-निर्मल कुमार शर्मा
पृथ्वी से चंद्रमा की सामान्य दूरी 384400 किलोमीटर ही है । सुपरमून का होना एक खगोलीय घटना है,जिसके दौरान चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक आ जाता है,वास्तव में चंद्रमा की अपनी दीर्घवृत्ताकार कक्षा में पृथ्वी के परिक्रमण के दौरान एक समय ऐसा आता है,जब चंद्रमा पृथ्वी से सुदूरवर्ती बिंदु से होकर गुजरता है,तब हमारी पृथ्वी और चांद के बीच की अधिकतम् दूरी 405696 किलोमीटर हो जाती है,तो कभी एक ऐसा समय भी आता है,जब चंद्रमा पृथ्वी से न्यूनतम दूरी पर स्थित होता है । जब किसी पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अपनी दीर्घवृत्ताकार कक्षा में पृथ्वी से निकटतम बिंदु पर या उसके समीप स्थित होता है तो यह परिघटना सुपरमून कहलाती है या जब चंद्रमा और पृथ्वी के बीच में दूरी सबसे कम रह जाती है। इसके साथ ही पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य के बीच में आ जाती है,जिसके बाद चांद की चमक शबाब पर होती है। इसे ‘सुपर मून या Super Moon’ कहते हैं । दूसरे शब्दों में हमारी पृथ्वी से नजदीक वाली स्थिति को,जिसमें हमारा चंद्रमा हमारी पृथ्वी से सामान्य दिनों की तुलना में 50200 किलोमीटर नजदीक खिसक कर आ जाता है और वह मात्र 356500 किलोमीटर की ही दूरी पर ही अवस्थित रह जाता है,तब इस विशिष्ट खगोलीय परिघटना के समय चंद्रमा को पेरिगी मून Perigee Moonकहते हैं और दूर वाली स्थिति को,जिसमें हमारे चंद्रमा की हमारी पृथ्वी से अधिकतम दूरी 406700 किलोमीटर होती है,उस स्थिति में चांद को अपोगी मून Apogee Moon कहते हैं ।
अमेरिकी अंतरिक्ष संस्थान नेशनल एयरोनॉटिक्स ऐंड स्पेस ऐडमिनिस्ट्रेशन या नासा या National Aeronautics and Space Administration के ही एक खगोलविद नोआह पेट्रो,Astronomer Noah Petro के अनुसार चंद्रमा की कक्षा पूरी तरह गोल नहीं है, इसलिए चंद्रमा कभी-कभी अपनी कक्षा में चक्कर लगाते समय अपेक्षाकृत पृथ्वी के अधिक नजदीक आ जाता है । उस स्थिति में चंद्रमा के आकार में कोई बदलाव नहीं होता है,अपितु वह केवल आकाश में थोड़ा बड़ा दिखाई देने लगता है। उन्होंने ये भी बताया था कि सुपरमून के दौरान चंद्रमा पृथ्वी से अंत्यधिक नजदीक होने की वजह से पृथ्वी से उसका तकरीबन 90 प्रतिशत हिस्सा तक नजर आ जाता है। सुपरमून के समय चंद्रमा सामान्य से 14 प्रतिशत बड़ा या 14 Percent Largerऔर चमक में लगभग 30 प्रतिशत तक अधिक चमकदार या About 30 Percent Brighter in Brightness दिखाई पड़ता है ! आश्चर्यजनक बात यह भी है कि सुपरमून कोई आधिकारिक खगोलीय शब्द ही नहीं है। सुपरमून शब्द का सर्वप्रथम उपयोग अमेरिकी खगोलविद् रिचर्ड नोल,American Astronomer Richard Knoll द्वारा वर्ष 1979 में प्रयोग किया गया था। उस समय इस अमेरिकी खगोलविद् रिचर्ड नोल,American Astronomer Richard Knoll ने इसे ‘पेरीजीन फुल मून या Perigean Full Moon ‘नाम दिया था।
ब्लू मून Blue Moon
धरती और चांद की यह वह स्थिति है जब चांद महीने के दूसरे फुल मून यानी पूर्ण चंद्र का मौका होता है,जब फुलमून महीने में दो बार होता है तो दूसरे वाले फुलमून को ब्लूमून कहते हैं ।
ब्लड मून, Blood Moon
हम चंद्र ग्रहण के दौरान अक्सर देखते हैं कि पृथ्वी की छाया की वजह से धरती से चांद बिल्कुल काला दिखाई देता है,इस चंद्रग्रहण के दौरान केवल कुछ सेकेंड के लिए चांद पूरी तरह लाल भी दिखाई देता है ! इस स्थिति वाले लाल दिखाई देने वाले चांद को ब्लड मून कहते हैं !
ब्लड मून बनने की यह स्थिति तब आती है जब सूर्य की रोशनी छितराकर चांद तक पहुंचती है,परावर्तन के नियमों या laws of Reflection के अनुसार हमें कोई भी वस्तु उस रंग की ही दिखती है,जिससे प्रकाश की किरणें टकरा कर हमारी आंखों तक पहुंचती है ! चूंकि सबसे लंबी तरंग दैर्ध्य या Wavelength लाल रंग का होती है और सूर्य से सबसे पहले वो ही चांद तक पहुंचती है,जिससे चंद्रमा का रंग हमारी आंखों को लाल दिखता है,और इसे ही ब्लड मून कहते हैं !
माइक्रो मून,Micro Moon
सुपरमून के विपरीत एक माइक्रोमून Micromoon की स्थिति भी आती है। यह तब होता है जब चंद्रमा की हमारी पृथ्वी से दूरी अधिकतम् होती है,और चंद्रमा अपभू नामक बिंदु या Apogee Point पर होता है। चंद्रमा तब बहुत ही छोटा दिखाई पड़ता है।
उक्त वर्णित चंद्रमा की सभी खगोलीय स्थितियों के अतिरिक्त चंद्रमा की एक अन्य स्थित भी होती है,जिन महीनों में चंद्रमा हमारी पृथ्वी के क्षितिज के निकट होता है,चंद्र भ्रम की घटना के कारण उसका आकार और प्रभाव बढ़ जाता है। खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार यह खगोलीय घटना पूरे वर्ष में बेहतरीन ढंग से देखने के लिए जुलाई का महीना ही सर्वोत्तम महीना में होता है !
सुपर मून की और श्रेणियां,More Categories of Super Moon
सुपर मून मूल रूप से एक ऐसी श्रेणी है जिसमें चंद्रमा उस दिन पृथ्वी से मात्र 356500 किलोमीटर की ही या उससे कम की दूरी पर ही पृथ्वी की परिक्रमा करता है। सुपरमून आमतौर पर 2-3 के समूहों में बारीकी से अनुसरण करते हैं । यथा –
स्ट्राबेरी मून, Strawberry Moon
जून के फुल मून को स्ट्रॉबेरी मून कहा जाता है, क्योंकि उत्तरी अमेरिका में जून के महीने में स्ट्रॉबेरी की फसल पक जाती है ! और यह इसी रंग का होता है !
बक मून, Buck Moon
जुलाई के फुल मून को बक मून कहा जाता है क्योंकि इस महीने में अमेरिका में हिरन के नए सींग आते हैं !
स्टर्जन मून, Sturgeon Moon अगस्त के महीने में दिखने वाले पूरे चांद को स्टरगन मून कहा जाता है,जो ठीक भारतीय त्योहार रक्षाबंधन को ही दिखता है !
पैरिगी या पैरिजी और सिजेजी का टेक्निकल नाम,Perigee or Syzygy Technical Name
जब पृथ्वी,चांद और सूरज एक लाइन में होते हैं,तो उसे सिजेजी ,Syzygy कहते हैं। पैरेजी, Perigee – जब चांद और पृथ्वी एक-दूसरे के सबसे करीब होते हैं,उस वक्त उनके बीच की जो दूरी होती है,वो पैरेजी,Perigee कहलाती है। इसकी बोलने में इसकी परिभाषा बहुत लंबा और जटिल है- यथा ‘Perigee Syzygy of the Earth-Moon-Sun System ‘ यानी ‘पृथ्वी-चांद और सूरज के सिस्टम की पैरेजी-सिजेजी सिस्टम ! ‘
-निर्मल कुमार शर्मा ‘गौरैया एवम् पर्यावरण संरक्षण तथा देश-विदेश के सुप्रतिष्ठित समाचार पत्र-पत्रिकाओं में वैज्ञानिक,सामाजिक, राजनैतिक, पर्यावरण आदि विषयों पर स्वतंत्र,निष्पक्ष,बेखौफ,आमजनहितैषी,न्यायोचित व समसामयिक लेखन,संपर्क-9910629632