इंदौर। स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. ने ब्रिटिश ब्राॅडकास्ट काॅरपोरेशन (बीबीसी) पर आयकर विभाग की कार्यवाई का विरोध करते हुए इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताया है। बीबीसी द्वारा गुजरात दंगों पर डाॅक्यूमेंट्री फिल्म रिलीज़ करने बाद पहले बैन करना और फिर चंद हफ्तों के भीतर ही बीबीसी पर वित्त विभाग की कार्यवाही बदले की भावना से की गई प्रतीत होती है।
स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल, मुख्य महासचिव नवनीत शुक्ला, महासचिव आलोक बाजपेयी एवं अभिषेक बड़जात्या ने कहा कि पूर्व में भी केन्द्र और राज्य सरकारों के रूख से सहमति न जताने पर दैनिक भास्कर समूह, टी.वी. नेटवर्क भारत लाइव, न्यूज लाॅण्ड्री, न्यूजक्लिक्स इत्यादि सहित प्रिंट, इलेक्ट्राॅनिक्स एवं वेब मीडिया के अनेक प्रतिष्ठिानों को सरकारी जाँच एजेंसियों ने अपना निशाना बनाया है। इन प्रतिष्ठिानों के कार्यालयों के अलावा संपादकों एवं पत्रकारों को भी नहीं बख़्शा गया है। इसके अलावा पूर्व में डिजिटल आईटी जैसे कानूनों के जरिए मीडिया प्रतिष्ठिानों को सरकारी अधिकारियों के नियंत्रण तले लाने की कोशिशें हुई हैं। इन सब कार्यवाहियों से केन्द्र एवं राज्य सरकारों की मंशा स्पष्ट होती है कि उनकी किसी भी गतिविधि के खिलाफ कोई ख़बर ना लगाई जाए और यदि कोई खिलाफ ख़बर छपती है तो संबंधित पत्रकार एवं मीडिया प्रतिष्ठिान विज्ञापनों पर प्रतिबंध से लगाकर सरकारी जाँच एजेंसियों का टाॅरगेट बनने के लिए तैयार रहें।
स्टेट प्रेस क्लब, मप्र ने सरकार के इन कदमों को लोकतंत्र की मूल भावना के विरूद्ध बताते हुए इसे अघोषित इमरजेंसी का प्रतीक बताते हुए बीबीसी सहित अन्य मीडिया प्रतिष्ठिानों पर सरकारी अंकुशों का कड़ा विरोध किया।