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आत्महत्या समस्या का हल नहीं, कमजोरी है

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(विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस विशेष 10 सितंबर 2024)

डॉ. प्रितम भि. गेडाम

आत्महत्या कभी भी, किसी भी समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि आत्महत्या एक अपराध है। समस्याओं से भागना कमजोरी है, सभी प्राणियों में सबसे बुद्धिमान मनुष्य है, लेकिन पूरी दुनिया में मनुष्य के अलावा कोई भी जानवर या जीव आत्महत्या नहीं करता। जब एक प्राणी भी अपने जीवन के अंत तक संघर्ष करता है, तो आज के आधुनिक समाज में सुविधा संपन्न व्यक्ति आत्महत्या क्यों करता है, यह पूरी तरह से अनुचित है। जीवन में हर व्यक्ति का संघर्ष दूसरों को बेहतर जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है। असफलता हमें सिखाती है कि क्या नहीं करना चाहिए। दुख है तो सुख भी है, नफरत है तो प्रेम भी है, असत्य है तो सत्य भी है, बुराई है तो अच्छाई भी है। हर दिन एक जैसा नहीं होता, परिवर्तन संसार का नियम है। पशु-पक्षी, जीव-जन्तु कभी निराश नहीं होते, जब तक जीवन है, तब तक काम करते हैं, जब वे कठिनाइयों का सामना करते हैं तो उनकी मदद करने वाला तक कोई नहीं होता।

आत्महत्या से वैश्विक स्तर पर हर साल 7 लाख से अधिक मौतें होती हैं। आत्महत्या से घर परिवार, समुदाय पर गहरा प्रभाव पड़ता है। घर के किसी व्यक्ति के जाने के बाद उसकी कमी कोई पूरी नहीं कर सकता। आत्महत्या से परिवार के लोगो को आर्थिक, मानसिक, सामाजिक पीड़ा सहनी पड़ती है। इस साल 2024 से 2026 तक के लिए “विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस” का त्रिवार्षिक थीम “बातचीत शुरू करने” के आह्वान के साथ “आत्महत्या पर कथा बदलना” है। इस थीम का उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना और आत्महत्या की रोकथाम के बारे में खुली बातचीत को प्रोत्साहित करना है। चुप्पी और कलंक की संस्कृति से खुलेपन, समझ और समर्थन की संस्कृति में बदल सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन अनुसार, जितने लोग आत्महत्या करते है उससे 20 गुना अधिक लोग आत्महत्या का प्रयास करते हैं, दुनिया में औसतन हर 40 सेकंड में आत्महत्या से एक मौत और हर 3 सेकंड में एक आत्महत्या का प्रयास है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के आधार पर “छात्र आत्महत्या : भारत में फैलती महामारी” रिपोर्ट 2024 अनुसार, हर साल आत्महत्याओं में 2 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है और चौंकानेवाली बात है कि छात्र आत्महत्याओं में 4 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है। दुनिया में सबसे ज्यादा आत्महत्याएं भारत में होती हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में 171,000 लोग आत्महत्या से मर गए, जिसमें 2021 की तुलना में 4.2% की वृद्धि और 2018 की तुलना में 27% की वृद्धि दर्ज की गई। एक लाख पर आत्महत्या की दर 12.4 हो गई है, जो बहुत अधिक है। 2022 में देश में 1.7 लाख आत्महत्या से होने वाली मौतों में से 13.3% के साथ, महाराष्ट्र राज्य देश की आत्महत्या राजधानी के रूप में शीर्ष पर है। महाराष्ट्र राज्य के राहत और पुनर्वास विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल महाराष्ट्र राज्य में 2,851 किसानों ने वित्तीय संकट के कारण आत्महत्या करके अपनी जान दे दी। 2022 में यह संख्या बढ़कर 2,942 हो गई, जबकि 2021 में यह 2,743 थी।

सरकारी अधिकारियों की गलतियों, लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण कई दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें हमेशा जान-माल की हानि होती है, ऐसी दुर्घटनाओं में हर साल बड़ी संख्या में लोग मारे जाते हैं, फिर भी दोषी अधिकारी ये अपराधी होकर भी आत्मग्लानि में नहीं जलते और आत्महत्या नहीं करते, फिर हम क्यों छोटी-छोटी बात पर अपना आपा खो देते है। मनुष्य की बुराइयों ने आज जीवन को कठिन बना दिया है, क्योंकि मनुष्य के लालच और स्वार्थ ने समस्याएं पैदा कर दी हैं। झूठा दिखावा, लोगों से अत्यधिक अपेक्षाएं या ज्यादा भरोसा, घमंड, नशे की लत, संस्कार की कमी, गलत संगत, कथनी-करनी में अंतर, अनियंत्रित भावनाएं, मेहनत की कमी, आलस्य, कमजोर महसूस करना, जल्दी हार मानना, संतुष्टि की कमी ये सब मानव निर्मित समस्याएं हैं, जो मृत्यु का कारण भी बनती है। जो जीत हासिल करना जानते है, उन्होंने ही दुनिया में इतिहास रचा है, क्योंकि उन्होंने संघर्ष किया है, अपना लोहा मनवाया है।

जिंदादिली का सबसे बड़ा उदाहरण हमारे देश के नेता हैं, हमें उनसे सीखना चाहिए कि हर कठिन परिस्थिति में सकारात्मक सोच कैसे रखनी चाहिए। चुनाव जीते-हारे, दलबदल, घोटालों का गंभीर आरोप लगे या उन पर केस हो, जेल जाना पड़े, मंत्रीपद छोड़ना पड़े, गठबंधन टूट जाए, प्रतिद्वंदियों से हाथ मिलाना पड़े, लेकिन नेता हमेशा तनाव को नियंत्रित रखते है, हर हाल में जनता को सकारात्मक वादे करते हैं और खुद भी स्वस्थ बने रहते हैं। चुनाव के दौरान वह बारिश और धूप में लगातार रैली करते है, यहां तक कि कम नींद लेकर भी अपनी ऊर्जा बनाये रखते है। उम्र का उन पर ज्यादा असर नहीं दिखता, वे हर दिन 12-14 घंटे व्यस्त रहते हैं। मुश्किल प्रसंग में भी आत्महत्या के बारे में नहीं सोचते, यह आदतें, व्यवहार, बातें हम सभी को सीखने की जरूरत है।

इंसानी जज्बे, बुलंद हौसले और जुनून की अनूठी मिसाल माउंटेन मैन दशरथ मांझी जो बिहार के ग्रामीण क्षेत्र के अतिसामान्य गरीब बुजुर्ग व्यक्ति, जिन्होंने अकेले लगातार 22 साल हथोड़े छेनी के मदद से पहाड़ काटकर रास्ता बनाया। लोग पहले उन्हें पागल कहते थे, लेकिन उन्होंने पूरी दुनिया में इतिहास रच दिया। धुप, बारिश, तूफान हर मौसम की चुनौतियों को पार कर एक वयोवृद्ध व्यक्ति ने असंभव को संभव बना दिया। जरा सोचकर देखो कि इन 22 सालों  में उन्हें कितनी तकलीफें सहनी पड़ी होगी, लेकिन उनका लक्ष्य केवल एक था, वे अपने लक्ष्य से कभी विचलित नहीं हुए, न कभी हिम्मत हारी। इसे कहते है सकारात्मक सोच का जज्बा।

पैरालंपिक में दुनिया के दिव्यांग खिलाड़ी अपना सर्वश्रेष्ठ कौशल दिखाते हैं और देश के लिए पदक जीतकर देश का मान बढ़ाते हैं। स्टीफन विलियम हॉकिंग जैसे कई वैज्ञानिकों ने अपनी विकलांगता को कमजोरी नहीं बनने दी, उन्होंने नई खोज कर इतिहास रचा है। मनुष्य को कभी भी अपने आप को कमजोर नहीं समझना चाहिए और ना ही कभी हार माननी चाहिए। इस अनमोल जीवन को खुशी से आखिरी सांस तक हर परिस्थिति में मुस्कुराते हुए जीना है। सारी दुनिया की दौलत खर्च करने के बाद भी हम एक पल की जिंदगी भी खरीद नहीं सकते। अनमोल जीवन का मूल्य समझें। छोटीसी चींटी भी बार-बार असफल होने के बाद भी प्रयास नहीं छोड़ती है, हार नहीं मानती, फिर से प्रयास कर सफल होती हैं, तो फिर कोई व्यक्ति आत्महत्या जैसा अपराध क्यों करता है?

दुनिया में हमसे भी ज्यादा लोग संघर्ष करते है। गुस्से या आवेश में आकर जल्दबाजी में कभी कोई निर्णय न लें,  ख़ुशी या भावनाओं में बहकर कोई भी वादा न करें। कोई भी अनुचित निर्णय लेने से पहले उसके परिणाम, अपनों पर प्रभाव, भविष्य पर विचार करें। लोगों से ज्यादा उम्मीदें न लगाएं, झूठे दिखावे से बचें, अपनी मर्यादाओं को पहचानें। बच्चों को अच्छे-बुरे की समझ दें, बुजुर्गों और महिलाओं का आदर, कमजोरों की मदद, नशे से दूरी, संस्कार, न्याय और एकता की सीख बच्चों को बचपन से मिलनी चाहिए। हेल्दी हॉबी, परोपकारिता, व्यायाम, प्रकृति और पशुओं से प्रेम, समाज और देश के प्रति नैतिक जिम्मेदारी, अच्छे काम के लिए श्रमदान करने से हमें परिपक्वता, सुजान नागरिक और समाधानी बनने में मदद मिलती है। ऐसे दिनचर्या और जीवनशैली से हम हमेशा सुखद वातावरण का अहसास करते है, सकारात्मक विचारशक्ति बढ़ती है, तनाव मुक्त जीवन जीने का यह आसान तरीका है।  

डॉ. प्रितम भि. गेडाम

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