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सलीक़े का लहज़ा, कमाल का हुनर

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अन्ना दुराई*, पत्रकार

हाथ में लेकर खड़ा है
बर्फ की वो सिल्लियाँ,
धूप की बस्ती में
उसकी है यह उपलब्धियाँ….

RIP Kamal Khan: Veteran NDTV Journalist Kamal Khan Passes Away, Entire  Nation Is Crying - RIP Kamal Khan: NDTV के दिग्गज पत्रकार कमाल खान का निधन,  पूरा देश रो रहा है

वाक़ई कमाल भाई शख़्सियत ही कुछ ऐसी थी। उनकी बातें सिर्फ़ कानों पर पड़ने की बजाए दिल को छू जाती थी। तरीके बहुत से देखे हैं पत्रकारिता के लेकिन कमाल भाई में जो हुनर था वो लाजवाब था। उनसे चर्चा का अवसर एक दो बार मिला लेकिन वे जब भी अपनी बात कहते, अपनी आवाज़ का क़ायल बना लेते थे। कमाल भाई ने पत्रकारिता के बदलते स्वरूप में भी अपने अनूठे अंदाज़ से स्वयं को क़ायम रखा। वे एक ऐसे बिरले शख़्स थे जिन्होंने पत्रकारिता के तेवर को तहज़ीब में ढाला। उन्होंने सिखाया कि पत्रकारिता में लफ्ज़ ही नहीं लहज़ा भी असर रखता है।असूरता ही नहीं अदब भी अपनी छाप छोड़ता है। विचार ही नहीं वाणी भी प्रभाव दिखाती है। शोर ही नहीं सलीका भी बहुत कुछ दे जाता है। एक कमाल अपनी शैली देकर ख़ामोश हो गया लेकिन सौ कमाल जब उठ खड़े होंगे तो पत्रकारिता का मिज़ाज ज़रूर बदलेगा। कमाल भाई आपके लिए यह पंक्तियाँ मौजू है….

कितनी अजीब है
इस शहर की तन्हाई भी,
हज़ारों लोग हैं मगर
फिर भी कोई आप जैसा नहीं….

सलाम कमाल भाई

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