‍िकारी से पहले भी एक बार पूछताछ कर चुकी है।

12 मई को कलकत्ता उच्च न्यायालय को अपनी रिपोर्ट में समिति की रिपोर्ट के आधार पर डब्ल्यूबीएसएससी के पूर्व अध्यक्षों प्रोफेसर के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की सिफारिश की है। सौमित्र सरकार और अशोक कुमार साहा, संगठन के पूर्व सलाहकार, डॉ शांति प्रसाद सिन्हा, कार्यक्रम अधिकारी समरजीत आचार्य और पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (WBBSE) के अध्यक्ष डॉ कल्याणमय गांगुली पर मामला दर्ज करने की सिफारिश की थी।

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सीबीआई ने समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए सरकार, साहा, सिन्हा और गांगुली के खिलाफ आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया है। इसने सिन्हा और आचार्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 465 (जालसाजी), 417 (धोखाधड़ी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 34 (सामान्य इरादे से कई लोगों द्वारा किए गए कार्य) को भी लागू किया है।

अपने ऊपर लगे आरोपों का जवाब देते हुए सौमित्र सरकार ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा क‍ि मैंने अभी तक बाग कमेटी की रिपोर्ट नहीं देखी है. अदालत के आदेश के कारण हमें समाप्ति के बाद पैनल प्रकाशित करना पड़ा। लेकिन मुझे नहीं पता कि नए उम्मीदवारों के नाम सूची में कैसे आए। आरोपों से इनकार करते हुए गांगुली ने कहा क‍ि बोर्ड के पास सिफारिश पत्र बनाने का कोई अधिकार नहीं है। यह मूल रूप से डाकघर के रूप में काम करता है। हमें अनुशंसा पत्र मिले और नियमों के अनुसार हमने उन्हें वितरित किया। इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं जानता। कोर्ट ने सरकार से जब पूछा क‍ि नियुक्‍ति पत्रों पर तो आपके हस्‍ताक्षर हैं, वह कैसे हुए। इस पर उन्‍होंने जवाब दिया क‍ि उन्‍हें पता ही नहीं है क‍ि ये साइन हैं क‍िसके।

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अंकिता अध‍िकारी
41 महीने की सैलेरी लौटाएगी मंत्री की बेटी
अदालत ने शिक्षा मंत्री परेश अध‍िकारी की बेटी अंकिता अध‍िकारी की स्‍कूल टीचर की नियुक्‍ति को अवैधर करार दे दिया है। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है क‍ि अंकिता से 41 महीने की सैलेरी दो किस्‍तों में वसूली जाये। इसम मामले में सीबीआई पूर्व श‍िक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी से भी लगातार पूछताछ कर रही है।

आरोप-प्रत्‍यारोपों का दौर तेज
राज्‍य में हुए इस घोटाले को लेकर विपक्ष ने सरकार पर हमला करना शुरू कर दिया है। विपक्ष ने सरकार के दो मंत्रियों का इस्‍तीफा मांगा है। उधर ममजा बनर्जी ने हमेशा की तरह केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा क‍ि सरकार ईडी और सीबीआई की दुरुपयोग कर रही है। विवाद के बीच पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग के अध्यक्ष सिद्धार्थ मजूमदार ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस मामले को लेकर सीमए ममता ने कहा क‍ि अगर किसी ने कुछ गलत किया है तो कानून अपना काम करेगा। लेकिन इसे लेकर दुष्प्रचार नहीं किया जाना चाह‍िए। वहीं दूसरी ओर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार और सीपीएम नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा है कि घोटाले में कथित भागीदारी के आरोप से जूझ रहे दोनों मंत्रियों को फौरन इस्तीफा दे देना चाहिए।

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