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देश को भारी पड़ सकती है चीनी मिठास

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सुसंस्कृति परिहार

 हमें समझना होगा  कि जिस चीन से आम भारतीय नफरत करता है।जिसने भारत के साथ 1962 में  प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के छल किया।”चीनी हिन्दी भाई भाई” कहते हुए हमारे नेफा को धर दबोचा और एक हमारे सीमावर्ती अरुणाचल की ज़मीन हथिया ली। इस अचानक हमले में हज़ारों सैनिक मारे गए।देश भर में कोहराम रहा । नेहरू जी भी इस विश्वासघात को सह नहीं पाए और 1964 में हृदयाघात से चले गए।

आज उसी चीन से इतना याराना समझ से परे है चीनी सामग्री पर एक तरफ प्रतिबंध की बात जोरशोर होती है वहीं दूसरी ओर साहिब के मित्र गौतम अडानी के चीनी फर्म PMC प्रोजेक्ट्स के साथ का खुलासा कांग्रेस अपनी पत्रकार वार्ता में करती है। बताया गया कि इस चीनी फर्म का मालिकाना हक चीनी नागरिक माॅरिस चांग के पास है।मारिस चांग चुंग लिंग के बेटे हैं ।जिस अडानी को भारत सरकार ने पोर्ट,एयर पोर्ट, रेल ,सड़क , सैन्य उपकरण, खदानें, गैस वितरण आदि का ठेका दे रखा है उसी के परिसर में चीनी फर्म का कारोबार चल रहा है। विदित हो कि गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी का चांग चुंग लिंग की कंपनियों में गहरी साझेदारी है।यह तय कि गौतम अडानी पर यदि जेपीसी जांच होती है तो चीनी पुत्र मॉरिस और पिता चांग चुंग भी घेरे में आ जाएंगे।ये अन्दरूनी रिश्ते उजागर ना हो पाएं इसलिए ये पर्देदारी है। 

पिछले कई महीनों से पेंगांग झील की कई फिंगरो पर चीन ने अपना कब्जा जमाया हुआ है।गलवान घाटी में गांव बसने और उनकी फोटो भी सामने आई हैं उधर लद्दाख में वहां के सांसद ने जब घुसपैठ और बस्ती बनाने की बात सदन में की तो रक्षा मंत्रालय ने साफ साहिब के हवाले से बता दिया कि ना चीन से कोई घुसपैठ हुई है और ना ही कोई बस्ती बसाई गई है। जबकि साफतौर पर यह बात जाहिर हो चुकी है।चीन को लाल आंख दिखाने वाला अब कहने लगा है कि इतनी बड़ी समृद्ध आर्थिक व्यवस्था वाले देश से कैसे लड़ा जा सकता है।मतलब साफ है वह कुछ भी करे उसके सौ खून माफ। अरुणाचल के नेफा की ज़मीं पर हजारों सैनिकों की बलिदान गाथा से भी उनका कुछ लेना देना नहीं।अब अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्रों का नाम भी चीन अपनी मर्जी से रख रहा है। पिछले दिनों चीन के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट तौर पर इन बदले नामों की घोषणा करते हुए बताया कि अरुणाचल चीन का हिस्सा है उस पर उसका अधिकार है।

इतना सब होने के बावजूद हमारी सेना को सिर्फ देखने को कहा गया है।कुछ ऐक्शन लेने नहीं। आखिर कार चीन के साथ इस याराने का कुछ तो गहरा राज है। लद्दाख और अरुणाचल के लोग अपने आपको असुरक्षित महसूस करने लगे हैं वे तो यह भी कह रहे हैं कि भारत सरकार ने चीन के साथ कोई गोपनीय समझौता किया है जिसके कारण वे हमारी सुरक्षा का ख्याल नहीं कर रहे।

ऐसे हालात तो यही संकेत दे रहे हैं चीन के साथ बढ़ता याराना कहीं ईवीएम हेक के लिए तो नहीं। क्योंकि इज़रायल जैसे देश का भंडाफोड़ हो चुका है और चीन वर्तमान में तकनीकी क्षेत्र में बहुत आगे है।2024 का चुनाव करीब है यदि सरकार इस बार चीन की कृपा से कामयाब होती है तो अडानी और PMCचीनी फर्म फूलेंगी फलेंगी और चीन को उपहार स्वरुप भारत भू का बड़ा हिस्सा भी दे दिया जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिये।

अतएव बहुत ज़रूरी है कि इस चीनी मधुर रिश्ते पर सूक्ष्म नज़र रखी जाए साथ ही साथ ईवीएम को चुनाव से अलग रखने हेतु विशेष तौर पर सामूहिक अभियान चलाया जाए।हम सब जानते हैं चीनी अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़े बाजार के रूप में भारत की उसे सख्त जरूरत है इसलिए उसकी नज़र गुजरात में झूला झुलाने वाले बड़े साहिबजी पर है। हमें याद रखना होगा नेहरू युग में जब चीनी हिन्दी भाई भाई ने क्या गुल खिलाए थे।अब तो चीन की बड़ी अर्थव्यवस्था से डरे शहंशाह भाई और शाह भाई की सरकार है।खतरा बढ़ा है।

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