नई दिल्ली । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की करीबी समझे जाने वाली पत्रिका आर्गेनाइजर में छपे एक लेखको लेकर भारतीय जनता पार्टी और अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बीच वाकयुद्ध छिड़ गया। इस लेख में एनसीपी के साथ गठबंधन को लेकर भाजपा की आलोचना की गई है।
एनसीपी नेता और शिंदे सरकार में मंत्री छगन भुजबल ने कहा, ‘‘ कुछ हद तक यह लेख सच हो सकता है। कुछ लोगों ने कांग्रेस से आए नेताओं, जैसे कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को शामिल करने के लिए भाजपा की आलोचना भी की है। यहां तक कि पूर्व कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा को भी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने शामिल किया और उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाया।’’
उन्होंने पूछा, ‘‘लेकिन उत्तर प्रदेश के नतीजों के बारे में कौन बात करेगा, जहां भाजपा की सीटें कम हुईं? अन्य राज्यों के बारे में क्या, जहां वह कुछ सीट गंवा बैठी।’’
एनसीपी नेता और राज्यसभा सांसद प्रफुल्ल पटेल ने कहा, ‘‘एक साप्ताहिक पत्रिका में छपा लेख भाजपा के रुख को नहीं दर्शाता है।’’ हालांकि पार्टी की युवा शाखा के नेता सूरज चव्हाण ने कहा कि जब भाजपा अच्छा प्रदर्शन करती है तो श्रेय आरएसएस के कठिन परिश्रम को दिया जाता है, लेकिन हार का ठीकरा अजित पवार पर फोड़ा गया।
हालांकि भाजपा के विधान परिषद सदस्य प्रवीण डारेकर ने कहा, ‘‘ आरएसएस हम सभी के लिए पितातुल्य है। आरएसएस के बारे में टिप्पणी करने की कोई जरूरत नहीं है। सूरज चव्हाण को संगठन पर टिप्पणी करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए थी। भाजपा ने एनसीपी के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की है। बेहतर होगा कि राजग की बैठकों में ऐसे मुद्दों पर चर्चा की जाए।’