बॉलीवुड में शाहरुख खान, सलमान खान और आमिर खान की सफलता ने भारतीय धर्मनिरपेक्षता को प्रमाणित किया था। हालांकि, राजनीतिक तनाव के चलते उन्होंने चुनौतियों का सामना किया। फिर भी, 2023 में शाहरुख की ‘पठान’ और सलमान की ‘टाइगर 3’ की सफलता ने साबित किया कि उनके फैन बेस अभी भी बने हुए हैं।
स्वामीनाथन एस अंकलेसरिया अय्यर
मेरे जीवन के अधिकांश समय में मैंने माना कि भारत मूल रूप से एक धर्मनिरपेक्ष देश है। इस विचार के पीछे तर्क यह था कि अगर शाहरुख, सलमान और आमिर खान जैसे मुस्लिम सुपरस्टार्स बॉलीवुड पर राज कर सकते हैं, तो भारत मुस्लिम विरोधी कट्टरपंथियों का देश नहीं हो सकता। अगर अलग-अलग धर्मों के लाखों प्रशंसक खान एक्टर्स को अपना आदर्श मानते हैं, तो भारत मूल रूप से धर्मनिरपेक्ष ही होगा। हालांकि 2019 के आम चुनावों में बीजेपी की जबरदस्त जीत ने उनके इस विश्वास को हिला दिया। ऐसा लग रहा था कि पूरा देश हिंदुत्व की ओर बढ़ रहा है। पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों और यहां तक कि न्यायपालिका के रवैये में बदलाव से यह बात और पुष्ट होती दिखी।
बॉलीवुड और धर्मनिरपेक्षता
बॉलीवुड, जिसे कभी विभिन्न धर्मों के भाईचारे का जश्न मनाने वाली फिल्मों के साथ भारतीय धर्मनिरपेक्षता का प्रमुख उदाहरण माना जाता था, उसमें भी बदलाव आने लगा। खान एक्टर्स को परदे पर और परदे के पीछे भी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। 2015 में, शाहरुख खान ने उन लेखकों, कलाकारों और वैज्ञानिकों के एक ग्रुप का समर्थन किया, जिन्होंने अपने राष्ट्रीय और राज्य पुरस्कार लौटा दिए थे। असहिष्णुता के मुद्दे पर उन्होंने ये कदम उठाया था। उन्होंने ये भी कहा था कि ये असहिष्णुता हमें अंधकार युग में ले जाएगी।’ इसके बाद शाहरुख खान को कड़ी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा। तत्कालीन बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शाहरुख आतंकवादियों की भाषा बोल रहे हैं। दूसरों ने उन्हें ‘देशद्रोही’ करार दिया और उनकी फिल्मों के बहिष्कार की धमकी दी।
जब फ्लॉप होने लगीं तीनों ‘खान’ की फिल्में
इसके तुरंत बाद, शाहरुख की फिल्में फ्लॉप होने लगीं – 2016 में ‘फैन’, 2017 में ‘जब हैरी मेट सेजल’ और 2018 में ‘जीरो’। क्या यह सिर्फ इसलिए था क्योंकि फिल्में खराब थीं? या बहिष्कार के आह्वान ने उनके फैन बेस को प्रभावित किया था? 2021 में, पुलिस ने उनके बेटे आर्यन खान को ड्रग रखने के आरोप में गिरफ्तार किया। आर्यन को आखिरकार रिहा कर दिया गया, लेकिन गिरफ्तारी को बॉलीवुड के लिए एक चेतावनी के रूप में देखा गया। सलमान खान ने कभी राजनीतिक बयान नहीं दिया। हालांकि, आमिर खान 2002 के गुजरात दंगों के बाद और 2014 में उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद भी नरेंद्र मोदी की आलोचना करते रहे हैं। 2015 में, आमिर ने एक जर्नलिज्म अवॉर्ड समारोह में खुलासा किया कि उन्होंने अपनी हिंदू पत्नी किरण राव के साथ सांप्रदायिक स्थिति पर चर्चा की थी, और किरण को आश्चर्य हुआ कि क्या सुरक्षा के लिए उनके परिवार को भारत छोड़ देना चाहिए। इसके बाद सोशल मीडिया पर हिंदुत्व समर्थकों ने शाहरुख और आमिर खान पर ताने कसते हुए कहा कि उन्हें भारत छोड़ देना चाहिए और देश को खुशहाल बनाना चाहिए।
फ्लॉप के पीछे क्या हिंदुओं की नाराजगी थी?
आमिर को 2016 में ‘दंगल’ से बड़ी सफलता मिली, लेकिन उनकी अगली फिल्म ‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तान’ एक डिजास्टर साबित हुई थी। वह चार साल तक फिर दिखाई नहीं दिए। लेकिन फिर आई उनकी बहुचर्चित फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ जिसके बहिष्कार का आह्वान करते हुए हैशटैग चलने लगे। फिल्म एक बड़ी फ्लॉप साबित हुई। क्या ये केवल खराब फिल्में थीं जो फ्लॉप होने के लायक थीं? या इसमें हिंदू समुदाय की नाराजगी का भी हाथ था?