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जी-20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन से चिनाब घाटी में बढ़ेगा पर्यटन

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आरती शांत

जम्मू और कश्मीर का खूबसूरत क्षेत्र अपने आश्चर्यजनक प्राकृतिक दृश्यों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए पहले से ही जाना जाता है, लेकिन अब जी-20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन ने इस क्षेत्र की पर्यटन क्षमता को वैश्विक मंच पर प्रकाशित करने का एक अनूठा अवसर प्रदान किया है। इसका भरपूर लाभ उठाते हुए इस केंद्र शासित प्रदेश की प्रशासन ने पर्यटकों को अधिक से अधिक आकर्षित करने के लिए नई पहल और योजनाओं पर अमल करना शुरू कर दिया है। वैसे तो जम्मू-कश्मीर को कश्मीर घाटी के साथ-साथ चिनाब घाटी, पुंछ घाटी आदि और भी कई घाटियों से जाना जाता है। जहां प्रकृति ने मानों अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया है। परंतु अगर बात चिनाब घाटी की करें तो यहां कई टूरिस्ट प्लेस हैं, जो पर्यटकों के मनोरंजन का केंद्र बने हुए हैं।

चिनाब घाटी के अंतर्गत आने वाले प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भद्रवाह को मिनी कश्मीर भी कहा जाता है। यहां की हरी-भरी वादियों में कलकल बहते झरने किसी का भी मन मोह लेते हैं। गर्मियों में न केवल स्थानीय बल्कि देश और विदेश से पर्यटक यहां पर आकर हरी-भरी चरागाहों में घूमने का आनंद उठाते हैं। भद्रवाह जिला डोडा की एक तहसील है और यह जम्मू से 200 किलोमीटर की दूरी स्थित है। मुख्य सड़क मार्ग काफी अच्छे हैं। पर्यटक जम्मू से बटोत तक की यात्रा ‘फोरलेन हाईवे’ से करते हैं।

बटोत से पुल डोडा और आगे भद्रवाह तक सड़क अच्छी है, जिससे पर्यटक आसानी से यहां पहुंच सकते हैं। पर्यटकों को यहां की हरी और गहरी वादियां, दूध जैसे शीतल पानी के झरने, लंबी लंबी चरागाहें, बर्फ से ढके ऊंचे-ऊंचे पहाड़ अपनी ओर आकर्षित करते हैं। उन्हें लगता है मानो धरती का स्वर्ग यही है। भद्रवाह की जॉय वैली पर्यटकों के बीच सबसे लोकप्रिय है। पर्यटक यहां की लंबी-लंबी चरागाहों में सैर करते और बहते ठंडे पानी के झरनों में अठखेलियां करते नज़र आते हैं।

पर्यटन रोजगार पैदा करता है और लोगों के जीवनस्तर को भी ऊपर उठाता है। यहां पर्यटक कम आने के कई कारण हैं, जैसे आवश्यक सुविधाओं की कमी, यातायात की कमी, रहने के स्थान में कमी और भोजन जैसी सुविधाओं का अभाव होना अहम है। चिनाब घाटी को पर्यटन के अनुकूल बनाने और पर्यटन उद्योग से जुड़े आवश्यक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए तालमेल का होना आवश्यक है।

लेकिन पर्यटन विभाग की उदासीनता के कारण अभी भी बड़ी संख्या में पर्यटक इस खूबसूरत स्थान से अनजान हैं। इस संबंध में डोडा के रहने वाले 30 वर्षीय नितिन कुमार कहते हैं कि ‘जॉय वैली चिनाब घाटी की बहुत ही खूबसूरत जगहों में एक है। मैं थोड़े-थोड़े दिनों बाद यहां जाता रहता हूं, क्योंकि यह जगह मुझे बहुत आकर्षित करती है। मैं चाहता हूं कि यहां पर थोड़ा विकास होनी चाहिए, जो लोग यहां आएं उनके रहने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। फिलहाल यहां अगर रुकना हो तो पर्यटकों को टेंट खरीदने पड़ते हैं, क्योंकि रहने की उचित व्यवस्था नहीं है।वहीं खाने-पीने की चीजों की भी समुचित व्यवस्था नहीं है। अगर सरकार द्वारा यहां ठहरने की कोई उचित व्यवस्था मुहैया करवाई जाए तो उसके सीधे तौर पर दो फायदे होंगे, एक तो यहां पर्यटकों को सभी सुविधाएं उपलब्ध हो जाएंगी, जिससे अधिक से अधिक संख्या में पर्यटक यहां पहुंचेंगे। दूसरा, यहाँ के लोगों को रोज़गार के साधन उपलब्ध होंगे और उनका आर्थिक तथा सामाजिक विकास भी होगा।

आसमान छूते पहाड़

केंद्र प्रशासित जम्मू-कश्मीर के जम्मू संभाग का डोडा जिला यूं तो हर दृष्टिकोण से खूबसूरत है। इसकी खूबसूरती को चार चांद लगाने वाली चिंता घाटी समुद्र सतह से 6500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। जो चारों तरफ घने जंगलों से घिरा हुआ है। यहां कई टूरिस्ट स्पॉट भी हैं। इसी चिंता घाटी के चिंता नाहला पर बना थुबा पॉइंट स्थित है। यह भद्रवाह का सबसे ऊंचा पॉइंट है। इसी तहसील भद्रवाह से 40 किमी दूर एक और खूबसूरत जगह बाल पाद्री स्थित है, जो समुंदर की सतह से 10500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह एक खूबसूरत पिकनिक स्पॉट है। जहां पर्यटक साल में कई बार बर्फबारी का आनंद उठाने आते हैं। यहां आकर पर्यटक प्रकृति की गोद में घुड़सवारी भी करते हैं।

यहां सर्दियों के मौसम में काफी बर्फ रहती है। यहां आने का सबसे सुंदर समय मई, जून और जुलाई है। इस संबंध में डोडा बलेसा के रहने वाले अर्जुन ठाकुर कहते हैं कि यह डोडा की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। बाल पदरी में पर्यटकों के ठहरने की कोई बेहतर व्यवस्था नहीं है। यहां आने वाले पर्यटक ठहरने के लिए अपना टेंट खुद लेकर आते हैं अन्यथा उन्हें खुले आसमान के नीचे रात गुज़ारनी पड़ सकती है। हालांकि यह एक ट्रैकिंग प्लेस है, ऐसे में यदि यहां रहने और खाने-पीने की उचित व्यवस्था हो तो पर्यटकों की संख्या भी बढ़ेगी।

चिनाब घाटी के लोगों का मुख्य पेशा कृषि है। लेकिन अगर यहां के पर्यटन स्थलों को बेहतर बनाया जाए और पर्यटकों के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जायें तो न केवल यह जगह पर्यटन के मानचित्र पर उभर कर सामने आएगा, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार के नए साधन भी उपलब्ध होंगे। इस संबंध में स्थानीय निवासी 28 वर्षीय काजल कुमारी कहती है कि ‘पर्यटन, वास्तव में लोगों का मनोरंजन करने के साथ-साथ उनमें ऊर्जा का नया संचार भी करता है। यदि चिनाब घाटी के पर्यटक स्थलों को विकसित किया जाए, तो इसकी खूबसूरती को निहारने वालो की भी कमी नहीं होगी। इससे यहां के लोगों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार आएगा। विकास होने से यह दूर-दराज इलाका देश के अन्य जगहों से भी जुड़ सकता है। पर्यटन स्थलों के विकास से देश और विदेश के लोगों को यहां की संस्कृति और लोक जीवन के बारे में जानने का अवसर भी मिलेगा।’

पर्यटन रोजगार पैदा करता है और लोगों के जीवनस्तर को भी ऊपर उठाता है। यहां पर्यटक कम आने के कई कारण हैं, जैसे आवश्यक सुविधाओं की कमी, यातायात की कमी, रहने के स्थान में कमी और भोजन जैसी सुविधाओं का अभाव होना अहम है। चिनाब घाटी को पर्यटन के अनुकूल बनाने और पर्यटन उद्योग से जुड़े आवश्यक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए तालमेल का होना आवश्यक है। इस संबंध में जम्मू कश्मीर के पर्यटन सचिव सैयद आबिद राशिद शाह कहते हैं कि ‘हम जम्मू कश्मीर आने वाले पर्यटकों के लिए लगातार नए और अनोखे अनुभव बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में लगातार प्रयास जारी है।’ अब यह आने वाला समय ही बताएगा कि चिनाब घाटी और इसके पर्यटन का कितना विकास हो पाता है?

आरती शांत, डोडा (जम्मू) में युवा समाजसेवी हैं।

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