रमजान का महीना बहुत ही पाक महीना माना जाता है। पूरे महीने रोजे रखे जाते हैं और खुदा की इबादत की जाती है। चांद दिखने के साथ ही रमजान का महीना शुरू हो जाता है। रमजान में हर दिन सहरी और इफ्तार का विशेष महत्व होता है।
02 मार्च से रमजान का पवित्र महीना आरंभ हो रहा है। इस्लाम धर्म में रमजान के महीने को बहुत ही पवित्र और खास माना जाता। रमजान के पूरे महीने में मुस्लिम धर्म के लोग खुदा की इबादत करते हैं और रोजा रखते हैं। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार रमजान साल का नौवां महीना होता है। रमजान के दिनों में लोग हर दिन रोजा रखते हैं और आखिरी दिन खुदा का शुक्रिया करते हुई ईद-उल-फितर का त्योहार बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।
इस वर्ष 28 फरवरी को चांद नजर नहीं आया था, ऐसे में इस्लाम के जानकारों और धर्मगुरुओं के मुताबिक 28 फरवरी शाबान 1446 हिजरी को रमजान का चांद दिखाई न देने के कारण रमजान का पहला दिन 02 मार्च 2025 को होगा और पहला रोजा इस दिन रखा जाएगा। आपको बता दें शब-ए-बारात के 14वें दिन रमजान का पवित्र महीना शुरू हो जाता है। दरअसल भारत में रमजान का महीना किस दिन से शुरू होगा यह मक्का में चांद के दिखाई देने पर निर्भर होता है। जिस दिन सऊदी अरब में चांद दिखाई देता है उसके अगले दिन भारत में पहला रोजा रखा जाता है और रमजान का पवित्र महीना शुरू हो जाता है।
रमजान पर रोजा क्यों रखते हैं ?
रमजान के महीने में इबादत का विशेष महत्व है। रमजान के दौरान रोजे रखने के साथ पांचों वक्त की नमाज और तरावीह की विशेष नमाज का महत्व है। रमजान का पाक महीना रोजा रखने के साथ साथ आत्मसंयम, इबादत और जरूरतमंदों की मदद और सेवा करने का बेहतरीन मौका देता है। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार साल 610 में इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार नौवें माह में मोहम्मद साहब को पवित्र कुरान शरीफ का ज्ञान प्राप्त हुआ था। तभी लेकर आज तक मुस्लिम धर्म के अनुयायी हर साल रमजान के पवित्र महीने में रोजा रखते हैं और अंत में ईद-उल-फितर का त्योहार मनाते हैं।
रोजा रखने के क्या हैं नियम
रमजान के पवित्र महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा जरूर रखते हैं। रोजा रखने के लिए मुस्लिम धर्म के अनुयायी हर दिन सुबह सूर्योदय से पहले जिसे सहरी करते हैं। यानी सूर्योदय से पहले कुछ खाते हैं, फिर पूरे दिन कुछ भी नहीं खाते हैं और शाम को सूर्यास्त को इफ्तार करते हुए रोजा खोलते हैं। इस तरह से पूरे दिन रोजेदार बिना कुछ खाए-पिए रहते हैं।
रमजान के पूरे एक माह को 30 रोजे में बांटा जाता है और इसके तीन प्रमुख हिस्से होते हैं। पहले अशरा 10 दिन, दूसरा अशरा 10 दिन और तीसरा अशरा 10 दिन। पहला अशरा 10 दिन ‘रहमत’ का, दूसरा अशरा 10 दिन ‘बरकत’ का, तीसरा अशरा 10 दिन ‘मगफिरत’ का होता है।
सऊदी अरब में भारत और पाकिस्तान से पहले क्यों शुरू हो जाते हैं रमजान?
इस्लाम धर्म में रमजान माह को सबसे पाक महीना माना जाता है। बता दें कि रमजान इस्लामी कैलेंडर का नौंवा महीना होता है। इस महीने मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं और खुदा की इबादत करते हैं। इसके साथ ही अल्लाह से अपने गुनाहों की मगफिरत की दुआ करते हैं। रमजान का महीना अर्धचंद्राकार चांद दिखने के साथ शुरू होता है। इस साल रमजान का पवित्र महीना 1 मार्च से शुरू होने की उम्मीद है। बता दें कि रमजान के पहले रोज़े की तारीख चांद दिखने पर निर्भर करती है। अगर चांद 28 फरवरी को दिखता है, तो रमजान का पहला रोजा 1 मार्च को रखा जाएगा। लेकिन अगर चांद 1 मार्च को नजर आएगा, तो रोजा 2 मार्च से रखा चाहिए। ऐसे में, इस साल ईद 31 मार्च को मनाए जाने की उम्मीद है।
रोजा रखने के नियम
- रोजा रखने वाले को सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक खाने-पीने और यौन संबंधों से परहेज करना होता है।
- रमजान के दौरान रोज़ा रखने वाले को रोजाना 5 वक्त की नमाज अदा करनी चाहिए।
- अगर आप रोजा रख रहे हैं, तो आपको रोजाना सच्चे मन से कुरान शरीफ का पाठ करना चाहिए।
- रोजा रखने वाले को बुरा सुनने, बोलने और देखने से परहेज करने की हिदायत दी जाती है।
- रोजा रखने वाले सूर्योदय से पहले उठकर खाना-पीना कर लेते हैं, जिसे सहरी कहते हैं। इसके बाद सूर्यास्त तक कुछ भी खाने-पीने की मनाही होती है। इसके बाद सूर्यास्त के बाद रोजा खोला जाता है, जिसे इफ्तार कहते हैं।
- रोजा रखने वाले को किसी का उपहास या अपमान नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही, किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए।
- रोजा रखने वाले को रोजाना किसी गरीब और जरूरतमंद की मदद करनी चाहिए।
- रोजा रखने वाले को साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए।
- रोजा रखने के फायदे
- रमजान में मील्स के बीच लंबा अंतराल डाइजेशन के लिए भी फायदेमंद होता है।
- रोजा रखने से आंत में माइक्रोबायोम बैलेंस होते हैं और गट हेल्थ में सुधार होता है।
- रोजा रखने से शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते हैं और बॉडी डिटॉक्स होती है।
- रोजा रखने से मेटाबॉलिज्म मजबूत होता है और वजन कम करने में मदद मिलती है।
- रोजा रखने से इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार होता है। लंबे वक्त तक भूखा रहने से ब्लड शुगर लेवल पर भी असर होता है।
- रोजा रखने से शरीर को इंटरमिटेंट फास्टिंग के लाभ मिलते हैं।
- रोजा रखने से शरीर में हार्मोनल इंबैलेंस दूर होता है।
- रमजान के दौरान फास्टिंग से शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है। इससे हमारा दिल स्वस्थ रहता है