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‘स्वर-सुरों की वीणा’ को सीएम का इंतजार 

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 कीर्ति राणा

भाजपा नेत्री डॉ दिव्या गुप्ता को इंतजार है मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की स्वीकृति मिलने का। जिस दिन उनके आगमन की तारीख मिल जाएगी, अन्य अतिथि भी उस दिन आ जाएंगे। प्रसंग रहेगा वीना नागपाल के जीवन और कृतित्व पर आधारित पुस्तक ‘स्वर-सुरों की वीणा’ के लोकार्पण का।संघ से जुड़े रहे और विदेश नीति के जानकार डॉ ओम नागपाल की पत्नी होना ही वीणा नागपाल का परिचय नहीं है। नईदुनिया में वर्षों तक ‘घर की दुनिया’ पेज में ‘अपनी बात’ कॉलम के जरिये स्त्री चेतना और महिलाओं के अधिकारों को लेकर सतत लेखन करने वाली प्रगतिशील नजरिये वाली वीणा नागपाल ने अपने लेखन से अपनी पहचान बनाई।बीते साल उनका निधन हुआ, उसके बाद से ही दिव्या गुप्ता अपनी मां के इस काम को पुस्तक का रूप देने का संकल्प ले चुकी थीं।डॉ नागपाल के शिष्य डॉ अशोक कुमट ने किताब का संपादन किया है। बस मुख्यमंत्री कार्यालय से उनके आगमन की तारीख का इंतजार है। बहुत संभव है कि जनवरी के दूसरे पखवाड़े में किताब का विमोचन समारोह सम्पन्न हो सकता है। 

🔹 दिग्विजय सिंह को 10 करोड़ का नोटिस 

राज्यसभा सदस्य-पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को अधिवक्ता संजय श्रीवास्तव ने 10 करोड़ की मानहानि का नोटिस भेज दिया है और माफी मांगने के लिए एक महीने का समय दिया है। श्रीवास्तव, प्रदेश के पूर्व परिवहन मंत्री और वर्तमान में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के करीबी हैं।दिग्विजय सिंह ने मंत्री गोविंद सिंह राजपूत पर परिवहन मंत्री रहते हुए करोड़ों की वसूली करने का आरोप लगाया था। इन्हीं आरोपों में दिग्विजय सिंह ने गोविंद सिंह के साथ संजय श्रीवास्तव का भी नाम लिया था।सिंह ने परिवहन वसूली के मामले में आरटीओ के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा से कनेक्शन होने का दावा किया गया था। संजय श्रीवास्तव ने इन आरोपों के बाद छवि को नुकसान पहुंचने का आरोप लगाते हुए दिग्विजय सिंह को मानहानि का नोटिस भेजा है।

🔹संस्कृति सलाहकार पद,सीएम का एक नवाचार यह भी

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने एक नवाचार श्रीराम तिवारी को संस्कृति सलाहकार नियुक्त कर के किया है, यह तिवारी के सनातन ज्ञान का सम्मान भी है।तिवारी अघोषित रूप से तो महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक और वीर भारत न्यास के न्यासी सचिव रहते सरकार को तो सहयोग कर ही रहे थे, अब वे अतिरिक्त प्रभार के रूप में कल्चरल एडवायजर के रूप में आधिकारिक रूप से काम करेंगे। 

�तिवारी ने साहित्य, भारतीय प्राच्यविद्या, कला, सिनेमा और स्वराज पर आधारित 100 से अधिक पुस्तकों का संपादन और प्रकाशन किया है। वे हिंदुत्व और भारतीय परंपरा और संस्कार पर लम्बे समय से कार्य कर रहेहैं। उनके नेतृत्व में विक्रमादित्य शोधपीठ ने संस्कृति को आम लोगों से जोड़ने वाले कई आयोजन किये।उज्जैन की वैदिक घडी को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने का काम भी हुआ।कलाकारों व युवा प्रतिभाओं को प्रेरित करने वाले मार्गदर्शक भी रहे हैं। तिवारी ने छत्तीसगढ़ सरकार में भी संस्कृति, पुरातत्व व पर्यटन सलाहकार के रूप में कार्य किया है। 

🔹एमपी गजब है…कार्रवाई की जगह जिम्मेदारी

नर्सिंग काउंसिल में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे विवादित अधिकारी चंद्रप्रकाश शुक्ला को फिर से मप्र नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल का डिप्टी रजिस्ट्रार बना दिया।जिनकी शिकायत पर उन्हें पद से हटाया गया था। एनएसयूआई प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने प्रमुख सचिव से शिकायत कर सेवा समाप्ति की मांग की थी उसके बावजूद काउंसिल में पदस्थ किया गया।

🔹मान जाएंगे शिवराज 

राज्यसभा सांसद डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी ने भोपाल में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की। इस दौरान सांसद सोलंकी ने मंत्री से देश के सभी सीबीएसई व एनसीआरटी के पाठ्यक्रम में कृषि विज्ञान विषय को शामिल करने का आग्रह किया।उन्होंने एकलव्य की मूर्ति स्थापना की मांग भी की है।टंट्या मामा की प्रतिमा, अन्य योजनाएं शुरु करने वाले पूर्व सीएम शिवराज सांसद सोलंकी की इस मांग को मंजूर भी कर सकते हैं, मामला किसानों से जुड़ा है और मांग करने वाले सांसद आदिवासी हैं। 

🔹पिछोर और खनियाधाना से उठी जिले की मांग

शिवपुरी जिले की पिछोर विधानसभा को जिला बनाने की मांग दो 2003 से मांग की जा रही है। खास बात यह है कि राज्य में इस दौरान अधिकांश समय सत्ता में रही बीजेपी के अधिकांश नेता भी पिछोर को जिला बनाने पर सहमत हैं।शिवराज सिंह चौहान ने भी आम सभा में पिछोर को जिला बनाने की मांग पर सहमति जताई थी। लेकिन इसके बाद भी पिछोर को अब तक जिले का दर्जा नहीं मिल सका है।

पिछोर के साथ ही खनियाधाना को भी जिला बनाने की मांग उठ रही है। खनियाधाना से शिवपुरी की दूरी  100 किलोमीटर से अधिक है। हर छोटे बड़े काम के लिए लोगों को इतनी दूर जाना पड़ता है। कई बार जब एक दिन में काम पूरा नहीं होता तो लोगों को रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड पर रात गुजारनी पड़ती है।

🔹दीपक है तो अंधेरे के खिलाफ जलेगा ही

केंद्र सरकार ने इंदौर- भोपाल सिक्स लेन एक्सप्रेसवे हाइवे को मंजूरी क्या दी, राज्य सरकार को 3 हजार करोड़ वाला मंडीदीप से इंदौर-भोपाल हाईवे को जोड़ने वाला प्रस्तावित वेस्टर्न बायपास प्रोजेक्ट रद्द करना पड़ रहा है। घोषित कारण तो सिक्स लेन का बनना बताया जा रहा है लेकिन अंदरुनी बातें जो हवा में तैर रही हैं पूर्व मंत्री दीपक जोशी द्वारा केंद्र सरकार को की गई शिकायत है। पीएमओ को जो शिकायत जोशी ने की है उसका सार यह कि वेस्टर्न बायपास प्रोजेक्ट की डिजाईन तैयार करने वालों ने खास ध्यान यह रखा है कि आसपास जिन अधिकारियों-नेताओं की जमीन आ रही है उनको किसी तरह का नुकसान न हो और लाभ वर्षा होती रहे।

🔹लगातार तीसरी बार रतलाम महापौर केसरी 

रतलाम में हर साल लगने वाले त्रिवेणी मेले में नगर निगम द्वारा कराए जाने वाले दंगल में पहलवान उमेश जाट का दबदबा इस साल भी कायम रहा । लगातार तीसरे साल उमेश जाट रतलाम महापौर केसरी के विजेता रहे। महापौर प्रहलाद पटेल ने विजेता व उपविजेता पहलवानों को गदा, पट्टे, प्रशस्ति-पत्र भेंट कर सम्मानित किया।

🔹रायशुमारी या रस्म अदायगी ? 

कांग्रेस में तो नियुक्तियां का आधार कौन किसका पट्ठा है ऐसे होता है। इसके विपरीत भाजपा में रायशुमारी का तरीका अपनाया जाता है। रायशुमारी का इंदौरी इतिहास गवाह है कि यह रस्म अदायगी ही रहती है। पिछली बार कैलाश चांवला रायशुमारी वाले बंद लिफाफे में जो नाम लेकर गए थे प्रदेश संगठन मंत्री ने अपना प्रिय नाम घोषित कर दिया। ऐसा पहली बार नहीं हुआ उससे पहले शंकर लालवानी भी रायशुमारी में कहीं नहीं थे लेकिन प्रभात झा की पसंद थे। संगठन मंत्री माखनसिंह की पसंद से  सुदर्शन गुप्ता अध्यक्ष बन गये थे। यह परंपरा कुशाभाऊ ठाकरे के वक्त से चल रही है, तब उन्होंने भंवर सिंह शेखावत (अब कांग्रेस से विधायक) को आशीर्वाद दे दिया था जबकि आम कार्यकर्ताओं की पसंद सत्तन गुरु थे। 

🔹सीएम की सराहनीय पहल 

चाचा नेहरू का जन्मदिन बाल दिवस के रूप में मनाने की रस्म कांग्रेस शासन में खूब चली। केंद्र में मोदी के पीएम बनने के बाद से बाल दिवस गुरु गोविंद सिंह के दोनों पुत्रों की शहादत के रूप में मनाया जाने लगा है। मुख्यमंत्री मोहन यादव की यह सराहनीय पहल है कि गुरु गोबिंदसिंह के दोनों पुत्रों की वीरता और बलिदान को मप्र के स्कूली पाठ्यक्रम किया जाएगा। मुख्यमंत्री का कहना है हर पीढ़ी को गुरु गोबिंदसिंह के दोनों पुत्रों के बलिदान और उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में पता चल सके इसलिये भी पाठ्यक्रम में शामिल करना जरूरी है।

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