अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

कहानी : नारी होने का पुरस्कार 

Share

       ~ पुष्पा गुप्ता 

उन नौ दिनों में न जाने तमन्ना ने कितने नये सपने संजो लिए थे. कला के प्रति समर्पित होने का संकल्प भी ले लिया. अपने अरमानों की कश्ती का नया किनारा भी तमन्ना ने ढूंढ़ लिया था. अब सास यदि कुछ कह-सुन भी लेती तो उसे कुछ महसूस नहीं होता था.

‘आपको हर्ष के साथ सूचित किया जाता है कि आपकी कहानी ‘टूटती बिखरती नारी’ को राष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है. 

      हमारा आयोजन विभाग पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन कर रहा है, आपसे नम्र अनुरोध है कि आप यथा समय कार्यक्रम में पधारें तथा पुरस्कार ग्रहण कर हमें अनुग्रहित करें…’ निमंत्रण-पत्र को तमन्ना ने कई बार उलट-पलट कर देखा. कहीं डाकिया ग़लती से जल्दबाज़ी में किसी और का पत्र तो नहीं डाल गया. तमन्ना बार-बार पत्र को पढ़ती रही. पता बिल्कुल ठीक था, नाम भी उसका ही था. अब वो बिल्कुल आश्‍वस्त हो गई.

      उसे यक़ीन हो गया कि वो कोई सपना नहीं देख रही, बल्कि सब यथार्थ और सच्चाई है. इस अप्रत्याशित समाचार से उसके हृदय की एक-एक शिरा में अथाह उल्लास का जल रूपी समुद्र उमड़-घुमड़ कर अपनी सतह को पाने के लिये बेचैन हो उठा. तमन्ना चाहती थी कि किसी को अपनी ख़ुशी का साझीदार बना सके. उसने घर में चारों ओर नज़रें दौड़ाईं.

       उसकी सास कीर्तन में गई हुई थी. उसने पत्र को कई बार चूमा तथा सहेजकर रख दिया और अपने साथवाले मकान की सहेली को ये ख़ुशख़बरी सुनाने चली गई. न जाने क्यों, उसकी सहेली ने कुछ विशेष प्रसन्नता नहीं दिखाई, जिसकी वो आशा कर रही थी.

      शायद वो ये समाचार सुनकर ईर्ष्या से जल-भुन गई होगी. पर ख़ुशी और उत्साह से लबरेज तमन्ना ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया. वह अपनी सफलता के नशे में ही खोई रही. घर आकर उसने देखा, मुन्ना जाग गया है. उसने उसे उठाकर ज़ोर से भींच लिया और लाड़ करने लगी. 

     कुछ देर में उसकी सास कथा से लौट आयी. उसने प्रसाद लेते हुए बड़े उत्साह से अपने पुरस्कार मिलने की बात सास को बताई. उन्होंने प्रतिक्रिया स्वरूप मुंह बिचकाकर आजकल के ज़माने और आजकल की बहू-बेटियों को कोसते हुए कटाक्ष किया. “क्या ज़माना आ गया है, अब घर की बहू-बेटियां जलसों में जाकर पराये मर्दों के साथ फ़ोटो खिंचवाएंगी.”

      दिन होता तो तमन्ना जल-भुनकर राख हो जाती, पर उस दिन उसने सब अनसुना कर दिया और सोचने लगी, “हूं! घरवाले भले ही मेरी कद्र न करें, लेकिन बाहरवाले तो मेरी और मेरी कला की कद्र करते हैं. जब प्रसिद्धि चारों ओर फैलेगी, अपार धन घर में आएगा, तो ये लोग ही मेरी प्रशंसा करते नहीं थकेंगे. अब तो उसे एक नई रोशनी मिल गयी है. 

     अपनी असाधारण कला का सम्मान मिल गया है. अब उसी के प्रकाश में सारा जीवन निकाल देगी. पहले तो मैं स़िर्फ कविताएं लिखती थी, जो अनेक पत्र-पत्रिकाओं में छपती थीं. लेकिन कहानी तो मैंने पहली बार ही भेजी थी, जिसे इतनी बड़ी पुरस्कार राशि मिली है. अब मैं ख़ूब लिखा करूंगी. 

     इन्हीं सब मनोभावों और उत्साह से उसके जीवन में नवीनता आ गई. शाम को पति के वापस आने का वो बेसब्री से इंतज़ार करने लगी. पति के आने पर उसने बड़े उत्साह से वो निमंत्रण-पत्र उन्हें दिखाया. उन्होंने पढ़ा और वापस तमन्ना को थमा दिया. तमन्ना बोली, “उस दिन आप चार बजे घर आ जाना. साढ़े चार बजे चलेंगे, तब कहीं पांच बजे पहुंच पाएंगे.” उसके पति ने कहा, “हां हां, देखा जाएगा उस दिन, अभी तो बहुत दिन हैं.” नौ दिन बड़े उत्साह से न जाने कैसे गुज़र गए, पता ही नहीं चला. 

      उन नौ दिनों में न जाने तमन्ना ने कितने नये सपने संजो लिए थे. कला के प्रति समर्पित होने का संकल्प भी ले लिया. अपने अरमानों की कश्ती का नया किनारा भी तमन्ना ने ढूंढ़ लिया था. अब सास यदि कुछ कह-सुन भी लेती तो उसे कुछ महसूस नहीं होता था. अपना बेटा अब उसे पहले से कहीं ज़्यादा प्यारा लगने लगा. 18 तारीख़ आ गयी. कल ही तो जाना है. 

      कौन-सी साड़ी निकाले, सोचते हुए तमन्ना अलमारी के पास जाकर खड़ी हो गयी. ये चिकन की इम्पोर्टेड साड़ी निकाल ले, अच्छा हल्का कलर है… या ये फोम की साड़ी, नहीं-नहीं… ये बॉर्डरवाली कैसी रहेगी. और ये पूनम की, ये शाम को ठीक लगेगी, लेकिन इसका प्रिन्ट बहुत गहरा है. फोमवाली ही ठीक रहेगी.

      इसके साथ फिर ये स़फेद ब्लाउज भी चल जाएगा. लेकिन ये कुछ पीला-सा पड़ गया है. हां, इसे नील लगा लें, तो एकदम चमक जाएगा. और बाल… बाल कैसे बनाए? जूड़ा बनाए या चोटी कर ले… नहीं जूड़ा नहीं, एक ढीली-सी लंबी चोटी ठीक रहेगी और बस थोड़ा-सा मेकअप कर लेगी. ज़्यादा तड़क-भड़क मुझे वैसे भी पसंद नहीं है.

      एक नेता के साथ फ़ोटो भी खिंचेगा, पुरस्कार लेते हुए अख़बार में भी वो फ़ोटो आएगा, कितना अच्छा लगेगा. सब उसके फ़ोटो देखेंगे. सब जगह उसी की चर्चा होगी. ये सोचकर वो फूली नहीं समा रही थी. उसने अपने कपड़े धोकर प्रेस कर तैयार कर लिए थे. उसके अंदर रह-रहकर उमंगें उठ रही थीं. तमन्ना का भावुक मन अपनी मंज़िल पाने के उत्साह को जताना चाहता था.

      तमन्ना ने सिर धो लिया, ताकि बाल चिपके नहीं. कल इस समय वह समारोह में होगी. बड़े-बड़े लोग वहां होंगे. उसे सोने का मैडल मिलेगा. उसे संभाल के रखेगी. कल को उसका बेटा बड़ा होगा, वो भी तो देखेगा और गर्व से फूला नहीं समाएगा अपनी लेखिका मां पर. आज 19 तारीख़ है. 

    तमन्ना ने सुबह ही अपने पति से कह दिया था. चार बजे, सवा चार बजे, पौने पांच हुए, पर पति रोज़ की तरह सवा पांच बजे ही आए. पति ने आते ही अनभिज्ञता दिखाते हुए पूछा, “अरे, बड़ी सजी-धजी लग रही हो, कहां की तैयारी है ये….” “आज 19 तारीख़ नहीं है. मैंने सुबह ही आपसे कहा था चार बजे आने को… ख़ैर, हम अब भी जा सकते हैं.” “अरे छोड़ो, अब क्या जाना, थका-मांदा द़फ़्तर से आया हूं… और वहां तक जाने में चालीस रुपये का पेट्रोल फुंक जाएगा. 

     पेट्रोल वैसे ही नहीं मिल रहा है… और फिर मां को भी ये सब पसंद नहीं है… आगे से बंद करो ये लिखना-लिखाना. क्या फ़ायदा मां को बेकार नाराज़ करने से… और ये सब वैसे भी आवारा औरतों और मर्दों का काम है, जो किसी के चक्कर में फंस जाते हैं और फिर लैला-मजनूं से लेखक-लेखिका बन जाते हैं.

      चलो, चलकर चाय-नाश्ता लाओ, बहुत ज़ोर से भूख लगी है.” ये सब सुनते ही तमन्ना तिलमिला उठी. हृदय में भावनाओं की हृदय-विदारक चीत्कार हुई. धमनियों का रक्त जहां का तहां जम गया. आंसुओं का सैलाब अपनी कला के अपमान पर सब्र का बांध तोड़ टप-टप करता आंखों की कोरों से निकलता हुआ बहकर चेहरे पर आ गया. तमन्ना को लगा जैसे उसके स्वच्छ कला रूपी बहते जल को किसी ने निर्ममता और क्रूरता से बांध दिया हो, केवल सड़ जाने के लिए तथा कीचड़ भी उछाल दिया हो औरत तथा कला की निर्मलता पर. 

      तमन्ना की सारी तमन्नाएं, इच्छाएं आंसुओं में बह गईं. शरीर लगभग जड़ हो गया. थोड़ी देर में पति की आवाज़ पर तमन्ना ने अपने जड़ शरीर को ज़बरन उठाया और चल पड़ी रसोई की ओर. तमन्ना को लगा भारतीय समाज में स्वार्थी पुरुष समाज की हीन मानसिकता में जन्म लेने का उसे पुरस्कार मिल गया.

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें