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केंद्र का बड़ा फैसला:रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया, टेक्सटाइल PLI स्कीम को भी मंजूरी

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नई दिल्ली

किसान आंदोलन के बीच सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए कई रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ा दिया है। किसानों को सपोर्ट देने के लिए दलहन (मसूर) और तिलहन (सरसों) का MSP सबसे ज्यादा बढ़ाया गया है। MSP बढ़ाने का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज यूनियन कैबिनेट की बैठक में हुआ।

मसूर और सरसों के MSP में 400-400 रुपए का इजाफा

सरकार ने फसल वर्ष 2022-23 के लिए मसूर और सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 400-400 रुपए प्रति क्विंटल का इजाफा किया है। चने के MSP में 130 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। गेहूं का समर्थन मूल्य 40 रुपए प्रति क्विंटल बढ़कर 2015 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। जौ का MSP 35 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है।

टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए 10,683 करोड़ की PLI स्कीम

यूनियन कैबिनेट की बैठक में टेक्सटाइल सेक्टर के लिए प्रॉडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव (PLI) स्कीम को भी मंजूरी दी गई है। सरकार टेक्सटाइल के प्रॉडक्शन को बढ़ावा देने के लिए अगले पांच साल में 10,683 करोड़ रुपए का खर्च करेगी। उसने इसमें खासतौर पर मैनमेड और टेक्निकल टेक्सटाइल इंडस्ट्री को बढ़ावा देने पर फोकस किया है।

स्कीम से सीधे तौर पर साढ़े सात लाख लोगों को रोजगार मिलेगा

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए घोषित PLI स्कीम से सीधे तौर पर साढ़े सात लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। गौरतलब है कि कैबिनेट ने इससे पहले देश में मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी और एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए 13 सेक्टर में PLI स्कीमों को मंजूरी दी थी।

19,000 करोड़ रुपए से ज्यादा निवेश आ सकता है

जानकारों के मुताबिक, सरकार की PIL स्कीम से टेक्सटाइल इंडस्ट्री में 19,000 करोड़ रुपए से ज्यादा निवेश आ सकता है। इसके साथ ही अगले पांच साल में प्रॉडक्शन टर्नओवर तीन लाख करोड़ रुपए बढ़ सकता है।

मैनमेड और टेक्निकल टेक्सटाइल पर ध्यान देने की जरूरत

कपड़ा क्षेत्र के लिए पीएलआई स्कीम के बाबत केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कपड़ा उद्योग में सबसे ज्यादा रोजगार पैदा होते हैं। देश में परंपरागत रूप से कॉटन टेक्स्टाइल पर फोकस किया जाता रहा है। इस क्षेत्र में वैश्विक बाजार में भारत का दबदबा है और अच्छी ग्रोथ है। लेकिन देश को मैनमेड और टेक्निकल टेक्सटाइल पर भी ध्यान देने की जरूरत है।

मैनमेड और टेक्निकल टेक्सटाइल इंडस्ट्री को मिलेगा सपोर्ट

उन्होंने कहा कि मैनमेड और टेक्निकल टेक्सटाइल का इंटरनेशनल लेवल पर बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। आजकल दो तिहाई ग्लोबल टेक्सटाइल मार्केट मैनमेड और टेक्निकल टेक्सटाइल का हो गया है। उन्होंने कहा कि पीएलआई स्कीम खासतौर पर मैनमेड और टेक्निकल टेक्सटाइल इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए लाई गई है।

स्कीम को निवेश के हिसाब से दो हिस्सों में बांटा गया है

इस स्कीम को निवेश के हिसाब से दो हिस्सों में बांटा गया है। एक हिस्सा 100 करोड़ और दूसरा 300 करोड़ के निवेश वालों का होगा। इस स्कीम का मकसद ग्लोबल मार्केट में कॉम्पिटिशन देने वाले चैंपियन को सामने लाना होगा। सरकार उनको पश्चिमी देशों में आधुनिक चीजों की मांग को पूरा करने के लिए बढ़ावा देगी।

चुनाव में दो-तीन मानदंडों का खास ख्याल रखा जाएगा

स्कीम के लिए कंपनियों के चुनाव में दो-तीन मानदंडों का खास ख्याल रखा जाएगा। जो कंपनियां या फैक्टरियां औद्योगिक जिलों या टीयर-2 और टीयर-3 शहरों में लगेंगी उनको प्राथमिकता दी जाएगी। उसमें यह भी देखा जाएगा कि इस स्कीम के तहत नई कंपनियां और फैक्टरियां कितना रोजगार पैदा कर सकती हैं।

बिहार जैसे राज्य भी उठा सकेंगे PLI स्कीम का लाभ

उन्होंने कहा कि टेक्सटाइल सेक्टर के लिए घोषित PLI स्कीम का सीधा लाभ गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उड़ीसा को मिलेगा। उन्होंने कहा कि ही बिहार जैसे राज्य भी अपनी स्कीमों को इससे जोड़ सकेंगे और इसका फायदा उठा सकेंगे।

कपड़ा उद्योग में MMF का 20% योगदान
भारत के कपड़ा उद्योग की बात करें तो वर्तमान में कॉटन का योगदान 80% और मैन मेड फाइबर (MMF) का योगदान महज 20% है। दुनिया के अन्य देश इस मामले में हमसे काफी आगे हैं। ऐसे में इस सेगमेंट और सेक्टर को प्रमोट करने की जरूरत है। इसके लिए PLI स्कीम एक मजबूत कदम होगा।

क्या है PLI स्कीम?

इस योजना के अनुसार, केंद्र अतिरिक्त उत्पादन पर प्रोत्साहन देगा और कंपनियों को भारत में बने उत्पादों को निर्यात करने की अनुमति देगा। PLI स्कीम का लक्ष्य प्रतिस्पर्धात्मक माहौल बनाने के लिए निवेशकों को प्रोत्साहित करना है।

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